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26-Feb-2025 04:35 PM
By First Bihar
कंपनी ने अपनी तिमाही आय के आंकड़े जारी किए, और इन आंकड़ों ने बीयर उद्योग की कमजोर होती मांग का संकेत दिया। AB InBev ने अपने दिसंबर तिमाही के नतीजे जारी किए, और एक बात साफ है - कंपनी की आय ने बाजार के अनुमानों को पीछे छोड़ दिया। कंपनी का रेवेन्यू साल दर साल 3.4% बढ़कर 14.84 अरब डॉलर तक पहुंच गया। हालांकि, बाजार विश्लेषकों ने आय में 2.9% की गिरावट का अनुमान जताया था, और उनकी उम्मीद थी कि आय घटकर 14.05 अरब डॉलर पर आ सकती है। नतीजतन, कंपनी के शेयर लंदन मार्केट में 8% से ज्यादा चढ़ गए।
फिर भी, एक बड़ी चिंता की बात यह थी कि कंपनी का कुल वॉल्यूम 1.9% कम हुआ है, और पूरे साल के लिए इसकी गिरावट का अनुमान 1.4% तक था। कंपनी ने इसका कारण प्रमुख बाजारों, खासकर चीन और अर्जेंटीना में, घटती डिमांड को बताया। कंपनी के सीईओ ने स्पष्ट किया कि बीयर की खपत में गिरावट का कारण मुख्य रूप से दो बड़े बाजारों में डिमांड की कमी है। चीन और अर्जेंटीना में कमजोर कंज्यूमर सेंटीमेंट्स ने बिक्री वॉल्यूम को प्रभावित किया है। इसके साथ ही, बीयर के प्रोडक्ट्स की मांग नॉन-बीयर ब्रांड्स के मुकाबले कमजोर रही।
कंपनी का कहना है कि हालांकि वॉल्यूम में गिरावट आई है, बाजार के संकेत मजबूत हैं और आगामी महीनों में रिकवरी देखने को मिल सकती है। हालांकि, ग्लोबल ड्रिंक मार्केट में कई चुनौतियां सामने आ रही हैं, जिनमें से सबसे बड़ी समस्या एल्कोहलिक ड्रिंक्स की घटती खपत है। AB InBev के सीईओ ने अपनी सबसे बड़ी चिंता के रूप में फॉरेक्स (विदेशी मुद्रा) को बताया। उनका इशारा डॉलर की मजबूती की ओर था, जो उनके लिए एक महत्वपूर्ण चिंता का कारण बन रहा है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि टैरिफ का कारोबार पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा, लेकिन डॉलर की बढ़ती कीमतों से स्थिति और कठिन हो सकती है।
AB InBev के सीईओ ने यह भी माना कि एल्कोहल की खपत में गिरावट एक ग्लोबल ट्रेंड बन चुकी है। इसके बावजूद, नॉन-एल्कोहलिक ड्रिंक्स की बढ़ती मांग कंपनियों के लिए नए अवसरों के रूप में सामने आई है। इस बदलाव को देखते हुए, AB InBev जैसे बड़े ब्रूअरी कंपनियां अब अपने पोर्टफोलियो में नॉन-एल्कोहलिक ड्रिंक्स को बढ़ावा दे रही हैं। यह संकेत देता है कि कंपनियां बदलते हुए उपभोक्ता रुझानों के साथ तालमेल बैठाने की कोशिश कर रही हैं, ताकि वे आगामी चुनौतियों का सामना कर सकें।
AB InBev के नतीजे इस बात की ओर इशारा करते हैं कि बीयर की डिमांड में अस्थायी गिरावट हो सकती है, लेकिन यह एक दीर्घकालिक ट्रेंड बनने के संकेत नहीं हैं। हालांकि, बढ़ते फॉरेक्स दबाव और घटती एल्कोहल खपत की वास्तविकता को समझते हुए, कंपनियों को अपने पोर्टफोलियो में विविधता लानी होगी।