PATNA: चुनावी गहमागहमी के बीच बिहार की सियासत लगातार गर्म है। जेडीयू-आरजेडी के बीच की सियासी जंग इस गर्माहट को लगातार बढ़ा रही है। जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता संजय सिंह ने अब तेजस्वी यादव पर पलटवार किया है। एससी-एसटी को लेकर नीतीश सरकार के फैसले पर तेजस्वी आज हमलावर थे। तेजस्वी पर हमला बोलते हुए संजय सिंह ने कहा है कि आधी अधूरी जनाकारी बेहद खराब होती है। बिहार में नेता विरोधी दल आजकल इसी खतरनाक स्थिति का सामना कर रहे हैं। दलितों के हित में उठाये गए कदम का खुल्लम खुल्ला विरोध कर रहे हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी ने दलित परिवार में किसी सदस्य की हत्या के बाद सरकारी नौकरी देने की जो बात कही उसका उल्लेख भारतीय संविधान में पहले से है। केंद्र सरकार ने वर्ष 1989 में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार अधिनियम) की धारा 3 की उपधारा 2 में पांचवे बिंदु के तौर पर इस नियम का उल्लेख किया है। इसमें स्पष्ट तौर पर लिखा है कि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजातियों से संबंध रखने वाले मृतक व्यक्ति की विधवा या अन्य आश्रितों को प्रतिमाह 5 हजार रुपये की मूल पेंशन के साथ महंगाई भत्ता और मृतक के परिवार के सदस्यों को रोजगार और कृषि भूमि, मकान देने की व्यवस्था दी गई है।
राज्य सरकारों को अपने स्तर से इसपर निर्णय करने का अधिकार है। अब तेजस्वी यादव जी के अल्पज्ञान का इलाज कौन करे। उन्होंने कहा है कि नौवीं फेल व्यक्ति से इसकी अपेक्षा करना भी बेमानी है। अज्ञानता में नेता प्रतिपक्ष ने उस कानून का विरोध किया जिसकी व्यवस्था संविधान में पूर्व से की गई है। जिस परिवार की राजनीति का आधार ही समाज में जातीय तनाव फैलाकर सत्ता में बने रहना हो उससे उम्मीद क्या की जा सकती है। नीतीश कुमार जी ने कभी जाति आधारित राजनीति नहीं कि है। न्याय कर साथ विकास उनका संकल्प है। जो परिवार भूरा बाल साफ करो कि बात करता था उससे क्या उम्मीद की जा सकती है। सवर्णों के खिलाफ जहर उगलने वाले आज हितैषी बनने का दिखावा कर रहे। तेजस्वी यादव जी, आज आपने अपना असली चेहरा दिखा दिया। आपके पिता लालू प्रसाद ने सामाजिक न्याय का नारा देकर जिस तरह 15 वर्षों तक बिहार की जनता को धोखा दिया उसके बाद आपका परिवार सत्ता से बेदखल है। सत्ता वापसी के लिए आप जिस तरह घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं उसकी हकीकत आज सामने आ गई।
संजय सिंह ने कहा है कि आज यह स्पष्ट हो गया कि खाल पर रंग चढ़ा लेने से किसी की पहचान नहीं बदल सकती। तेजस्वी जी, आपने जिस तरह दलितों के हित में लिए गए फैसले का बेचैन होकर विरोध किया वह बताता है कि आपके दिल में दलितों के लिए कितनी नफरत है। मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी ने दलित परिवार में किसी सदस्य की हत्या होने पर सरकारी नौकरी दिए जाने का निर्णय लेने की बात कही और आप इसे रात भर भी बर्दाश्त नहीं कर पाए। तेजस्वी जी, आखिर दलितों के खिलाफ इतनी नफरत की वजह क्या है? क्या इसी नफरत के कारण पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी जी को आपने अपमानित किया? अगर दलित परिवारों को आपदा की स्थिति में सरकारी नौकरी मिल जाती है तो आपके पेट में क्यों दर्द हो रहा है। कहीं आपको इस बात का तो डर नहीं सता रहा कि अगर दलित शिक्षित हो गए या फिर उनका विकास हो गया तो आप जैसे भ्रष्टाचारियों की दाल नहीं गलने वाली।
तेजस्वी यादव जी, आपकी इस सोच पर तरस आता है कि दलितों के परिवार में हत्या होने की परिस्थितियों में किसी सदस्य को नौकरी देने से इस तरह की घटनाओं को प्रमोशन मिलेगा। अगर ऐसा होता तो प्राकृतिक आपदा या सड़क दुर्घटना जैसे मामलों में मुआवजा देने की नीति नहीं बनाई जाती। मदद पहुंचाने के लिए बनाई गई नीति की नियत पर सवाल बेहद ही स्तरहीन राजनीति का उदाहरण है।