विपक्षी एकता की मुहिम की निकाली हवा, जायसवाल बोले- बिहार और देश की राजनीति में नीतीश की पूछ नहीं

विपक्षी एकता की मुहिम की निकाली हवा, जायसवाल बोले- बिहार और देश की राजनीति में नीतीश की पूछ नहीं

PATNA: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार इस बात का दावा कर रहे हैं कि विधानसभा के बजट सत्र के बाद वे एक बार फिर से विपक्षी एकता की मुहिम को लेकर देश की यात्रा पर निकलेंगे हालांकि इसी बीच तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर ने अपनी पार्टी की बड़ी रैली कर नीतीश की मुहिम को बड़ा झटका दे दिया। तेलंगाना के खम्मम में आयोजित मेगा रैली में केसीआर ने विपक्षी दलों के कई नेताओं को बुलाया सीएम नीतीश कुमार को इस रैली में आने का न्यौता तक नहीं दिया। नीतीश कुमार को छोड़ विपक्ष के अन्य बड़े नेता रैली में शामिल हुए। केसीआर द्वारा रैली में नीतीश को नहीं बुलाने पर बिहार की राजनीति एक बार फिर से गरमा गई है। बीजेपी ने इसको लेकर सीएम नीतीश पर जोरदार हमला बोला है। बिहार बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने कहा है कि केसीआर ने नीतीश के मुहिम की हवा निकाल दी है।


संजय जायसवाल ने कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार देश की राजनीति में पूरी तरह से अप्रासंगिक हो गए हैं। नीतीश कुमार को न तो बिहार की राजनीति में कोई पूछ रहा है और ना ही देश की राजनीति में ही उनकी कोई पूछ हो रही है। जिसका नतीजा है कि केसीआर ने नीतीश की मुहिम की हवा निकाल दी। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार आज के समय में केवल इसलिए यात्रा कर रहे हैं क्योंकि उन्हें कोई पूछ नहीं रहा है।  


नीतीश कुमार के फिर से पलटी मारने की संभावना के सवाल पर संजय जायसवाल ने कहा है कि यह चाचा-भतीजे की नूरा कुश्ती के अवाला और कुछ नहीं है।चाचा-भतीजा को बिहार का विकास को करना नहीं है इसलिए दोनों एक रणनीति के तहत कभी अपने मंत्री को कहते हैं कि किसी धर्म को लेकर विवाद टिप्पणी करो तो कभी किसी मंत्री को सेना के खिलाफ बयान देने को कहते हैं लेकिन बीजेपी अपन बल पर आगे चलेगी और लोकसभा में 36 से अधिक सीटें जीतेंगी। 


वहीं आरा में मुख्यमंत्री के कारकेट के लिए ट्रेन को रोकने के सवाल पर संजय जायसवाल ने कहा कि यह बेहद ही दुखत स्थिति है। इस तरह की चीजों की छूट किसी भी हालत में किसी को नहीं दी जा सकती है। एक तरफ जहां पीएम मोदी ने देश से लाल बत्ती कल्चर को खत्म करने का काम किया है तो वही दूसरी तरफ मुख्यमंत्री के काफिले के लिए ट्रेन को रोकवाया गया। ट्रेन को किसके कहने और किसके दबाव में रोका गया, यह निश्चित तौर पर जांच का विषय है। अगर भोजपुर के एसडीएम ने स्टेशन मास्टर को ट्रेन को रोके रखने का दबाव दिया है तो निश्चित तौर पर कार्रवाई होनी चाहिए।