अमरनाथ एक्सप्रेस की बोगी में महिला ने दिया बच्चे को जन्म, समस्तीपुर में भर्ती फतुहा में पुनपुन नदी में नाव पलटी, दो लापता; 18 लोग तैरकर बचे नीसा देवगन बनीं ग्रेजुएट, काजोल ने चिल्लाकर कहा.. ‘कम ऑन बेबी’, वीडियो वायरल अरवल: हत्या के दो फरार आरोपियों के घर पुलिस ने चिपकाया इस्तेहार, 30 दिन में सरेंडर का आदेश बिहार में शराब तस्करी का खेल जारी: अंडे की कैरेट के बीच छिपाकर मुजफ्फरपुर ले जाई जा रही थी 3132 लीटर विदेशी शराब, ट्रक जब्त Bihar News: 351 फीट का अनोखा कांवर लेकर मुजफ्फरपुर पहुंचे शिवभक्त, बाबा गरीबनाथ धाम में करेंगे जलाभिषेक दिल्ली में स्वामी करपात्री जी की जयंती पर भव्य समारोह, केंद्रीय मंत्री, सांसद और पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई हुए शामिल दिल्ली में स्वामी करपात्री जी की जयंती पर भव्य समारोह, केंद्रीय मंत्री, सांसद और पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई हुए शामिल कंकड़बाग में युवक पर चाकू से हमला, आपसी रंजिश का मामला; तीन आरोपी गिरफ्तार समाजसेवी अजय सिंह ने बाढ़ प्रभावित जवैनिया गांव का किया दौरा, राहत सामग्री का किया वितरण
1st Bihar Published by: Viveka Nand Updated Wed, 01 Jan 2025 02:07:16 PM IST
नेता का कार्टून - फ़ोटो Google
Bihar Politics: बिहार की सत्ताधारी पार्टी जेडीयू के एक नेता हैं, जिनकी एक मात्र पहचान छपास से है. पूर्व की सरकार में भी यही काम था, वर्तमान में भी इसी रास्ते पर चल रहे हैं. जहां देखिए वहां गुलदस्ता लिए खड़े मिल जाएंगे, राजकीय समारोह जहां सरकार के जाने का कार्यक्रम हो, वहां तो हर हाल में दिखेंगे. इसके बाद मीडिया में छप जाएंगे. दरअसल, इस गणेश परिक्रमा के पीछे बड़ा खेल है.पहला तो यह कि सरकार और पार्टी के मुखिया के संज्ञान में रहेंगे, ताकि बोर्ड-निगम में कोई बड़ा पद मिल जाय. वैसे, इस बार विधानसभा का टिकट के लिए भी बेकरार हैं. दूसरा बड़ा लाभ यह कि सरकार के पीछे तस्वीर आ जाएगी तो वैल्यू बना रहेगा. वो तस्वीर मीडिया में छप जाएगी तो मार्केट में पकड़ बनी रहेगी, जिससे धंधा बरकरार रहेगा. बताया जाता है कि मुखिया के पीछे तस्वीर छपते रहेगी तो राजधानी वाला कारोबार भी फलता-फूलता रहेगा.
जेडीयू के छपास रोगी नेता से दल के लोग भी परेशान
हम बात कर रहे हैं, जेडीयू के एक छपास रोगी नेता की. ये पार्टी संगठन में पदधारक( G.S.) भी हैं. लेकिन मुख्य काम चेहरा चमकाना है. चेहरा चमका कर कुछ पा लेने का मिशन है. इस छपास रोगी नेताजी से दल के लोग भी परेशान हैं. परेशान हों भी क्यों नहीं...इनका एक मात्र उद्देश्य छपना है. जिससे दल के दूसरे नेता भी चिढ़े रहते हैं. पार्टी के नेता अपने इस छपास रोगी नेता को अनेक उपनाम से संबोधित करते हैं. कोई छपास रोगी, तो कोई कुछ और कहता है.
छपास रोगी नेता का मिशन गुलदस्ता
खैर, इस चर्चा से आगे बढ़ते हैं. साल के पहले दिन छपास रोगी नेताजी पार्टी के मुखिया को गुलदस्ता देने को बेकरार दिखे. हालांकि एक बड़े नेता के सहयोग से मुखिया को गुलदस्ता देने में कामयाब हो गए। मिशन जैसे ही कामयाब हुआ, आनन-फानन में वो तस्वीर मीडिया में शेयर की गई, ताकि प्रचारित हो सके, हमने नए साल पर अपने नेता को गुलदस्ता देकर बधाई दे दिया. इसके बाद छपास रोगी नेताजी सुप्रीमो के गांव पहुंच गए. वहां की तस्वीरों में भी छपास रोगी दिखे.
बोर्ड-निगम के अध्यक्ष बनेंगे या मिलेगा टिकट ?
जानकार बताते हैं कि, छपास रोगी नेताजी काफी समय से बोर्ड-निगम में पद पाने को बेकरार हैं. हालांकि छपास रोगी नेता जी की डिमांड बढ़ते ही जा रही है. पहले बोर्ड-निगम में महत्वपूर्ण पद मिलने की लालसा पाल रखी थी. अब भोजपुर के एक विधानसभा सीट से पार्टी का टिकट मांग रहे हैं. हालांकि जिस सीट से दावेदारी कर रहे, वो भाजपा के खाते में है. छपास रोगी नेताजी बोर्ड-निगम में महत्वपूर्ण पद या विस का टिकट के लिए दिन-रात मिहनत कर रहे, हर जगह गुलदस्ता लेकर खड़ा दिख रहे हैं. हर वो काम कर रहे हैं, जिससे उन्हें लगता है पार्टी के मुखिया की कृपा बरसेगी. वैसे बता दें, छपास रोगी नेताजी बोर्ड-निगम में महत्वपूर्ण पद और विधायकी का टिकट का भी डिमांड कर चुके हैं. हालांकि डिमांड खारिज हो चुकी है.
तब लालू यादव के पीछे ऐसे ही खड़े होकर तस्वीर खींचवाते थे छपास रोगी नेताजी
बता दें, छपास रोगी नेताजी, जो हर कार्यक्रम में तस्वीर खिंचाने-छपवाने को बेकरार रहते थे, पूर्व की सरकार(लालू-राबड़ी) में भी ऐसे ही पोज में रहते थे. तस्वीर छपवाकर खूब टीआरपी बटोरी थी. सत्ता जाने के बाद पलटी मारी, अब वर्तमान सरकार के मुखिया के पीछे खड़े होकर, या गुलदस्ता देते तस्वीर खिंचवा कर अपनी राजनैतिक दुकान चमकाने में लगे हैं. अब देखना होगा कि छपास रोगी नेताजी बोर्ड-निगम का अध्यक्ष बन पाते हैं या नहीं ? टिकट की आस पूरी हो पाती है या नहीं ?