बसपा प्रत्याशी चितरंजन कुमार को AIMIM ने दिया समर्थन, रोमांचक हुई वजीरगंज विधानसभा चुनाव Bihar Election 2025: चुनावी सभा में सम्राट चौधरी ने बताया ‘लालटेनिया’ का मतलब, लालू परिवार पर जमकर बरसे Bihar Election 2025: चुनावी सभा में सम्राट चौधरी ने बताया ‘लालटेनिया’ का मतलब, लालू परिवार पर जमकर बरसे Bihar Election 2025: बिहार के इस नक्सल प्रभावित इलाके में 73 साल बाद होगी वोटिंग, चुनाव को लेकर मतदाताओं में भारी उत्साह ब्रजेश ऑटोमोबाइल्स महिन्द्रा ने रचा नया कीर्तिमान, सितम्बर-अक्टूबर में 2035 वाहनों की डिलीवरी Bihar Election 2025: ‘लालू-नीतीश ने बिहार के बच्चों की पीठ पर मजदूरी का बोरा बांधा’, प्रशांत किशोर का बड़ा हमला Bihar Election 2025: ‘लालू-नीतीश ने बिहार के बच्चों की पीठ पर मजदूरी का बोरा बांधा’, प्रशांत किशोर का बड़ा हमला ISRO GSAT-7R Launch: ISRO ने नौसेना के लिए एडवांस्ड सैटेलाइट GSAT-7R को किया लॉन्च, अंतरिक्ष से समुद्री सीमा की होगी सख्त निगरानी ISRO GSAT-7R Launch: ISRO ने नौसेना के लिए एडवांस्ड सैटेलाइट GSAT-7R को किया लॉन्च, अंतरिक्ष से समुद्री सीमा की होगी सख्त निगरानी Pankaj Tripathi Mother Death: एक्टर पंकज त्रिपाठी की मां का निधन, हेमवती देवी ने 89 वर्ष की आयु में ली आखिरी सांस
1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 12 Jan 2025 06:00:33 AM IST
Holashtak 2025 - फ़ोटो Holashtak 2025
Holashtak 2025: हिंदू धर्म में होलाष्टक का विशेष महत्व है, जो होली से 8 दिन पहले शुरू होता है। यह समय किसी भी प्रकार के शुभ कार्य जैसे शादी, सगाई, मुंडन या अन्य धार्मिक अनुष्ठान करने के लिए अनुकूल नहीं माना जाता। हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार, होलाष्टक के दौरान सभी आठ ग्रह अशुभ हो जाते हैं, और यदि इस दौरान कोई शुभ कार्य किया जाता है तो उसमें विघ्न आ सकते हैं, साथ ही वह सफल नहीं हो पाते। होलाष्टक की शुरुआत फाल्गुन शुक्ल अष्टमी तिथि से होती है और इस साल यह 7 मार्च से शुरू हो रहा है, जबकि इसका समापन 13 मार्च को होगा।
होलाष्टक का धार्मिक और पौराणिक महत्व
उत्तराखंड के ऋषिकेश स्थित ग्रह स्थानम के ज्योतिषी अखिलेश पांडेय के अनुसार, होलाष्टक का महत्व हिंदू पंचांग और धार्मिक मान्यताओं से जुड़ा है। धार्मिक दृष्टिकोण से यह माना जाता है कि होलाष्टक के दौरान भगवान शिव ने कामदेव को भस्म कर दिया था, जिससे प्रेम और सौहार्द का प्रतीक देवता का प्रभाव पृथ्वी पर समाप्त हो गया और इस कारण संसार में शोक का माहौल बना। इसी दौरान भक्त प्रह्लाद को उनके पिता हिरण्यकश्यप द्वारा कठिन यातनाएं दी गई थीं, और यही कारण है कि इन आठ दिनों को अशुभ माना जाता है। इसलिए इन दिनों में कोई शुभ कार्य नहीं किए जाते।
होलाष्टक के दौरान ग्रहों की स्थिति
होलाष्टक का एक ज्योतिषीय दृष्टिकोण भी है, जिसके अनुसार इन आठ दिनों में सभी ग्रहों की स्थिति उग्र रहती है। इस समय चंद्र, सूर्य, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि और राहु-केतु जैसे ग्रह शुभ प्रभाव नहीं देते, जिससे कोई भी शुभ कार्य के लिए अनुकूल समय नहीं होता।
होलाष्टक के दौरान शुभ कार्यों पर प्रतिबंध लगाने की परंपरा पौराणिक कथाओं, धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिष शास्त्र से जुड़ी है। यह समय किसी भी शुभ कार्य के लिए अनुकूल नहीं माना जाता है, और इस दौरान लोग अपनी पूजा-अर्चना और साधना पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जबकि अन्य धार्मिक कार्यों को टाल देते हैं।