PATNA: बिहार में एक बार फिर से जातीय जनगणना की मांग तेज हो गयी है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार को 72 घंटे का अल्टीमेटम दिया है और जातीय जनगणना पर जल्द फैसला लिए जाने की मांग की है। तेजस्वी के इस अल्टीमेटम के बाद बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी का बयान सामने आया है। मांझी ने बड़ी मांग रख दी है उनका कहना है कि जब गधों की गिनती हो सकती है तब इंसानों की जातियों की गिनती क्यों नहीं हो सकती।
बीते सोमवार को राजद नेता तेजस्वी यादव ने ऐलान किया था कि इसे लेकर वे पटना से दिल्ली तक पदयात्रा निकालेंगे। बिहार से दिल्ली तक पदयात्रा निकालना ही एक मात्र रास्ता बचा है। वही आज एक कदम आगे बढ़ते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को 72 घंटे का अल्टीमेटम दे दिया है।
तेजस्वी यादव ने कहा है कि बिहार में जातीय जनगणना को लेकर जल्द ही फैसला होना चाहिए। वही तेजस्वी के इस अल्टीमेटम के बाद बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व हम पार्टी के संरक्षक जीतन राम मांझी ने भी बड़ी मांग रख दी है। जीतन राम मांझी का कहना है कि जब गधों की गिनती हो सकती है तब इंसानों की जातियों की गिनती क्यों नहीं?
हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के संरक्षक व बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने अपने ट्विटर अकाउंट पर एक समाचार पत्र की खबर को शेयर करते हुए यह लिखा है कि "जाति आधारित मुल्क में गधों की गिनती हो सकती है पर जातियों की गिनती नहीं हो सकती?
मांझी ने यह भी लिखा कि “कुछ” लोगों को डर है कि अगर जातियों की गिनती हो गई तो दुनियां को पता लग जाएगा कि हमारे यहां किन लोगों ने किनकी हक़मारी कर देश का विकास रोक रखा है। “सब बढेगें तो देश बढेगा”
बता दें कि मध्यप्रदेश में गधों की क्या स्थिति है इसे लेकर एक आंकड़ा पेश किया गया। यह आंकड़े सरकारी हैं। वर्ष 2019 में 10 प्रमुख जानवरों की गणना के बाद यह संख्या सामने आई थी। इसमें गाय, भैंस, भेड़, बकरी, घोड़े, टट्टू, खच्चर, गधे, ऊंट और सूअर शामिल हैं। इनमें गाय के बाद सबसे ज्यादा संख्या बकरियों की हैं। इसके बाद भैंसों का नंबर आता है। जबकि घोड़ों की संख्या 11,685 है।
मध्यप्रदेश में गधों की संख्या 8 हजार 135 है जबकि शहडोल जिले में एक भी गधा नहीं है। ग्वालियर में 747, छतरपुर में 739, दतिया में 538, मुरैना में 498 और गुना में 429 गधों की आबादी है।