PATNA : नीतीश कुमार के पूर्व कानून मंत्री कार्तिकेय सिंह गिरफ्तारी के डर से अंडरग्राउंड हो गए हैं। अपहरण के आरोपी पूर्व मंत्री की गिरफ्तारी का वारंट लेकर पटना पुलिस उनके सरकारी और पैतृक आवास का चक्कर लगा रही है। दानापुर कोर्ट से जमानत याचिका खारिज होने के कई दिन बाद भी पुलिस को सफलता नहीं मिल सकी है। लिहाजा अब पटना पुलिस पूर्व मंत्री कार्तिकेय सिंह के खिलाफ गैर जमानती वारंट के लिए कोर्ट जाएगी।
पटना के एसएसपी मानवजीत सिंह ढिल्लों ने कहा कि पूर्व कानून मंत्री कार्तिकेय सिंह के खिलाफ दानापुर के एसीजेएम कोर्ट ने जमानती वारंट जारी किया था। कोर्ट द्वारा जारी वारंट बीते 1 सितंबर को ही निरस्त हो चुका है। इस बीच उनकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस की टीम मोकामा स्थित कार्तिकेय सिंह के पैतृक आवास पर गई थी लेकिन वे वहां नहीं पाए गए। इसके बाद कंकडबाग स्थित पूर्व मंत्री के आवास पर भी पुलिस टीम पहुंची थी लेकिन वहां भी वे मौजूद नहीं थे। एसएसपी ने बताया कि उस जमानती वारंट को कोर्ट को वापस कर रहें। इसके बाद कोर्ट पूर्व मंत्री के विरुद्ध गैर जमानती वारंट जारी करेगा। 14 सितंबर को इस मामले पर कोर्ट में अगली सुनवाई होनी है।
बता दें कि साल 2014 में राजीव रंजन नामक शख्स को अगवा कर लिया गया था। पटना के बिहटा थाने में अपहरण का मामला दर्ज हुआ, जिसमें अनंत सिंह और कार्तिकेय सिंह को आरोपी बनाया गया। इस मामले में कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए कार्तिकेय सिंह के खिलाफ वारंट जारी किया। इससे पहले 2015 और 2017 में भी उनकी जमानत याचिका रद्द हुई थी। इसी बीच बिहार में सरकार बदली और कार्तिकेय सिंह को बिहार का कानून मंत्री बना दिया गया। जिस दिन उन्हें राजभवन में मंत्री पद की शपथ लेनी थी उसी दिन कोर्ट में भी सरेंडर करना था।
इसे बीजेपी ने मुद्दा बनाया और सरकार को घेरने का काम किया। इसे लेकर बीजेपी आए दिन हमला बोल रही थी। सरकार पर बन रहे दवाब के बाद कानून मंत्री से हटाकर कार्तिक कुमार गन्ना उद्योग मंत्री का पद की जिम्मेदारी दी गयी। कार्तिक के विवादों में आने के बाद ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनका विभाग बदल दिया था लेकिन विभाग बदले जाने के कुछ घंटे बाद ही कार्तिक कुमार ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। मामले पर दानापुर कोर्ट में सुनवाई हुई जिसके बाद अदालत ने कार्तिकेय सिंह की जमानत याचिका को खारिज कर दिया था।