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21-Feb-2025 12:42 PM
रिपोर्ट्स के अनुसार, नई इलेक्ट्रिक वाहन नीति नीति में कंपनियों को ऑपरेशन के दूसरे साल तक 2,500 करोड़ रुपये का टर्नओवर हासिल करने की शर्त रखी जा सकती है। यह कदम देश में EV इंडस्ट्री के लिए नए अवसर और चुनौतियां लेकर आएगा।
नई नीति के तहत, कंपनियों को मौजूदा फैक्ट्री परिसर में ही EV असेंबली ऑपरेशन स्थापित करने की अनुमति दी जाएगी। हालांकि, इसके लिए 4,150 करोड़ रुपये का आवश्यक निवेश होना चाहिए, जो नए पूंजी निवेश से आएगा। इसमें भूमि और बिल्डिंग से संबंधित लागत शामिल नहीं होगी। इसके अलावा, कंपनियों को आयात शुल्क पर 15% की छूट मिल सकती है, जो वर्तमान में 110% है। कंपनियों को आवेदन करने के लिए 120 दिन का समय मिलेगा। इस नीति के तहत, सालाना 8,000 प्रीमियम EVs (35,000 डॉलर से अधिक कीमत वाले) के आयात की अनुमति होगी, लेकिन कंपनियों को तीन साल के भीतर अपने संचालन की निर्माण सुविधाएं स्थापित करनी होंगी। शुरूआत में, इन कंपनियों को 25% घरेलू मूल्यवर्धन हासिल करना होगा, जो मंत्रालय की मंजूरी के पांच साल बाद बढ़कर 50% हो जाएगा।
नई नीति के तहत कंपनियों को प्रगतिशील टर्नओवर लक्ष्यों को पूरा करना होगा। मैन्युफैक्चरिंग के दूसरे साल तक 2,500 करोड़ रुपये, चौथे साल तक 5,000 करोड़ रुपये और पांचवे साल तक 7,500 करोड़ रुपये का कारोबार करना होगा। अगर सभी प्रक्रियाएं निर्धारित समय पर पूरी होती हैं, तो जुलाई-अगस्त तक मंजूरी पत्र जारी किया जा सकता है, जिससे आयात शुरू हो सकेगा। इस नीति से सबसे बड़ा फायदा Tesla को हो सकता है, जो फिलहाल भारत में अपनी उपस्थिति बढ़ाने की योजना बना रही है। हालांकि, अब तक कंपनी ने सरकार के साथ कोई औपचारिक बातचीत नहीं की है। हाल ही में यह खबर आई थी कि Tesla इस साल अप्रैल में भारत में एक सस्ते मॉडल के साथ कदम रखने की योजना बना रही है, जिसकी कीमत लगभग 21 लाख रुपये होगी।
इसके अलावा, Hyundai और Volkswagen जैसे प्रमुख ऑटोमोटिव समूहों ने इस नीति में रुचि दिखाई है, लेकिन यह अभी स्पष्ट नहीं है कि वे कब और कितना निवेश करेंगे।