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Bihar Politics: तेजस्वी यादव के सांसद सुरेंद्र यादव के खिलाफ दर्ज हुआ बड़ा मामला, 3-7 साल तक हो सकती है जेल

Bihar Politics: बिहार चुनाव 2025 से पहले राजद को बड़ा झटका। जहानाबाद सांसद सुरेंद्र यादव के खिलाफ आर्म्स एक्ट उल्लंघन का मामला दर्ज, प्रशासन के आदेश पर एफआईआर, 3-7 साल जेल की संभावना, चुनावी माहौल पर असर।

सुरेंद्र यादव

07-Oct-2025 12:28 PM

By First Bihar

Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले राजद के लिए एक और चुनौती सामने आई है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के करीबी सहयोगी और जहानाबाद के सांसद डॉ. सुरेंद्र प्रसाद यादव के खिलाफ आर्म्स एक्ट के उल्लंघन का मामला दर्ज किया गया है। यह मामला न सिर्फ सांसद के राजनीतिक करियर के लिए गंभीर हो सकता है, बल्कि चुनावी मैदान में राजद की मुश्किलों को भी बढ़ा सकता है।


जानकारी के अनुसार, यह कार्रवाई गया जिले के डीएम शशांक शुभंकर के निर्देश पर की गई। डीएम के आदेश के बाद आर्म्स मजिस्ट्रेट ने वरीय पुलिस अधीक्षक को प्रतिवेदन सौंपा। इसके आधार पर शेरघाटी थाना में सांसद के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज की गई। एफआईआर में सांसद के पदनाम के बजाय उनके व्यक्तिगत विवरण — सुरेंद्र प्रसाद यादव, पिता भुनेश्वर यादव, पता चिरैयाटांड़, थाना रामपुर — के आधार पर मामला दर्ज किया गया।


अधिकारियों का आरोप है कि सांसद ने तीन अलग-अलग लाइसेंसों पर कुल पांच हथियार अवैध रूप से रखे हुए थे। वर्तमान में उनके तीनों लाइसेंसों पर चार हथियार रखे गए हैं। इसके अलावा, उन्होंने पता बदलकर गया जिले के सिविल लाइंस थाना और शेरघाटी थाना क्षेत्र से एक-एक लाइसेंस प्राप्त किया, जिसे प्रशासन गैरकानूनी मान रहा है।


सूत्रों की माने तो तीन शस्त्र अनुज्ञप्तियाँ क्रमशः सिविल लाइंस थाना, शेरघाटी थाना और दिल्ली से निर्गत हैं। इन हथियारों में एनपी बोर पिस्टल, दोनाली बंदूक और रिवॉल्वर शामिल हैं। शेरघाटी थाना कांड संख्या 423/25 में सांसद के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 25(1-ब) और आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है।


कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यदि आरोप साबित होते हैं, तो इस मामले में सांसद को तीन से सात साल तक की जेल की सजा हो सकती है। विशेषज्ञों ने बताया कि आर्म्स (संशोधित) अधिनियम, 2019 के अनुसार अब किसी भी व्यक्ति को केवल दो हथियार रखने का अधिकार है। इससे पहले एक व्यक्ति तीन हथियार रख सकता था, जिसमें एक राइफल, एक बंदूक और एक रिवॉल्वर शामिल था। इस नियम में बदलाव के बाद अगर सांसद के पास अतिरिक्त हथियार पाए गए, तो यह सीधे तौर पर कानून का उल्लंघन माना जाएगा।


मामले की गंभीरता को देखते हुए सांसद को इस संबंध में पहले ही समन जारी किया गया था, लेकिन उन्होंने इसका कोई जवाब नहीं दिया। अधिकारियों का कहना है कि यह मामला प्रशासन की सख्ती और कानून के प्रति गंभीर रवैये का प्रमाण है। उन्होंने स्पष्ट किया कि कानून के उल्लंघन को किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, चाहे आरोपी किसी भी राजनीतिक दल से जुड़े हों।


इस मामले के सामने आने से राजद की चुनावी रणनीति पर भी प्रभाव पड़ने की संभावना है। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले यह विवाद पार्टी के लिए नकारात्मक प्रचार का माध्यम बन सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विपक्षी दल इस मुद्दे का चुनावी लाभ उठाने की कोशिश कर सकते हैं। वहीं, राजद को इस स्थिति में अपने उम्मीदवारों और कार्यकर्ताओं को शांत रखने और कानूनी कार्रवाई का सही तरीके से सामना करने की चुनौती का सामना करना पड़ेगा।


सुरेंद्र यादव के खिलाफ दर्ज एफआईआर में साफ तौर पर उल्लिखित है कि उनके पास पांच हथियार हैं, जबकि कानून केवल दो हथियार रखने की अनुमति देता है। इससे यह स्पष्ट होता है कि सांसद ने नियमों का उल्लंघन किया है। प्रशासन द्वारा की गई यह कार्रवाई यह संदेश देती है कि चुनाव के समय किसी भी स्तर पर कानून को कमजोर नहीं होने दिया जाएगा।


राजनीतिक माहौल पर इस मामले का असर देखने को मिल सकता है। तेजस्वी यादव और उनके सहयोगियों के लिए यह समय चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि चुनाव से पहले ऐसी खबरें उनके पक्ष में काम नहीं करतीं। राजद नेताओं का कहना है कि मामला कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा है और पार्टी इसे पूरी तरह से सम्मान देती है।


विश्लेषकों के अनुसार, अगर अदालत में मामला लंबित रहता है, तो यह राजद के लिए चुनाव प्रचार में बाधा बन सकता है। साथ ही, आम जनता और मतदाताओं के बीच इस मामले को लेकर चर्चा बढ़ सकती है। राजनीतिक दलों द्वारा इस मामले को अपने प्रचार में शामिल करने की संभावना है। अंततः, यह मामला न केवल सुरेंद्र यादव के राजनीतिक भविष्य को प्रभावित करेगा, बल्कि बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में राजद की स्थिति पर भी असर डाल सकता है। प्रशासन की यह कार्रवाई स्पष्ट करती है कि कानून सबके लिए समान है और कोई भी व्यक्ति, चाहे वह सांसद ही क्यों न हो, कानून से ऊपर नहीं है।