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04-Jul-2025 01:05 PM
By First Bihar
Bihar News: बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के योगापट्टी प्रखंड अंतर्गत चौमुखा पंचायत के वार्ड संख्या-5 में देर रात एक दर्दनाक हादसे ने कई परिवारों की जिंदगी को तबाह कर दिया। रात करीब 10 बजे जब अधिकतर लोग दिनभर की मेहनत के बाद अपने-अपने घरों में आराम कर रहे थे, तभी एकाएक एक घर से उठता धुआं और लपटें इलाके में अफरा-तफरी का माहौल पैदा कर दी।
जानकारी के मुताबिक, यह आग चंदिका यादव के घर से शुरू हुई, जहां उस समय रसोई में खाना बन रहा था। कुछ ही पलों में यह आग विकराल रूप धारण कर लिया और आसपास के दर्जनों घरों को अपनी चपेट में ले ली। घटना बुधवार की है। तेज हवाओं और घरों की एक-दूसरे के अत्यधिक समीपता ने आग को और अधिक भयावह बना दिया। लोग जब तक कुछ समझ पाते, तब तक लपटों ने कई परिवारों की जीवनभर की पूंजी को राख में बदल दिया था। घर का सारा सामान, अनाज, बिस्तर, कीमती वस्तुएं, कपड़े, फर्नीचर और सबसे महत्वपूर्ण – वर्षों की मेहनत से संजोए गए जरूरी कागजात, सब कुछ इस भीषण अग्निकांड में जलकर राख हो चुका था।
घटना के प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि आग लगते ही ग्रामीणों ने फायर ब्रिगेड को फोन कर घटना की सूचना दी, लेकिन लंबे समय तक कोई दमकल वाहन घटनास्थल पर नहीं पहुंचा। इस बीच ग्रामीणों ने अपने स्तर पर आग बुझाने की पूरी कोशिश की। बाल्टी में पानी भरकर, बालू डालकर और भी जो कुछ उनके पास था, उसी से वह इस भयावह आग को काबू में करने की जद्दोजहद करते रहे। कई लोगों ने अपनी जान जोखिम में डालकर दूसरों की मदद की और आखिरकार घंटों की मशक्कत के बाद किसी तरह आग पर नियंत्रण पाया गया।
चंदिका यादव समेत लगभग दस परिवार पूरी तरह बेघर हो चुके थे। छोटे-छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक की आंखों में बस आंसू थे। चारों ओर चीख-पुकार का माहौल था। किसी के पास पहनने को कपड़े नहीं बचे, तो किसी के पास सिर छुपाने के लिए छत नहीं। इस हादसे ने पूरे गांव को झकझोर कर रख दिया।
इस भयावह घटना के बाद से गांव के लोग प्रशासन से बेहद नाराज हैं। उनका कहना है कि अगर समय पर फायर ब्रिगेड पहुंच जाता, तो शायद इतने बड़े नुकसान को रोका जा सकता था। लेकिन प्रशासन की निष्क्रियता ने इस अग्निकांड को और भी बड़ा बना दिया। लोगों ने मांग की है कि घटना की उच्च स्तरीय जांच हो और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही पीड़ित परिवारों ने सरकार से तत्काल राहत और मुआवजे की मांग की है। उनका कहना है कि उनके पास अब कुछ भी नहीं बचा है, और अगर प्रशासन ने समय पर सहयोग नहीं किया, तो उनका जीवन सामान्य होने में वर्षों लग जाएंगे।
रिपोर्ट-संतोष कुमार