Jitiya Vrat 2025: किस दिन मनाया जाएगा जितिया व्रत, जानिए... तिथि और नियम

Jitiya Vrat 2025: हिंदू धर्म में जितिया व्रत, जिसे 'जीवित्पुत्रिका व्रत' भी कहा जाता है, माताओं द्वारा अपने संतान की लंबी उम्र, सुख और सुरक्षा के लिए रखा जाता है। जानिए... इस बार किस दिन है व्रत।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 09 Sep 2025 01:08:59 PM IST

Jitiya Vrat 2025

जितिया व्रत - फ़ोटो GOOGLE

Jitiya Vrat 2025: हिंदू धर्म में जितिया व्रत, जिसे 'जीवित्पुत्रिका व्रत' भी कहा जाता है, माताओं द्वारा अपने संतान की लंबी उम्र, सुख और सुरक्षा के लिए रखा जाता है। यह व्रत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी से नवमी तिथि तक मनाया जाता है, लेकिन इसका मुख्य दिन अष्टमी तिथि होता है। इस वर्ष 2025 में जितिया व्रत 14 सितंबर, रविवार को रखा जाएगा, जबकि नहाय-खाय 13 सितंबर और व्रत का पारण 15 सितंबर को होगा।


यह व्रत विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, और नेपाल के कुछ हिस्सों में बड़े श्रद्धा-भाव से मनाया जाता है। यह निर्जला उपवास होता है, यानी व्रती महिलाएं जल तक ग्रहण नहीं करतीं। व्रत की शुरुआत 'नहाय-खाय' से होती है, जिसमें महिलाएं सात्विक भोजन कर अगले दिन का उपवास प्रारंभ करती हैं। 14 सितंबर को निर्जला उपवास रखा जाएगा और 15 सितंबर को प्रातः 6:27 बजे के बाद व्रत का पारण किया जाएगा।


पंचांग के अनुसार तिथियां-

नहाय-खाय: 13 सितंबर 2025 (शनिवार)

निर्जला उपवास (मुख्य व्रत): 14 सितंबर 2025 (रविवार)

व्रत पारण: 15 सितंबर 2025 (सोमवार), प्रातः 6:27 बजे के बाद

अष्टमी तिथि का समय: 14 सितंबर सुबह 8:41 बजे से शुरू होकर 15 सितंबर सुबह 6:27 बजे तक



इस दिन महिलाएं विशेष रूप से जितिया धागा बांधती हैं, जिसे 'रक्षा सूत्र' की तरह माना जाता है। यह रंगीन धागा संतान की सुरक्षा और आयु वृद्धि के लिए बांधा जाता है। मान्यता है कि इस धागे की शक्ति से संतान पर आने वाले संकट टल जाते हैं।


जितिया व्रत में भगवान शिव, माता पार्वती और जीवित्पुत्रिका देवी की पूजा की जाती है। महिलाएं पूरे दिन व्रत रखकर संतान के कल्याण के लिए उपासना करती हैं। पूजन में लाल वस्त्र, फल, फूल, धूप-दीप, अक्षत, जल और मिठाइयों का प्रयोग होता है। कई स्थानों पर इस दिन व्रती महिलाएं मिट्टी से बनाए गए जीवित्पुत्रिका स्वरूप की पूजा करती हैं और व्रत कथा का श्रवण करती हैं।


पौराणिक मान्यता के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव से पूछा कि ऐसा कौन-सा व्रत है जिससे संतान को दीर्घायु और आपत्तियों से रक्षा मिले। तब शिव ने उन्हें जीवित्पुत्रिका व्रत के बारे में बताया। इस व्रत को रखने से संतान का वियोग नहीं होता और वह सुखी, समृद्ध और दीर्घायु जीवन प्राप्त करती है।