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1st Bihar Published by: Updated Tue, 10 Mar 2020 07:49:49 AM IST
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PATNA : आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर राष्ट्रीय जनता दल ने भले ही तेजस्वी यादव को सीएम पद का उम्मीदवार घोषित कर रखा हो, लेकिन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ऐसा नहीं चाहते. राहुल यह कतई नहीं चाहते कि तेजस्वी यादव का चेहरा सीएम कैंडिडेट के तौर पर घोषित किया जाए. इसकी बड़ी वजह नीतीश कुमार है कि बिहार में मजबूत इमेज है. पिछले डेढ़ दशक से बिहार में शासन चला रहे नीतीश कुमार के मुकाबले तेजस्वी यादव का चेहरा आगे नहीं कर महागठबंधन के घटक दल एक्सपोज पॉलिटिक्स से बचना चाहते हैं.
सोमवार को दिल्ली में राहुल गांधी और उपेंद्र कुशवाहा के बीच हुई मुलाकात में भी महागठबंधन के चेहरे पर चर्चा हुई. लेकिन सूत्रों की मानें तो राहुल गांधी ने किसी एक चेहरे पर चुनाव में जाने से असहमति जताई है. राहुल गांधी इस बात को बखूबी समझते हैं कि अगर तेजस्वी यादव को सीएम कैंडिडेट के तौर पर महागठबंधन में आगे किया तो फिर सीधा मुकाबला तेजस्वी और नीतीश कुमार के बीच होगा. ऐसी स्थिति में नीतीश कुमार की छवि तेजस्वी पर भारी पड़ सकती है और महागठबंधन के लिए चुनाव में जो संभावनाएं बनेगी उसे भी झटका लग सकता है. रालोसपा अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतन राम मांझी और वीआईपी के अध्यक्ष मुकेश साहनी पहले ही कह चुके हैं कि महागठबंधन की तरफ से सीएम कैंडिडेट पर फैसला आपसी सहमति से होना चाहिए हालांकि इस मुद्दे पर आरजेडी ने अब तक सहयोगी दलों की एक नहीं मानी है.
आरजेडी के सहयोगी दलों को डर सता रहा है कि अगर तेजस्वी यादव को सीएम कैंडिडेट घोषित कर महागठबंधन चुनाव में गया तो जेडीयू और एनडीए जनता के बीच फिर से लालू परिवार बनाम नीतीश शासन के मुद्दे को लेकर जाएगी जेडीयू के नेता 15 सालों के लालू राबड़ी शासनकाल की चर्चा करेंगे और इस सब से महागठबंधन को नुकसान पहुंच सकता है. ऐसा लगता है कि बिना सीएम कैंडिडेट का चेहरा आगे की है अगर महागठबंधन चुनाव में जाता है तो महागठबंधन में शामिल अलग-अलग नेताओं की छवि का फायदा उसे मिलेगा. कांग्रेस विधानसभा चुनाव को तेजस्वी बनाम नीतीश की लड़ाई बनाने हैं के पक्ष में नहीं है. ऐसे में विधानसभा चुनाव के पहले तेजस्वी के नाम पर महागठबंधन में सर्वसम्मति से मुहर कब और कैसे लगेगा यह देखना दिलचस्प होगा.