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19-Aug-2025 07:13 AM
By First Bihar
Cyber Crime: उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक बड़े टेरर फंडिंग नेटवर्क का खुलासा करते हुए बिहार के पूर्वी चंपारण निवासी दो आरोपियों गोलू कुमार और उसके पिता भूषण चौधरी को गिरफ्तार किया है। बलरामपुर पुलिस के अनुसार, इन दोनों के बैंक खातों और क्रिप्टो वॉलेट्स के माध्यम से अब तक ₹101 करोड़ 34 लाख से अधिक की रकम नेपाल और पाकिस्तान समेत कई देशों में भेजी जा चुकी है। यह रकम साइबर ठगी और क्रिप्टोकरेंसी के जरिए अंतरराष्ट्रीय आतंकी नेटवर्क को फंड करने के लिए इस्तेमाल की गई।
बलरामपुर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) विकास कुमार के अनुसार, यह गिरोह साइबर कैफे और जनसेवा केंद्र की आड़ में धोखाधड़ी को अंजाम देता था। गोलू कुमार ने पुलिस को बताया कि वह पूर्वी चम्पारण में साइबर कैफे चलाता था, जहां पर पीड़ितों की जानकारी लेकर बैंक खातों और आधार का दुरुपयोग किया जाता था।
दो साल पहले गोलू की मुलाकात नेपाल के कुछ लोगों से हुई, जिन्होंने उसे बाइनेंस पर क्रिप्टो अकाउंट बनाना सिखाया। धीरे-धीरे उसने ठगी के जरिए अर्जित रुपये को क्रिप्टोकरेंसी में बदलकर बाइनेंस के माध्यम से विदेश भेजना शुरू कर दिया। जल्द ही उसने अपने पिता भूषण चौधरी के नाम से भी आईडी बनाकर इस नेटवर्क का विस्तार किया।
पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि यह नेटवर्क नेपाल और भारत के पांच अलग-अलग खातों के जरिए फंडिंग करता था। इसमें चाइनीज लोनिंग ऐप्स के माध्यम से साइबर ठगी कर करोड़ों रुपये की वसूली की गई, जिसे बाद में क्रिप्टोकरेंसी में बदलकर पाकिस्तान सहित अन्य देशों को ट्रांसफर किया गया।
इस पूरे नेटवर्क का सरगना बताया जा रहा है एक अंतरराष्ट्रीय अपराधी सस्पियर, जिसकी गिरफ्तारी के बाद जांच एजेंसियों ने भारत में मौजूद उसके सहयोगियों की तलाश तेज कर दी थी। जांच के दौरान भूषण और गोलू के यूपीआई लेन-देन, डिजिटल ट्रांजैक्शन, और बाइनेंस वॉलेट्स की गतिविधियों पर शक हुआ, जिसके बाद इनकी गिरफ्तारी हुई।
पुलिस ने आरोपियों के पास से 5 मोबाइल फोन, 1 लैपटॉप, 7 आधार कार्ड और नेपाली मुद्रा की एक बड़ी खेप सामान बरामद किया है। पिछले साल इस मामले में बलरामपुर के ललिया थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था, जिसमें मुख्य आरोपी सस्पियर समेत 5 अन्य को पहले ही जेल भेजा जा चुका है। भूषण और गोलू से पूछताछ जारी है और ATS, NIA सहित कई एजेंसियां इस केस से जुड़े अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क की गहराई से जांच कर रही हैं।
सूत्रों के मुताबिक, भारत सरकार ने इस मामले को बेहद गंभीरता से लेते हुए इंटरपोल और FATF (Financial Action Task Force) को भी सूचित किया है। इस गिरोह के तार संभवतः अफगानिस्तान और मिडिल ईस्ट के कुछ आतंकी संगठनों से भी जुड़े हो सकते हैं। मामले की तह तक जाने के लिए अब डिजिटल फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स को भी जांच में जोड़ा गया है।