Bihar Election 2025: खेसारी लाल यादव के रोड शो की शोर में दब गई मरीज की चीख, 45 मिनट तक एंबुलेंस में तड़पती रही महिला Bihar Election 2025: खेसारी लाल यादव के रोड शो की शोर में दब गई मरीज की चीख, 45 मिनट तक एंबुलेंस में तड़पती रही महिला US Visa Rules 2025: अमेरिका ने वीज़ा नियमों में किया सख्त बदलाव, अगर ये बीमारियां हैं तो US में नहीं मिलेगी एंट्री US Visa Rules 2025: अमेरिका ने वीज़ा नियमों में किया सख्त बदलाव, अगर ये बीमारियां हैं तो US में नहीं मिलेगी एंट्री Government Office New Time Table: क्यों बदल गई सरकारी दफ्तरों की टाइमिंग? जानिए.. अब कितने बजे खुलेंगे गवर्मेंट ऑफिस Government Office New Time Table: क्यों बदल गई सरकारी दफ्तरों की टाइमिंग? जानिए.. अब कितने बजे खुलेंगे गवर्मेंट ऑफिस Bihar Election 2025: ‘बिहार में पहले चरण की वोटिंग के दौरान नहीं हुई कोई गड़बड़ी’, चुनाव आयोग का दावा Bihar Election 2025: ‘बिहार में पहले चरण की वोटिंग के दौरान नहीं हुई कोई गड़बड़ी’, चुनाव आयोग का दावा Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के बीच बसपा का बड़ा एक्शन, पार्टी उम्मीदवार को 6 साल के लिए निकाला Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के बीच बसपा का बड़ा एक्शन, पार्टी उम्मीदवार को 6 साल के लिए निकाला
1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 12 Jan 2025 08:45:02 AM IST
Butati Dham - फ़ोटो Butati Dham
Butati Dham: राजस्थान के नागौर जिले के देगाना तहसील में स्थित बुटाटी धाम एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, जहां संत चतुरदास जी महाराज का मंदिर स्थित है। यह मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं बल्कि पैरालिसिस (लकवा) के मरीजों के लिए एक चमत्कारी इलाज का केंद्र बन चुका है। मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां सात दिन तक नियमित रूप से आरती और परिक्रमा करने से लकवे के मरीज ठीक होकर जाते हैं या बहुत हद तक उनकी स्थिति में सुधार होता है।
मंदिर का महत्व
बुटाटी धाम में श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं, खासकर वे लोग जो पैरालिसिस या लकवे के मरीज होते हैं। मंदिर के प्रबंधन कमेटी का कहना है कि यहां इलाज पूरी तरह से मुफ्त होता है। मरीजों को सात दिन तक यहां रुकने के लिए कहा जाता है, और इन सात दिनों के दौरान उन्हें सुबह और शाम की आरती में भाग लेना होता है, साथ ही मंदिर के अंदर और बाहर परिक्रमा करनी होती है। इन सभी गतिविधियों को नियमित रूप से करने के बाद, यहां आने वाले मरीजों को लकवे में बहुत हद तक सुधार मिलता है।
परिक्रमा की प्रक्रिया
मंदिर में आने वाले मरीजों को विशेष रूप से परिक्रमा करने के लिए कहा जाता है। सुबह की आरती के बाद, मरीजों को मंदिर के बाहर पहली परिक्रमा करनी होती है और शाम की आरती के बाद दूसरी परिक्रमा मंदिर के अंदर करनी होती है। दोनों परिक्रमा मिलकर एक पूरी परिक्रमा कहलाती है, और यह प्रक्रिया सात दिन तक जारी रहती है।
श्रद्धालुओं की भीड़
मकर संक्रांति के आसपास, बुटाटी धाम में भक्तों की संख्या में अचानक वृद्धि हो जाती है। पिछले कुछ दिनों से संध्या काल में आरती दर्शन के दौरान हजारों श्रद्धालु मंदिर में आकर शामिल हो रहे हैं। मंदिर परिसर में सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस जवानों ने भी अपनी ड्यूटी संभाली है ताकि भीड़ को नियंत्रित किया जा सके। इस समय श्रद्धालुओं की संख्या और बढ़ने का अनुमान है, खासकर मकर संक्रांति के बाद।
बुटाटी धाम तक पहुंचने का रास्ता
बुटाटी धाम, नागौर जिले के देगाना तहसील में स्थित है और यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन मेढ़ता रोड है, जो लगभग 45 किमी दूर है। यह स्टेशन जयपुर और जोधपुर रूट पर स्थित है। यहां से मंदिर तक पहुंचने के लिए जीप, ऑटो रिक्शा और अन्य स्थानीय परिवहन सेवाएं उपलब्ध हैं। ठहरने के लिए मंदिर परिसर में भी सुविधाएं मौजूद हैं, जबकि गेस्ट हाउस अजमेर-कोटा रोड पर है जो मंदिर से आधे किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
बुटाटी धाम सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं बल्कि एक चिकित्सा केंद्र भी बन चुका है, जहां लाखों लोग आस्था के साथ आकर उपचार प्राप्त करते हैं। यहां की विशिष्ट पूजा विधि और परिक्रमा से न केवल शारीरिक कष्टों से राहत मिलती है, बल्कि मानसिक शांति और आस्था की भी प्राप्ति होती है। इस मंदिर के प्रति लोगों की श्रद्धा और विश्वास ने इसे एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल बना दिया है, जहां आने वाले हर भक्त को राहत और संतुष्टि मिलती है।