BETTIAH: “कोरोना सटत नइखे. एंहबा सीताजी समाइल बाड़ी, बाल्मिकी के तपोभूमि बा. केहू के कोरोना ना होई.” बेतिया में कल नामांकन के दौरान कोरोना प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ा कर जनसभा करने वाले बीजेपी विधायक ने खुले मंच से कुछ ऐसे ही भाषण दिया. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल, पूर्व केंद्रीय मंत्री राधामोहन सिंह की मौजूदगी में बेतिया के रमना मैदान में सोमवार को हुई. जनसभा में कोरोना से संबंधित नियमों का माखौल उड़ा दिया गया. बीजेपी के उम्मीदवारों के नामांकन के मौके पर ये जनसभा रखी गयी थी. बात सत्ताधारी पार्टी की थी लिहाजा जिला प्रशासन को कोविड से संबंधित कानून की याद तक नहीं आयी.
हद देखिये. इस बेलगाम सभा में लौरिया से बीजेपी के विधायक और भोजपुरी गायक विनय बिहारी सीता मइया और महर्षि वाल्मिकी की कृपा से कोरोना के भाग जाने का दावा करते रहे. सभा में उन्होंने कहा कि पश्चिम चंपारण की धरती में सीता जी समायी हुई हैं. यहां कोरोना हो ही नहीं सकता.
बेतिया से बीजेपी प्रत्याशी रेणु देवी के नामांकन के बाद ये जनसभा रखी गयी थी. इसमें शिरकत करने बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल हेलीकॉप्टर से पहुंचे थे. सभा में ज्यादातर लोग बगैर मास्क के थे. सोशल डिस्टेंसिंग नाम की कोई चीज देखने को नहीं मिली. जनता की कौन कहे, मंच पर ही मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ा दी गयी.
दिलचस्प बात ये है कि बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल खुद कोविड के शिकार बन चुके हैं. वे बेतिया से ही आते हैं. कुछ दिनों पहले ही कोरोना के शिकार बने बेतिया बीजेपी के नगर अध्यक्ष कन्हैया लाल गुप्ता की मौत हो चुकी है. इसके बावजूद बीजेपी को कोविड से बचाव के नियम याद नहीं आये.
उधर प्रशासन बेखबर था. शायद इसलिए क्योंकि जनसभा सत्ताधारी पार्टी की थी. बेतिया के रमना मैदान में चुनाव आयोग की वीडियो रिकार्डिंग की टीम कहीं नजर नहीं आयी. ना कोई एंबुलेंस था और ना ही कोई स्वास्थ्यकर्मी दिखा. जबकि चुनाव आयोग ने कोरोना काल में जनसभा के लिए नियमों की लंबी फेहरिस्त जारी कर रखी है.
मीडियाकर्मियों ने जब पश्चिम चंपारण के जिलाधिकारी कुंदन कुमार ने इस बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि वे इसकी जांच करायेंगे. हम आपको बता दें कि चुनाव आयोग ने कोरोना काल में किसी जनसभा के लिए मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग से लेकर सेनेटाइजर की व्यवस्था करने जैसे निर्देश दे रखे हैं. इसका पालन नहीं करने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई के भी आदेश दिये गये हैं. लेकिन सवाल ये है कि सत्ताधारी पार्टी के नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की हिम्मत क्या प्रशासनिक अमले में है.