विपक्षी एकता की बैठक पर बोले नीतीश कुमार: हमको राजगीर आना था इसलिए बेंगलुरू से चले आये, प्रेंस कांफ्रेंस में रहना कोई जरूरी था?

विपक्षी एकता की बैठक पर बोले नीतीश कुमार: हमको राजगीर आना था इसलिए बेंगलुरू से चले आये, प्रेंस कांफ्रेंस में रहना कोई जरूरी था?

PATNA: बेंगलुरू में दो दिनों तक विपक्षी पार्टियों की बैठक में नीतीश कुमार की नाराजगी की खबरों के बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी चुप्पी तोड़ी है. नीतीश ने कहा-मेरी इच्छा राजगीर की थी न, हमारे मन में हो रहा था कि राजगीर जाने में देर हो रही है. इसलिए हम बेंगलुरू से आ गये. और कोई बात नहीं है.


नीतीश कुमार ने विपक्षी पार्टियों की बैठक को लेकर अपनी सफाई आज राजगीर में मलमास मेले के उद्घाटन के दौरान दिया. बता दें कि नीतीश कुमार कल शाम ही बेंगलुरू से लौट आये थे. उन्हें आज दोपहर एक बजे राजगीर में मलमास मेले का उद्घाटन करना था. पटना से वे बुधवार को लगभग 12 बजे हेलीकॉप्टर से राजगीर के लिए उड़े. लेकिन बेंगलुरू की बैठक से मंगलवार की शाम करीब 4 बजे ही निकल गये थे और शाम 7 बजे के करीब पटना भी पहुंच गये थे. वे विपक्षी पार्टियों की साझा प्रेस कांफ्रेंस में शामिल नहीं हुए. ना ही पटना लौटने पर मीडिया से कोई बात की. आज सुबह भी जब वे राजगीर के लिए निकल रहे थे तो मीडियाकर्मियों का हुजूम उनका इंतजार कर रहा था लेकिन नीतीश खामोशी से राजगीर निकल गये. 


मलमास मेले में नीतीश ने दी सफाई

राजगीर में आज मलमास मेले का उद्घाटन हुआ. मेले का उद्घाटन करने के बाद लोगों को संबोधित करते हुए नीतीश ने सफाई दी-“कल तो अनेक पार्टियों की मीटिंग थी. तो वहां का मीटिंग होके चल दिये. आज कह रहा है कि जो प्रेस कांफ्रेंस हो रहा था, उसमें हम थे ही नहीं. त हम कह के, सब बात मानिये लिया है सब. वहां से उठके चले आये हम यहां. इसलिए कि मेरी इच्छा राजगीर की हो रही थी न. हम को मन था कि राजगीर देर हो रहा है हमको. तो इसलिए हम आ गये हैं. और कोई बात नहीं है.”


प्रेस कांफ्रेंस में रहना कोई जरूरी नहीं था

मलमास मेले के उद्घाटन के बाद नीतीश ने मीडिया से बात की. सवाल पूछा गया कि भाजपा कह रही है कि आप नाराज होकर बेंगलुरू से चले आये. नीतीश का जवाब था-“हमरा त मन राजगीर का कर रहा था. वहां काम कर लिये, हमको लग रहा था यहां का. छोड़ न दीजिये बीजेपी का. वहां मीटिंग करके जो बात हो गया तो कोई जरूरी है कि बैठ कर के बोला जाये. हमको तुरंत आना था इसलिए लौट कर आ गये. कोई खास बात नहीं.”


नीतीश बोले-वहां(बेंगलुरू में) बहुत अच्छा हो गया है. बहुत सर्वसम्मति से हुआ है. और ठीक ढंग से हुआ है. इसलिए कोई दिक्कत नहीं है. हमने तो सुझाव दे ही दिया है. मीडिया ने पूछा कि क्या उन्हें INDIA नाम पर आपत्ति है. नीतीश ने कहा कि पता नहीं कौन कुछ कुछ चला देता है. नीतीश कुमार ने कहा कि उनकी कोई इच्छा नहीं है कि वे विपक्षी दलों के संयुक्त संगठन का संयोजक बने. 


पत्रकारों ने एनडीए की बैठक को लेकर सवाल पूछा तो नीतीश कुमार ने कहा कि क्या नरेंद्र मोदी ने पहले कभी एनडीए की बैठक बुलायी थी. 1999 में अटल जी के समय एनडीए बना था तो उस समय बैठक होती थी. लेकिन इनलोगों ने कभी बैठक बुलायी. और कैसी कैसी पार्टी को बैठक में बुलाया. हमने किसी को निकाल दिया है. उन्हीं सब को बैठक में बुलाया. बीजेपी की हालत बहुत खराब है इसलिए न बैठक कर रहे हैं. 


नीतीश की सफाई से और फंसा मामला

दिलचस्प बात ये है कि नीतीश कुमार ने विपक्षी पार्टियों की साझा प्रेस कांफ्रेंस में मौजूद नहीं रहने पर जो सफाई दी है, उससे मामला और फंस गया है. बेंगलुरू में विपक्षी पार्टियों की प्रेस कांफ्रेंस के दौरान सफाई दी गयी थी कि नीतीश कुमार की फ्लाइट का समय हो रहा था इसलिए वे पहले निकल गये. लेकिन नीतीश तो चार्टर प्लेन से गये थे, लिहाजा सवाल उठा कि चार्टर प्लेन का कौन सा फिक्स टाइम था, जिसमें नीतीश का टाइम पर पहुंचना जरूरी थी.


अब नीतीश कुमार कह रहे हैं कि उन्हें राजीगर जाने में देर हो रही थी, इसके कारण वे मीटिंग से उठ कर चले आये. बेंगलुरू की बैठक और उसके बाद की प्रेस कांफ्रेंस मंगलवार को थी. नीतीश कुमार को बुधवार की दोपहर में राजगीर जाना था. ये काफी पहले से तय था. वे बेंगलुरू से पटना पहुंचने के लगभग 17 घंटे बाद राजगीर के लिए रवाना हुए. उन्होंने 17 घंटे पटना में बिताये लेकिन बेंगलुरु में प्रेस कांफ्रेंस के लिए एक घंटा का समय नहीं निकाल पाये. 


नीतीश की सफाई से ही ये साफ होने लगा है कि विपक्षी पार्टियों को एक करने की मुहिम में नीतीश को झटका लगा है. चर्चा यही हो रही है कि बेंगलुरू की बैठक में कांग्रेस ने नीतीश को किनारे कर दिया. नीतीश ये उम्मीद पाल कर बैठे थे कि उन्हें विपक्षी एकता की मुहिम का संयोजक बनाया जायेगा. लेकिन बैठक में ऐसी कोई चर्चा नहीं