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बिहार में फर्जीवाडे़ का बड़ा मामला! जन्म से पहले बच्ची का करा दिया करोड़ों का बीमा; लड़की की मौत बताकर किया 1.38 करोड़ का क्लेम

बिहार के भागलपुर जिले में बीमा के नाम पर करोड़ों रुपये के बड़े फर्जीवाड़े का सनसनीखेज मामला सामने आया है। आरोप है कि एक ऐसी बच्ची के नाम पर बीमा पॉलिसी ली गई, जिसका वास्तव में कोई अस्तित्व ही नहीं था।

Bihar News

18-Dec-2025 01:18 PM

By First Bihar

Bihar News: बिहार के भागलपुर जिले में बीमा के नाम पर करोड़ों रुपये के बड़े फर्जीवाड़े का सनसनीखेज मामला सामने आया है। आरोप है कि एक ऐसी बच्ची के नाम पर बीमा पॉलिसी ली गई, जिसका वास्तव में कोई अस्तित्व ही नहीं था। जन्म न लेने वाली बच्ची का पहले जन्म प्रमाण पत्र बनवाया गया, फिर बीमारी का इलाज दिखाने के लिए डॉक्टरों के फर्जी प्रिस्क्रिप्शन तैयार किए गए और अंत में उसकी मौत दर्शाकर करीब 1.38 करोड़ रुपये का बीमा क्लेम भी कर दिया गया।


इस फर्जीवाड़े का खुलासा तब हुआ जब बीमा कंपनी ने क्लेम की जांच शुरू की। जांच में सामने आया कि कथित बच्ची के दस्तावेज और मेडिकल रिकॉर्ड पूरी तरह संदिग्ध हैं। इसके बाद बीमा कंपनी ने बरारी थाना क्षेत्र में स्थित शिव डायग्नोस्टिक सेंटर चलाने वाले दंपती शिवशंकर शर्मा और उनकी पत्नी मंजू शर्मा के खिलाफ बरारी थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई। पुलिस अब पूरे मामले की गहन जांच में जुट गई है।


बीमा कंपनी के अधिकारियों ने अपने लिखित बयान में बताया कि आरोपी दंपती ने अपनी कथित बेटी साक्षी कुमारी के नाम से पिछले साल सितंबर महीने में अलग-अलग बीमा पॉलिसी ली थीं। उस समय बच्ची की उम्र दो वर्ष से भी कम दर्शाई गई थी। कंपनी के अनुसार, इस वर्ष 10 जनवरी को बीमारी के कारण बच्ची की मौत दिखाई गई और मार्च महीने में बीमा राशि के लिए क्लेम दायर किया गया।


क्लेम के बाद जब कंपनी ने अपने स्तर पर जांच कराई तो सामने आया कि जिस बच्ची के नाम पर बीमा कराया गया, उसका कोई वास्तविक अस्तित्व ही नहीं था। बीमा कंपनी का आरोप है कि पॉलिसी लेने और क्लेम करने के लिए जन्म प्रमाण पत्र, मेडिकल रिकॉर्ड और अन्य दस्तावेज पूरी तरह फर्जी तैयार किए गए थे।


बीमा कंपनी ने यह भी आरोप लगाया है कि 5 जनवरी को बच्ची को खांसी, सांस लेने में तकलीफ और निमोनिया होने की बात कही गई थी। इलाज के लिए उसे पटना रेफर किए जाने और रास्ते में ही मौत होने का दावा किया गया। कथित रूप से 10 जनवरी को बच्ची की मृत्यु दिखाई गई। कंपनी का कहना है कि एक मल्टी स्पेशियलिटी अस्पताल द्वारा बच्ची का मृत्यु प्रमाण पत्र और इलाज से जुड़े दस्तावेज उपलब्ध कराए गए, जो संदेह के घेरे में हैं।


बीमा कंपनी के अनुसार, जिस मल्टी स्पेशियलिटी अस्पताल से दस्तावेज जारी हुए, उसके संचालन में भी आरोपी दंपती की भूमिका बताई जा रही है। इसके अलावा, शहर के एक महिला और पुरुष डॉक्टर तथा एक शिशु रोग विशेषज्ञ के नाम से जारी प्रिस्क्रिप्शन भी क्लेम के दौरान प्रस्तुत किए गए, जिनकी सत्यता की जांच की जा रही है।


वहीं, इस मामले में आरोपी शिवशंकर शर्मा ने बीमा कंपनी के आरोपों को पूरी तरह खारिज किया है। उन्होंने कहा कि बीमा कंपनी के आरोप गलत हैं। उन्होंने दावा किया कि वह अपने गांव ज्यादा जाते ही नहीं हैं, ऐसे में गांव वालों को उनकी बेटी के बारे में जानकारी कैसे होगी। उन्होंने यह भी कहा कि मल्टी स्पेशियलिटी अस्पताल के नीचे उनका डायग्नोस्टिक सेंटर है, लेकिन अस्पताल के संचालन से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उनके अनुसार, बीमा कंपनी और पुलिस द्वारा मांगे गए सभी दस्तावेज उन्होंने उपलब्ध कराए हैं।


बीमा कंपनी का कहना है कि क्लेम की राशि को लेकर जब उनकी टीम शिवशंकर शर्मा के गांव पहुंची और ग्रामीणों से पूछताछ की, तो पता चला कि दंपती के केवल दो ही बच्चे हैं और साक्षी शर्मा नाम की कोई बेटी नहीं है। इसके अलावा, सुल्तानगंज स्थित जिस अस्पताल से बच्ची का एमसीपी कार्ड जारी करने का दावा किया गया था, वहां की एएनएम ने भी स्पष्ट किया कि उस नाम से कोई कार्ड जारी नहीं किया गया है।


फर्जीवाड़े की पुष्टि होने के बाद बीमा कंपनी ने इस पूरे मामले की जानकारी जिला प्रशासन को भी दी। डीएम और एसएसपी को मामले से अवगत कराया गया है। बरारी थानाध्यक्ष बिट्टू कमल ने बताया कि प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है और सभी बिंदुओं पर जांच की जा रही है। पुलिस यह भी पता लगाने में जुटी है कि इस बीमा फर्जीवाड़े में और कौन-कौन लोग शामिल थे और क्या यह किसी बड़े गिरोह का हिस्सा है।