PATNA : कोरोना महामारी के बीच नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव बिहार से बाहर लॉकडाउन में फंसे हैं लेकिन यहां उनकी गैरहाजिरी में पार्टी का हाल बुरा होते जा रहा है। पार्टी के अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि आरजेडी में प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के वर्किंग स्टाइल से नाराजगी बढ़ती जा रही है। अपने सख्त मिजाज के लिए पहचाने जाने वाले जगदानंद सिंह ने प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभालते ही पार्टी के वर्किंग स्टाइल में बड़ा बदलाव किया था। अनुशासनहीन नेताओं और कार्यकर्ताओं को जगदानंद सिंह ने सुधर जाने को कहा था। आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद ने नवंबर 2019 में रामचंद्र पूर्वे की जगह जगदानंद सिंह को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया था। जगदानंद सिंह को अध्यक्ष बनाए जाने के साथ ही यह तय माना जा रहा था कि पार्टी में अब नए सिरे से वर्किंग कल्चर की शुरुआत होगी। जगदानंद सिंह ने पार्टी की कमान संभालने के साथ ही प्रदेश कार्यालय में सुबह 10:30 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक बैठने का सिलसिला शुरू किया। उनसे मुलाकात करने वाले नेताओं और कार्यकर्ताओं के लिए स्लिप कल्चर की शुरुआत की। शुरू में आरजेडी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को जगदा बाबू का यह अंदाज पसंद नहीं आया लेकिन धीरे-धीरे सबको इसकी आदत पड़ गई। प्रदेश अध्यक्ष ने कार्यालय में बिना काम के बैठे रहने वाले नेताओं की खोज खबर भी लेनी शुरू कर दी। इस मामले में तेजस्वी यादव से शिकायत भी की लेकिन किसी की दाल नहीं गली। तेजस्वी यादव और जगदानंद सिंह के बीच कैमिस्ट्री देखने लायक है और यही वजह है कि जगदा बाबू किसी को ज्यादा तवज्जो नहीं देते हैं। पार्टी में उनके वर्किंग स्टाइल से कुछ नेताओं को परेशानी हुई जिससे वह खफा भी हैं
प्रदेश कोषाध्यक्ष ने दिया इस्तीफा
बड़ी खबर यह है कि पार्टी में बदलते वर्किंग स्टाइल के बीच लंबे समय से प्रदेश कोषाध्यक्ष रहे कुमार राकेश रंजन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने आगे कोषाध्यक्ष पद पर काम कर पाने में असमर्थता जताई है। सूत्र बताते हैं कि लंबे अरसे से कोषाध्यक्ष का पद संभालने वाले कुमार राकेश रंजन भी जगदा बाबू के वर्किंग स्टाइल से परेशान हैं लेकिन फर्स्ट बिहार ने जब उनसे इस मामले पर बातचीत की तो उन्होंने इन बातों को सिरे से खारिज कर दिया। पूर्व एमएलसी कुमार राकेश रंजन ने कहा है कि वह लंबे अरसे से इस पद पर थे और अब वह पार्टी को आगे सेवा दे पाने में असमर्थ हैं। हालांकि बताया जा रहा है कि उन्होंने फरवरी महीने के आखिर में ही अपना इस्तीफा दे दिया था। तब नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इस मामले पर उनसे बात भी की थी। प्रदेश कोषाध्यक्ष पद से कुमार राकेश रंजन के इस्तीफे का मामला खुद आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के पास है। यह प्रकरण अभी चली रहा था इसी बीच कोरोना महामारी के कारण सब कुछ स्लीप मोड में चला गया। सोमवार को पार्टी की तरफ से जब कोरोनावायरस के लिए राहत का चेक काटा गया तब भी उस पर कोषाध्यक्ष की बजाय प्रदेश अध्यक्ष का सिग्नेचर था।
मनमानी करने वाले नेताओं पर नकेल
प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के खिलाफ पार्टी में वह नेता लगातार गोलबंदी कर रहे हैं जिन्हें उनके काम करने का अंदाज पसंद नहीं। दरअसल जगदानंद सिंह अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं करते हैं उन्होंने पार्टी फोरम से बात रखने के लिए एक पूरा सिस्टम तैयार कर रखा है। ऐसे में उन नेताओं को खासा परेशानी हो रही है जो मीडिया में बयान देकर या सड़क पर किसी मुद्दे को लेकर धरना प्रदर्शन करते रहे हैं। बयानबाजी करने वाले ऐसे ही नेताओं में शामिल पार्टी के प्रदेश महासचिव खुर्शीद आलम सिद्दीकी को पिछले दिनों पार्टी के प्रदेश पदाधिकारियों के व्हाट्सएप ग्रुप से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। दरअसल खुर्शीद आलम सिद्दीकी और आरजेडी के एक अन्य नेता भाई अरुण ने पिछले दिनों बिना प्रदेश नेतृत्व की सहमति लिए भूख हड़ताल की थी। बाद में राशनकार्ड धारियों ने अनाज नहीं मिलने को लेकर जब जक्कनपुर में हंगामा किया तब उस मामले में भी आरजेडी नेता भाई अरुण का नाम सामने आया। इस मामले पर प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने कड़ी नाराजगी जताई थी। प्रदेश अध्यक्ष की नाराजगी के बावजूद भाई अरुण के समर्थन में खुर्शीद आलम सिद्दीकी ने मीडिया में बयान जारी किया और बाद में वही बयान प्रदेश पदाधिकारियों के व्हाट्सएप ग्रुप में शेयर भी कर डाला। इसके बाद खुर्शीद आलम सिद्दीकी को व्हाट्सएप ग्रुप से बाहर का रास्ता दिया गया। हालांकि फर्स्ट बिहार ने जब इस मामले पर खुर्शीद आलम सिद्दीकी से बातचीत की तो उन्होंने फिलहाल इस मामले पर चुप्पी साध ली। लेकिन फर्स्ट बिहार को मिली जानकारी के मुताबिक इन नेताओं ने लगातार जगदानंद सिंह के खिलाफ पार्टी में गोलबंदी तेज कर दी है। विरोधी खेमे के नेता अब मौके की तलाश में हैं। तेजस्वी यादव लॉकडाउन के बीच बाहर फंसे हैं और पार्टी के अंदर उनकी गैरमौजूदगी में तकरार बढ़ती जा रही है। जगदानंद सिंह के मिजाज को जाने वाले इस बात से अच्छी तरह वाकिफ हैं कि वह अपनी वर्किंग स्टाइल से समझौता नहीं करेंगे। अब इंतजार इस बात का है कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद प्रदेश नेतृत्व के खिलाफ खेमेबाजी कर रहे नेताओं के कार्रवाई होती भी है या नहीं।