Nepal Protest: बिहार बॉर्डर तक पहुंची नेपाल हिंसा की आग, चेकपोस्ट पर आगजनी; अलर्ट पर पुलिस और SSB Nepal Protest: बिहार बॉर्डर तक पहुंची नेपाल हिंसा की आग, चेकपोस्ट पर आगजनी; अलर्ट पर पुलिस और SSB Bihar Politics: गयाजी में NDA का कार्यकर्ता सम्मेलन, हजारों महिला और पुरुष हुए शामिल Bihar Politics: गयाजी में NDA का कार्यकर्ता सम्मेलन, हजारों महिला और पुरुष हुए शामिल मुंगेर: असरगंज कच्ची कांवरिया पथ पर मिला दुर्लभ रसेल वाइपर, वन विभाग ने किया रेस्क्यू BIHAR ELECTION : महागठबंधन के मुकाबले BJP का मास्टर प्लान तैयार, संघ के साथ बूथ से लेकर सोशल मीडिया तक बड़ी तैयारी Bihar Politics: बिहार में आमरण अनशन पर बैठे आरजेडी विधायक की तबीयत बिगड़ी, पटना रेफर Bihar Politics: बिहार में आमरण अनशन पर बैठे आरजेडी विधायक की तबीयत बिगड़ी, पटना रेफर Bihar Crime News: बिहार में सुनसान घर को चोरों ने बनाया निशाना, साढ़े 9 लाख रुपए के गहने और इतना कैश लेकर हुए फरार BPSC TRE 4 Protest : सड़क पर उतरे BPSC TRE 4 के छात्र, पुलिस ने चटकाई लाठियां तो आया शिक्षा मंत्री का जवाब; जानिए क्या कहा
1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 09 Sep 2025 01:08:59 PM IST
जितिया व्रत - फ़ोटो GOOGLE
Jitiya Vrat 2025: हिंदू धर्म में जितिया व्रत, जिसे 'जीवित्पुत्रिका व्रत' भी कहा जाता है, माताओं द्वारा अपने संतान की लंबी उम्र, सुख और सुरक्षा के लिए रखा जाता है। यह व्रत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी से नवमी तिथि तक मनाया जाता है, लेकिन इसका मुख्य दिन अष्टमी तिथि होता है। इस वर्ष 2025 में जितिया व्रत 14 सितंबर, रविवार को रखा जाएगा, जबकि नहाय-खाय 13 सितंबर और व्रत का पारण 15 सितंबर को होगा।
यह व्रत विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, और नेपाल के कुछ हिस्सों में बड़े श्रद्धा-भाव से मनाया जाता है। यह निर्जला उपवास होता है, यानी व्रती महिलाएं जल तक ग्रहण नहीं करतीं। व्रत की शुरुआत 'नहाय-खाय' से होती है, जिसमें महिलाएं सात्विक भोजन कर अगले दिन का उपवास प्रारंभ करती हैं। 14 सितंबर को निर्जला उपवास रखा जाएगा और 15 सितंबर को प्रातः 6:27 बजे के बाद व्रत का पारण किया जाएगा।
पंचांग के अनुसार तिथियां-
नहाय-खाय: 13 सितंबर 2025 (शनिवार)
निर्जला उपवास (मुख्य व्रत): 14 सितंबर 2025 (रविवार)
व्रत पारण: 15 सितंबर 2025 (सोमवार), प्रातः 6:27 बजे के बाद
अष्टमी तिथि का समय: 14 सितंबर सुबह 8:41 बजे से शुरू होकर 15 सितंबर सुबह 6:27 बजे तक
इस दिन महिलाएं विशेष रूप से जितिया धागा बांधती हैं, जिसे 'रक्षा सूत्र' की तरह माना जाता है। यह रंगीन धागा संतान की सुरक्षा और आयु वृद्धि के लिए बांधा जाता है। मान्यता है कि इस धागे की शक्ति से संतान पर आने वाले संकट टल जाते हैं।
जितिया व्रत में भगवान शिव, माता पार्वती और जीवित्पुत्रिका देवी की पूजा की जाती है। महिलाएं पूरे दिन व्रत रखकर संतान के कल्याण के लिए उपासना करती हैं। पूजन में लाल वस्त्र, फल, फूल, धूप-दीप, अक्षत, जल और मिठाइयों का प्रयोग होता है। कई स्थानों पर इस दिन व्रती महिलाएं मिट्टी से बनाए गए जीवित्पुत्रिका स्वरूप की पूजा करती हैं और व्रत कथा का श्रवण करती हैं।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव से पूछा कि ऐसा कौन-सा व्रत है जिससे संतान को दीर्घायु और आपत्तियों से रक्षा मिले। तब शिव ने उन्हें जीवित्पुत्रिका व्रत के बारे में बताया। इस व्रत को रखने से संतान का वियोग नहीं होता और वह सुखी, समृद्ध और दीर्घायु जीवन प्राप्त करती है।