PATNA: आरएलएसपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने सीएम नीतीश कुमार को सलाह दिया है. कुशवाहा ने कहा कि देश भर से लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूर अपने घर वापस आ रहे हैं. ऐसे में हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती इन मजदूरों को अपने गांव-कस्बे में काम मुहैया कराना है. ताकि न सिर्फ बड़ी आबादी को रोजगार से जोड़ा जा सके बल्कि राज्य भी समग्रता में विकास के मॉडल पर आगे बढ़ सके.
कुशवाहा ने कहा कि बिहार सरकार शॉर्ट टर्म अवधि की नीति बना कर इन श्रमिकों को बिहार में ही रोजी-रोटी चलाने की संभावनाएं तलाश सकती है. बिहार सरकार को उम्र, शिक्षा और स्किल के आधार पर इन मजदूरों एवं कामगारों का डेटाबेस और वर्कर्स प्रोफाइल तैयार करना चाहिए, ताकि इन्हें तुरंत काम पर लगाया जा सके. रालोसपा समझती है कि आर्थिक गतिविधियों में तेजी लाने के साथ-साथ प्रवासी मजदूरों और स्थानीय मजदूरों के हाथ में अधिक से अधिक काम पहुंचाने के लिए निम्नलिखित सुझाव कारगर हो सकते हैं.
कुछ अन्य महत्वपूर्ण सुझाव
1.मनरेगा के मजदूरों का खेतिहर मजदूर के रूप में इस्तेमाल करने से मजदूरों के लिए रोजगार का एक बड़ा क्षेत्र उपलब्ध हो सकता है, साथ ही किसानों को अपनी इनपुट लागत कम करने में भी बड़ी सहूलियत मिल सकती है। इस हेतु ग्राम पंचायतों के माध्यम से किसानो को चिन्हित कर उनके द्वारा तत्काल की जाने वाली खेती को मनरेगा की योजना में शामिल करने हेतु आवश्यक प्रावधान किए जाने की जरूरत है।
2.मनरेगा के मजदूरों का कार्य दिवस कम से कम 200 दिन तक बढ़ाये जाने की जरूरत है।
3.मनरेगा के तहत योजनाओं के कार्यान्वयन में घोर धांधली के कारण वास्तविक मजदूरों को रोजगार नहीं मिल पाता है। इसमें मुख्य रूप से दो तरह की बाधाएं आती है।
- (क) इस योजना के तहत वास्तविक मजदूरों से काम लेने के बजाय कुछ ऐसे लोगों का नाम मजदूर के रूप में सूचीबद्ध करवा दिया जाता है, जो कभी भी मजदूरी का काम नहीं करते। सिर्फ कागज पर उनका नाम दिखाकर उनके नाम पर पैसे की निकासी कर ली जाती है। फलस्वरुप वास्तिविक मजदूरों को काम मिल ही नहीं पता है। इस धांधली को रोकने के लिए योजनाओं के कार्यान्वयन शुरू होते ही उस योजना में काम करने वाले मजदूरों की पूरी सूची का प्रकाशन सार्वजनिक रूप से करने की आवश्यकता है, इस सूची को पंचायत में किसी विद्यालय, पंचायत भवन या सार्वजनिक भवन की दीवार पर डिस्प्ले के रूप में लगा देना चाहिए। ताकि कोई भी व्यक्ति सूची का अवलोकन कर सके। साथ ही योजना पूरी होने के उपरांत किस मजदूर के खाते में कितने पैसे ट्रांसफर किए गए इसकी सूची का प्रकाशन भी मजदूरों के नाम के साथ ठीक इसी तरह से किया जाना चाहिए। ऐसी सूची का पर्चा छपवाकर भी लोगो के बीच वितरित करने की व्यवस्था की जानी चाहिए।
(ख) मनरेगा योजना के कार्यान्वयन में हो रही धांधली के पीछे जेसीबी जैसी मशीनों का बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाना भी है। इस धांधली को रोकने के लिए अगले 3 महीनों तक जिला वार कोई जगह को चिन्हित कर जेसीबी मशीन को सरकार पुर्णतः अपने नियंत्रण (Lockdown) में रखें। किसी भी काम के लिए जेसीबी का प्रयोग यदि अपरिहार्य हो तो जिला अधिकारी के स्तर से विशेष अनुमति लेकर ही जेसीबी का उपयोग किया जा सके। जितने दिनों तक जेसीबी मशीन सरकार के नियंत्रण (Lockdown) में रखी जाएगी उतने दिनों के लिए EMI भुगतान में छूट का प्रावधान किया जाना चाहिए। ताकि JCB के मालिकों का भी आर्थिक नुकसान ना हो।
4.मनरेगा के अतिरिक्त चलने वाली अन्य योजनाओं में भी रोजगार का अवसर अधिक से अधिक बढ़ाए जाने की आवश्यकता है। इस हेतु हमारा सुझाव है कि मनरेगा की तरह अन्य योजनाओं में भी फिलहाल श्रमिक और सामग्री खर्च के बीच का अनुपात 60:40 कर दिया जाए। स्वाभाविक रूप से ऐसा करने से योजनाओं की प्राक्कलित राशि थोड़ी बढ़ सकती है, लेकिन मजदूरों को अधिक से अधिक रोजगार इन योजनाओं के माध्यम से दिया जा सकता है। अथार्त अगले 3 महीनों तक राज्य में सरकारी योजनाओं के तहत किसी भी विभाग के द्वारा चलाई जा रही योजनाओं को लेबर इंटेंसिव बनाया जाए।
5.राज्य में अधिक से अधिक रोजगार सृजन के लिए निम्नलिखित कार्यों को नई योजना के तहत लिया जाना चाहिए।
(क) प्रत्येक विद्यालय में भवन निर्माण।
(ख) प्रत्येक गांव में पुस्तकालय एवं खेल का मैदान का निर्माण।
(ग) गांव में कला व संस्कृति केंद्र का निर्माण।
(घ) सरकारी जमीन की घेराबंदी का काम।
(ङ) नदियों का साफ सफाई एवं उड़ाही।
(च) राज्य के सभी सरकारी व निजी छोटे-बड़े तालाबों की खुदाई एवं जीर्णोद्धार।
(छ) ग्रामीण इलाकों में सड़कों एवं पुल पुलिया का निर्माण।
(ज) सार्वजनिक एवं निजी जमीन पर पौधारोपण एवं बागवानी का काम।
(झ) तटबंधों का निर्माण।
6.प्रवासी एवं स्थानीय मजदूरों को बकरी पालन के काम में लगा कर भी रोजगार दिया जा सकता है। इस हेतु पंचायत वार मजदूरों का चयन कर उन्हें सरकार 5-7 की संख्या में बकरियां उपलब्ध कराएं।
7.राज्य में चलाए जा रहे क्वॉरेंटाइन सेंटर की बद इंतजामी को तुरंत दूर किया जाए। यहां लोगों के खाने-पीने, साफ-सफाई चिकित्सा संबंधी सुविधाएं एवं अन्य आवश्यक चीजों की व्यवस्था अविलम्ब की जाए।
8.लॉकडाउन के समय बिहार के बाहर से आ रहे अनेक मजदूरों की रास्ते की दुर्घटना एवं अन्य कारणों से मौत हो गई है, इनके परिजनों को 10-10 लाख और घायलों को 2-2 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाए।
9.रालोसपा द्वारा पूर्व में रखी गई मांग के अनुरूप राज्य की सरकार अविलंब राज्य के मजदूरों, गरीबों एवं जरुरत मंदों के खाते में नगद राशि डलवाएं। ताकि राज्य के किसी भी व्यक्ति की भूख के कारण मौत ना हो।