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Janmashtami 2025: 16 अगस्त को मनाई जाएगी कृष्ण जन्माष्मी, जानिए.... पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

Janmashtami 2025: कृष्ण जन्माष्टमी 2025 इस बार 16 अगस्त को मनाई जाएगी। जानिए पूजन मुहूर्त, पूजा विधि, पूजन सामग्री और तिथि-नक्षत्र का संपूर्ण विवरण। भगवान श्रीकृष्ण को झूले में झुलाएं और लड्डू गोपाल का करें भव्य श्रृंगार।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 15 Aug 2025 02:48:38 PM IST

Janmashtami 2025

कृष्ण जन्माष्टमी 2025 - फ़ोटो GOOGLE

Janmashtami 2025:भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था, इसलिए इस पर्व को कृष्ण जन्माष्टमी या जन्माष्टमी कहा जाता है। इसे कृष्णाष्टमी, गोकुलाष्टमी, अष्टमी रोहिणी, श्रीकृष्ण जयंती जैसे अन्य नामों से भी जाना जाता है। जन्माष्टमी का विशेष महत्व इसलिए भी है क्योंकि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था, जो धर्म और न्याय के प्रतीक माने जाते हैं। इस दिन उनकी बाल लीला, जीवन के प्रसंग और उपदेशों को याद किया जाता है और भक्तजन उनके बाल स्वरूप ‘लड्डू गोपाल’ की पूजा करते हैं।


इस साल कृष्ण जन्माष्टमी 16 अगस्त 2025 को मनाई जाएगी। जन्माष्टमी की अष्टमी तिथि 15 अगस्त की रात 11 बजकर 49 मिनट से शुरू होकर 16 अगस्त की रात 9 बजकर 34 मिनट पर समाप्त होगी। मुहूर्त के अनुसार पूजा का शुभ समय 17 अगस्त की आधी रात 12:04 से 12:47 तक रहेगा, जबकि पारण 17 अगस्त की सुबह 5:51 बजे के बाद किया जाएगा। ध्यान देने वाली बात है कि भगवान कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था, पर इस वर्ष रोहिणी नक्षत्र 17 अगस्त की सुबह 4:38 बजे से शुरू होकर 18 अगस्त की सुबह 3:17 बजे तक रहेगा, इसलिए इस बार जन्माष्टमी और रोहिणी नक्षत्र का संयोग नहीं बन रहा है।


कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भक्त सुबह उठकर शुद्ध स्नान करते हैं और व्रत का संकल्प लेते हैं। इसके बाद भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है। बाल गोपाल को नए वस्त्र, मुकुट, बांसुरी और वैजयंती माला से सजाया जाता है। पूजा के दौरान दूध, गंगाजल से अभिषेक किया जाता है। तुलसी के पत्ते, फल, माखन, मिश्री आदि भोग के रूप में अर्पित किए जाते हैं। अंत में आरती उतारकर प्रसाद वितरण किया जाता है।


पूजन सामग्री में भगवान कृष्ण की मूर्ति या प्रतिमा, झूला, बांसुरी, मुकुट, आभूषण, तुलसी दल, चंदन, अक्षत, माखन, केसर, इलायची, कलश, गंगाजल, हल्दी, पान, सुपारी, सिंहासन, वस्त्र (सफेद और लाल), कुमकुम, नारियल, मौली, इत्र, सिक्के, धूप, दीप, अगरबत्ती, फल और कपूर आदि शामिल होते हैं।


इस वर्ष के जन्माष्टमी समारोह में विभिन्न मंदिरों और पंडालों पर रंगारंग कार्यक्रम होंगे, जिसमें रासलीला नाट्य प्रस्तुतियाँ, भजन कीर्तन और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। कई स्थानों पर मध्यरात्रि को भगवान कृष्ण के जन्म का सांकेतिक रूप से मंचन किया जाएगा। इसके साथ ही भक्तजन रातभर जागरण करते हुए श्रीकृष्ण की महिमा का गुणगान करेंगे।


कृष्ण जन्माष्टमी केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि यह आध्यात्मिक जागरूकता, धर्म के पालन और समाज में प्रेम, करुणा व सद्भाव के संदेश को भी प्रसारित करता है। इस दिन किए गए व्रत और भजन से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव और आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति होती है। कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार पूरे भारत और विश्वभर में भक्तिभाव से मनाया जाता है, जो भगवान श्रीकृष्ण के जीवन और शिक्षाओं को याद करने का पावन अवसर है।