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15-Feb-2025 10:34 AM
By First Bihar
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार तीसरे सप्ताह बढ़ोतरी हुई है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 7 फरवरी को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 7.65 अरब डॉलर बढ़कर कुल 638.26 अरब डॉलर हो गया। यह बढ़ोतरी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत है, क्योंकि यह वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के बावजूद भारत की वित्तीय स्थिरता को दर्शाता है।
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में पिछले कुछ महीनों में तेज गिरावट देखी गई थी। सितंबर 2023 में यह 704.89 अरब डॉलर के उच्च स्तर पर था, लेकिन उसके बाद लगातार 16 में से 15 सप्ताह तक भंडार में गिरावट आई। इस दौरान रुपये की गिरावट को रोकने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने बाजार में हस्तक्षेप किया, जिससे विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव बढ़ गया। हालांकि, अब लगातार तीसरे सप्ताह विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी हुई है, जो इस बात का संकेत है कि भारतीय अर्थव्यवस्था फिर से मजबूती की ओर बढ़ रही है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार कई घटकों में विभाजित है। इसमें 544.106 बिलियन डॉलर की विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां (FCA), 72.208 बिलियन डॉलर का स्वर्ण भंडार, 18.196 बिलियन डॉलर के विशेष आहरण अधिकार (SDR) और IMF में 3.75 बिलियन डॉलर की आरक्षित मुद्रा स्थिति शामिल है। इन सभी को मिलाकर भारत का कुल विदेशी मुद्रा भंडार 638.26 बिलियन डॉलर हो जाता है, जो करीब 11 महीने के आयात खर्च को पूरा करने में सक्षम है। यह आर्थिक स्थिरता का एक महत्वपूर्ण संकेत है, जो दर्शाता है कि भारत किसी भी संभावित वित्तीय संकट का सामना करने के लिए तैयार है।
अगर पिछले वर्षों की बात करें तो भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। 2023 में भारत ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार में करीब 58 बिलियन डॉलर जोड़े। 2022 में विदेशी मुद्रा भंडार में कुल 71 बिलियन डॉलर की गिरावट आई। 2024 की शुरुआत से भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 20 बिलियन डॉलर से अधिक की वृद्धि हुई है। इससे स्पष्ट है कि भारत की मौद्रिक नीति 2022 की तुलना में 2023 और 2024 में अधिक प्रभावी रही है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) विदेशी मुद्रा बाजार में संतुलन बनाए रखने के लिए समय-समय पर हस्तक्षेप करता है। जब रुपया कमजोर होता है, तो RBI डॉलर बेचता है ताकि रुपया स्थिर रहे। इसके विपरीत, जब रुपया मजबूत होता है, तो RBI अत्यधिक मुद्रा अस्थिरता को रोकने के लिए डॉलर खरीदता है। RBI की इस रणनीति का मुख्य उद्देश्य रुपये को स्थिर रखना है, ताकि निवेशकों का विश्वास बना रहे और भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक आर्थिक झटकों से सुरक्षित रहे।
भारत में बढ़ते विदेशी मुद्रा भंडार से संकेत मिलता है कि भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है। यदि विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि जारी रहती है, तो यह भारतीय रुपये को सहारा देगा और डॉलर के मुकाबले इसकी कमजोरी को कम करेगा। अधिक विदेशी मुद्रा भंडार होने से भारत को आवश्यक वस्तुओं (जैसे कच्चा तेल, गैस, इलेक्ट्रॉनिक्स) के आयात में कोई समस्या नहीं होगी। मजबूत विदेशी मुद्रा भंडार विदेशी निवेशकों को सकारात्मक संकेत देता है, जिससे भारत में एफडीआई और एफआईआई का प्रवाह बढ़ सकता है।
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, जो दर्शाता है कि देश की आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है। रुपये को स्थिर रखने के लिए आरबीआई द्वारा उठाए गए कदमों का असर अब दिखने लगा है। अगर यह सिलसिला जारी रहा तो भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 2024 में एक बार फिर अपने उच्चतम स्तर के करीब पहुंच सकता है।