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14-Aug-2025 01:19 PM
By First Bihar
Bihar News: बिहार के मोतिहारी के पहाड़पुर थाना क्षेत्र में छह साल से ज्यादा पुराने दीपांशु हत्याकांड में न्याय की गूंज आखिरकार कोर्ट से सुनाई दी। महज 14 साल की उम्र में निर्दयता से मारे गए छात्र दीपांशु को न्याय दिलाने की लड़ाई उसके परिवार ने सालों तक लड़ी, और अब कोर्ट ने चार आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाकर इस बहुचर्चित मामले में बड़ा फैसला सुनाया है।
यह घटना 5 जून 2019 की रात की है, जब दीपांशु अपने दो भाइयों के साथ घर के एक कमरे में टीवी देख रहा था। उसी दौरान हत्यारे विवेक गिरी, आलोक पांडे और दो अन्य अज्ञात लोग जबरन घर में घुस आए। विवेक ने दीपांशु के सीने में चाकू घोंप दिया। जब उसका बड़ा भाई नवनीत उसे बचाने आया, तो उसके गले और कंधे पर भी चाकू से वार किया गया। वारदात को अंजाम देने के बाद सभी आरोपी पास ही मौजूद लेडी डॉक्टर पूजा मजूमदार के परिसर में भाग गए, जहां पर पहले से मौजूद उमेश गिरी और बुलेट गिरी ने उन्हें वहां से भगा दिया।
घटना के पीछे की वजह भी उतनी ही चौंकाने वाली थी। मृतक के पिता चंद्रशेखर प्रसाद के घर के पीछे डॉक्टर पूजा मजूमदार का एक कथित क्लिनिक था, जो कि उनके घर से सटा हुआ था। क्लिनिक तक जाने का रास्ता नहीं था और डॉक्टर पूजा बार-बार उनके ज़मीन से रास्ता देने की मांग कर रही थी। जब यह मांग पूरी नहीं हुई, तो उसने कथित रूप से दीपांशु की हत्या की सुपारी दे दी। यही साजिश इस दर्दनाक हत्याकांड में तब्दील हो गई।
घटना के बाद पुलिस जांच में तेजी आई और एक के बाद एक आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। आरोपियों ने हत्या के बाद भी दीपांशु के पिता को धमकी दी थी कि केस वापस ले लो, नहीं तो तुम्हारा भी यही अंजाम होगा। परिजनों ने हार नहीं मानी और न्याय के लिए लंबी लड़ाई लड़ी।
दीपांशु के केस की पैरवी कर रहे अधिवक्ता कुमार पंकज ने बताया कि मुकदमे की सुनवाई के दौरान कुल 11 गवाहों के बयान दर्ज हुए। साथ ही पुलिस द्वारा पेश की गई ऑडियो क्लिप और दीपांशु के भाई नवनीत का चश्मदीद बयान केस का मजबूत आधार बना। आखिरकार, कोर्ट ने चार आरोपियों विवेक कुमार, उमेश गिरी, बुलेट गिरी और डॉक्टर पूजा मजूमदार – को आजीवन कारावास की सजा सुनाई और 25 हजार रुपये का आर्थिक जुर्माना भी लगाया। जुर्माना न देने की स्थिति में तीन महीने की अतिरिक्त सजा भी तय की गई है।
सुनवाई के बाद आरोपियों के चेहरे पर पछतावा साफ दिखा और वे कोर्ट में ही रोने लगे। वहीं दूसरी ओर, दीपांशु की मां नीतू देवी की आंखें भर आईं लेकिन इस बार आंसुओं में संतोष और न्याय की भावना थी। उन्होंने कहा, "मेरे बेटे को आखिरकार इंसाफ मिल गया। आज उसकी आत्मा को शांति मिलेगी।” यह केस न्याय व्यवस्था में लोगों के भरोसे का प्रतीक बन गया है, जो दिखाता है कि देर हो सकती है, लेकिन न्याय जरूर मिलता है बशर्ते हिम्मत और विश्वास बना रहे।
पूर्वी चंपारण से सोहराब आलम की रिपोर्ट