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DESK : त्रिपुरा की 60 सदस्यीय विधानसभा के लिए गुरुवार यानी आज मतदान होने जा रही है। त्रिपुरा चुनाव के नतीजे केवल एक राज्य और पूर्वोत्तर की राजनीति को ही प्रभावित नहीं करेंगे बल्कि इसका असर देश की राजनीति पर भी पड़ने वाला है। इस चुनाव का असर खासतौर पर विपक्षी गठबंधन को एकजुट करने की जो कवायद चल रही है उसपर पड़ने वाली है। यह चुनाव 2024 के लोकसभा चुनाव की रणनीति भी प्रभावित होगी।
मालूम हो कि, पिछले चुनाव में भाजपा ने यहां अपनी सरकार बनाई थी और एक बार फिर से सत्तारूढ़ दल अपनी सत्ता बरकरार रखने के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है। उसका पिछला सहयोगी आईपीएफटी भी उसके साथ है। वहीं दूसरी तरफ दो दशक से ज्यादा समय तक शासन कर चुकी माकपा ने वापसी के लिए इस बार कांग्रेस के साथ गठबंधन किया है। इन दोनों गठबंधनों के बीच राज्य में नई ताकत के रूप में उभरने की कोशिश कर रही टिपरा मोथा भी है, जो आदिवासी अधिकारों के लिए मैदान में उतरी है और जिसका नेतृत्व राज्य के पूर्व राजवंश के उत्तराधिकारी प्रद्योत देबबर्मा कर रहे हैं। पूर्व में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके देबबर्मा हालांकि खुद चुनाव नहीं लड़ रहे हैं।
जानकारी हो कि, त्रिपुरा विधानसभा चुनाव के 60 सीटों के लिए सुबह 7 बजे से मतदान शुरू हो गया। मतदान के लिए 3,337 केंद्र बनाये गये हैं। कड़ी सुरक्षा के बीच सुबह सात बजे से शाम चार बजे तक मतदान होगा, जिनमें से 1,100 की पहचान संवेदनशील और 28 की पहचान अति संवेदनशील के रूप में की गई है। यहां वोटों की गिनती 2 मार्च को होगी।
आपको बताते चलें कि, सत्तारूढ़ भाजपा ने 2018 के पिछले चुनाव में 36 सीटों पर जीत हासिल की थी। पार्टी ने 43.59 फीसदी वोट पाकर सरकार बनाई थी। वहीं सीपीआई (एम) ने 42.22 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 16 सीटें जीतीं थी तो आईपीएफटी ने आठ सीटें जीतीं और कांग्रेस खाता तक नहीं खोल सकी थी। वहीं, चुनाव को लेकर राज्य भर में पहले ही धारा 144 लागू कर दी गई है और यह 17 फरवरी की सुबह छह बजे तक लागू रहेगी। उपद्रवियों को राज्य में प्रवेश करने से रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय और अंतरराज्यीय सीमाओं को भी सील कर दिया गया है।