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Success story :जर्मनी की मोटी सैलरी छोड़ गांव में शुरू किया कारोबार, आज सालाना कमा रहे हैं 1 करोड़ रुपये

Success story : जर्मनी में लाखों की सैलरी वाली नौकरी को अलविदा कहकर भारत लौटने का फैसला लिया। गांव में आंवला और बाजरा आधारित उत्पादों का स्टार्टअप शुरू किया और प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत 25 लाख रुपये का लोन लेकर व्यवसाय की नींव रखी।

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07-Apr-2025 08:57 PM

Success story : अशोक कुमावत की कहानी उन लोगों के लिए प्रेरणा है जो नौकरी छोड़कर कुछ अपना धंधा करना चाहते हैं। इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद अशोक ने मिस्र में कुछ समय काम किया और फिर जर्मनी चले गए, जहां वह रोबोटिक्स ट्रेनर के रूप में कार्यरत थे। उन्हें हर महीने करीब 2 लाख रुपये की सैलरी मिलती थी, लेकिन उनका मन हमेशा अपने देश और गांव के लिए कुछ करने को मचलता रहा। यही सोच उन्हें भारत वापस खींच लाई।       


राजस्थान के पाली गांव के रहने वाले अशोक ने गांव लौटकर पारंपरिक खेती को आधुनिक व्यवसाय में बदलने का फैसला किया। उन्होंने 'प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना' के तहत 25 लाख रुपये का लोन लिया और आंवला व बाजरे से बने उत्पादों का व्यवसाय शुरू किया। शुरू में छोटे स्तर से शुरू किए गए इस स्टार्टअप ने अब रफ्तार पकड़ ली है और आज उनका सालाना टर्नओवर 1 करोड़ रुपये से अधिक है। अशोक के पास गांव में 35 बीघा जमीन है, जिसमें उन्होंने 1000 आंवला के पेड़ लगाए। कोरोना महामारी के बाद आंवला की मांग तेजी से बढ़ी, जिसे उन्होंने अवसर के रूप में पहचाना। पहले आंवला मात्र 8-10 रुपये प्रति किलो बिकता था, लेकिन उन्होंने इसे प्रोसेस कर ऐसे उत्पाद बनाए जिनकी कीमत 200-250 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई।


व्यवसाय में बढ़ती मांग को देखते हुए उन्होंने जोधपुर के औद्योगिक क्षेत्र में एक प्लॉट खरीदा और वहां आधुनिक मशीनें लगाईं जिससे उत्पादन और प्रोसेसिंग का काम आसान हो गया। आज उनके उत्पादों की मांग बढ़ती जा रही है और उनके साथ 25-30 लोगों को रोजगार भी मिला है। अशोक का सपना है कि वे और अधिक स्थानीय किसानों के साथ मिलकर काम करें और ग्रामीण महिलाओं के लिए भी रोजगार के अवसर पैदा करें। उनकी यह यात्रा बताती है कि आज का युवा केवल नौकरी पर निर्भर नहीं रहना चाहता, बल्कि अपने विचारों और मेहनत के दम पर कुछ बड़ा करने की चाह रखता है। अशोक कुमावत एक मिसाल हैं कि सही सोच, मेहनत और समय पर लिया गया निर्णय कैसे जिंदगी को बदल सकता है।


अशोक कुमावत ने जर्मनी में लाखों की सैलरी वाली नौकरी को अलविदा कहकर भारत लौटने का साहसिक फैसला लिया। गांव में आंवला और बाजरा आधारित उत्पादों का स्टार्टअप शुरू किया और प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत 25 लाख रुपये का लोन लेकर व्यवसाय की नींव रखी। आज उनका टर्नओवर 1 करोड़ रुपये पार कर चुका है और वे गांव में 30 से ज़्यादा लोगों को रोजगार दे रहे हैं। यह कहानी है जुनून, आत्मनिर्भरता और भारत की मिट्टी से जुड़े एक युवा की जो आज देशभर के युवाओं को प्रेरित कर रहा है।