वैशाली में कोचिंग जा रही छात्रा से छेड़खानी, केस वापस लेने का दबाव, पूरे परिवार को जान से मारने की दी धमकी पुल निर्माण के दौरान मिट्टी धंसने से 10 वर्षीय किशोर की दर्दनाक मौत, बकरी चराने के दौरान हादसा BIHAR: निषाद आरक्षण पर राजनीति तेज, VIP ने BJP पर जनता को बरगलाने का लगाया आरोप मुजफ्फरपुर में बेपटरी हुई मालगाड़ी, बाल-बाल बचा रेल कर्मी, ट्रेनों का परिचालन बाधित Bihar News: नहाने के दौरान डूबने से दो लड़कियों की मौत, दादा को खाना पहुंचाने गई थीं दोनों बच्चियां आरा में 22 जून को 'संत सम्मेलन' का आयोजन, जन जागरण सेवा कल्याण संस्थान का कार्यक्रम JDU विधायक के भांजे की हत्या का खुलासा, मुख्य आरोपी गिरफ्तार, प्रॉपर्टी के लिए छोटे भाई ने घटना को दिया था अंजाम Bihar News: काली कमाई से अकूत संपत्ति बनाने वाले अपराधियों की खैर नहीं, इस नए कानून को हथियार बनाएगी बिहार पुलिस Bihar News: काली कमाई से अकूत संपत्ति बनाने वाले अपराधियों की खैर नहीं, इस नए कानून को हथियार बनाएगी बिहार पुलिस IOCL में प्रबंधन की तानाशाही के खिलाफ आमरण अनशन, पूर्वी क्षेत्र के सभी लोकेशनों पर विरोध प्रदर्शन जारी
12-Mar-2025 06:01 PM
By First Bihar
Air pollution in Bihar: देश में वायु प्रदूषण को कंट्रोल करने के लिए किए गए सरकारी प्रयासों के बावजूद, बिहार के लिए एक और शर्मनाक आकड़ा सामने आया है।
आईक्यूएयर की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया के 50 सबसे प्रदूषित शहरों में बिहार के 7 शहर शामिल हैं। इनमें भागलपुर, अररिया, पटना, हाजीपुर, छपरा, सहरसा और मुजफ्फरपुर का नाम प्रमुखता से आया है। इस रिपोर्ट को वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए केंद्र और राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों और उनके प्रभाव का एनालिसिस करने के बाद इसे जारी किया गया है।
भागलपुर सबसे अधिक प्रदूषित
एक रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि बिहार के 11 शहर इस साल जनवरी में देश के दैनिक शीर्ष-10 सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में कम से कम एक बार जरूर शामिल हुए। इनमें भागलपुर 28 बार, सहरसा 21 बार, छपरा 13 बार, राजगीर 8 बार, अररिया 7 बार, आरा 6 बार, पटना 4 बार, किशनगंज, पूर्णिया, समस्तीपुर और मुजफ्फरपुर 1-1 बार इस सूची में रहे।
सरकार की नीतियां असफल, प्रदूषण नियंत्रण में लापरवाही
रिपोर्ट के अनुसार, बीते एक वर्ष में इन शहरों में 346 दिन वायु गुणवत्ता मानकों से नीचे रही। यह भी सामने आया कि बिहार के ये शहर अभी तक केंद्र सरकार की राष्ट्रीय स्वच्छ वायु योजना (NCAP) का हिस्सा नहीं हैं। इस योजना के लागू हुए करीब पांच साल पूरे होने को है हालाँकि , सरकार अब तक अपने निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने में असफल रही है। योजना में तय लक्ष्यों को पूरा न करने पर किसी भी तरह की जिम्मेवारी फिक्स न होने के प्रावधान के कारण सरकारी तंत्र में लापरवाह रही ,लिहाजा सही से काम नही हुआ जिससे प्रदूषण नियंत्रण की प्रक्रिया धीमी पड़ी।
WHO के मानकों से बेहद गंदा है बिहार की हवा
आपको बता दे की ,साल 2023 में बिहार के इन 11 शहरों में से 90% दिनों की वायु गुणवत्ता विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानकों से खराब पाई गई। राष्ट्रीय मानकों की तुलना में भी इन शहरों की वायु गुणवत्ता 70% दिनों तक खराब रही। केवल सासाराम और मंगुराहा (वाल्मीकि टाइगर रिजर्व) ऐसे क्षेत्र रहे, जहां 50% दिनों की वायु गुणवत्ता राष्ट्रीय मानकों के अनुसार संतोषजनक थी।
सरकार की उदासीनता और उचित कार्रवाई की कमी की वजह से बिहार में बढ़ता वायु प्रदूषण न केवल पर्यावरण बल्कि जनता के स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर खतरा बनता जा रहा है।ऐसे में अब देखना ये होगा की बिहार सरकार आगे क्या कदम उठाती है |