PATNA : नीतीश कुमार ने जब से विपक्षी एकता की मुहिम छेड़ी है तब से भाजपा के तरफ से एक ही सवाल किया जा रहा है कि आखिर विपक्ष का दूल्हा कौन है यानी विपक्ष का पीएम फेस कौन है। जिसके बाद आप विपक्षी एकता की बैठक के बाद आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में लालू यादव ने स्पष्ट कर दिया है कि विपक्ष का दूल्हा कौन है ? किसके लिए बरात की तैयारी करनी है ?
दरअसल, राजद सुप्रीमो लालू यादव ने विपक्षी एकता की बैठक के बाद राहुल गांधी को एक सलाह देते हुए कहा कि- आप शादी कीजिए और दूल्हा बनिए , हम लोगआपके बाराती में शामिल होंगे। आपकी मम्मी का भी यही कहना है। अब लालू के इस पूरे बात के एक अलग मायने भी निकाले जा रहे हैं। ऐसा कहा जा रहा है लालू अपने जिस अंदाज के लिए जाने जाते हैं। उसी अंदाज में उन्होंने भाजपा के सवालों का जवाब दे दिया है कि विपक्ष का चेहरा किसे बनाया जाना है और दूल्हा किसे बनना है।
लालू के इस पूरे बातचीत को समझने वालों का कहना है कि, लालू का यह कहना कि आप दूल्हा बनिए का मतलब है कि आप पीएम पद के लिए आगे बढिए और तैयारी शुरू किगिए और दूसरी बात की हमलोग बाराती बनेंगे का अर्थ है हमलोग आपका समर्थन करने के लिए तैयार है। जिसके बाद अब ऐसा कहा जा रहा है कि लालू ने इशारों ही इशारों में यह बता दिया है कि विपक्ष एकता की मुहिम में किसे प्रधानमंत्री बनाने जाए ने की सहमति मिली है।
वहीं, इसके बाद सवाल यह भी बन रहा है कि राहुल गांधी के चुनाव लड़ने पर जब रोक लगा दिया गया है तो फिर वो पीएम की रेस में कैसे बन सकते हैं। तो सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि राहुल गांधी की सदस्यता लोकसभा सचिवालय से रद्द कर दी है।इनके ऊपर मानहानि का केस दर्ज होने के बाद सदस्यता रद्द की गई है और इनके चुनाव लड़ने पर रोक लगा दिया गया है। लेकिन लोकसभा सचिवालय ने यह निर्णय निचली अदालत के फैसले पर लिया है। इस लिहाजा अगर राहुल गांधी उपरी आदालत में अपने ऊपर दर्ज मानहानि के केस को लेकर याचिका दायर करते हैं और इस सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट निचली अदालत के फैसले को रद्द कर देता है तो राहुल फिर से चुनाव लड़ सकते हैं और पीएम बन सकते हैं।
आपको बताते चलें कि, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 8(1) और (2) के तहत प्रावधान है, अगर कोई सांसद या विधायक हत्या, दुष्कर्म, धर्म, भाषा और क्षेत्र के आधार पर शत्रुता पैदा करता है या किसी आतंकवादी गतिविधि या संविधान को अपमानित करने जैसे आपराधिक षड्यंत्र में शामिल होता है तो संसद और विधानसभा से उसकी सदस्यता रद्द कर दी जाएगी।
लेकिन, इसके अलावा इसी अधिनियम की धारा 8(3) में यह भी प्रावधान है कि ऊपर बताए गए अपराधों के अलावा भी अगर किसी अपराध में विधायक या सांसद को दोषी ठहराया गया और उसे 2 वर्ष से अधिक की सजा सुनाई गई तो इस संबंध में विधायक या सांसद की सदस्यता रद्द हो सकती है। इसके साथ ही उसके 6 वर्ष तक चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध भी लगा दिया जा सकता है। लेकिन सजा निचली अदालत से मिली है और ऊपरी अदालत से सजा पर रोक लगा दी जाती है तो सांसद या विधायक की सदस्यता वापस कर दी जाएगी।