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05-Jun-2025 08:09 AM
By First Bihar
Bihar News: केंद्र सरकार ने रक्सौल से हल्दिया तक 54,000 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले सिक्स लेन ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे को मंजूरी दे दी है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने इस परियोजना के अलाइनमेंट को स्वीकृति प्रदान की है और 2028 तक निर्माण कार्य पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। यह एक्सप्रेसवे बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और पड़ोसी देश नेपाल के बीच कनेक्टिविटी को बेहतर बनाएगा। यह परियोजना क्षेत्रीय व्यापार, उद्योग और आवागमन को नई गति देगी, जिससे बिहार के आर्थिक विकास को बल मिलेगा।
एक्सप्रेसवे बिहार के आठ प्रमुख जिलों पूर्वी चंपारण, शिवहर, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, बेगूसराय, लखीसराय, मुंगेर और जमुई से होकर गुजरेगा। इसके बाद यह झारखंड के देवघर, दुमका और जामताड़ा जिलों को पार करते हुए पश्चिम बंगाल के हल्दिया पोर्ट तक पहुंचेगा। हल्दिया पोर्ट तक बेहतर पहुंच से बिहार और झारखंड के औद्योगिक और कृषि उत्पादों को वैश्विक बाजार में निर्यात करना आसान होगा। नेपाल के लिए भी यह मार्ग व्यापार को सुगम बनाएगा, क्योंकि रक्सौल भारत-नेपाल सीमा पर एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र है।
वर्तमान में रक्सौल से हल्दिया की दूरी तय करने में 17 से 18 घंटे लगते हैं। इस एक्सप्रेसवे के निर्माण के बाद यह सफर केवल 13 घंटे में पूरा हो सकेगा, जिससे चार घंटे की समय बचत होगी। यह एक्सेस-कंट्रोल्ड हाईवे होगा, जिसमें बीच के रास्तों से वाहनों का प्रवेश वर्जित रहेगा। इससे वाहनों की गति नियंत्रित रहेगी, सड़क दुर्घटनाओं की संभावना कम होगी, और यात्रा सुरक्षित और आरामदायक होगी। यह परियोजना कोलकाता और पटना के बीच यात्रा को भी सुगम बनाएगी।
सड़क परिवहन मंत्रालय इस प्रोजेक्ट को प्राथमिकता दे रहा है। भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया जल्द शुरू होने वाली है और अगले तीन वर्षों में निर्माण कार्य पूरा करने की योजना है। यह एक्सप्रेसवे बिहार के सीमावर्ती क्षेत्रों, विशेष रूप से पूर्वी चंपारण और मुजफ्फरपुर के लिए विकास का नया द्वार खोलेगा।
केवल यही नहीं इस परियोजना से बिहार के किसानों को भी लाभ होगा, क्योंकि उनकी उपज हल्दिया पोर्ट के जरिए अंतरराष्ट्रीय बाजार तक तेजी से पहुंच सकेगी। यह एक्सप्रेसवे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा और रोजगार के नए अवसर भी पैदा करेगा। मंत्रालय का लक्ष्य है कि यह परियोजना समय पर पूरी हो, ताकि बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के लोग जल्द से जल्द इसका लाभ उठा सकें।