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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 19 Feb 2024 03:21:21 PM IST
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PATNA : बिहार विधानसभा के अध्यक्ष नंदकिशोर यादव की अध्यक्षता में चौथे दिन भी आज बजट पर चर्चा हुई। इससे पहले सम्राट चौधरी ने अपना पहला बजट पेश किया था जो 2 लाख 82 हजार 992 करोड़ रूपये का था। बजट पर चर्चा के दौरान राजद विधायक सतीश कुमार दास ने सदन में कई मांगे रखी। उन्होंने कहा कि हम सदन से यह चाहते हैं कि बिना शर्त शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाए। 2600 फिजिकल टीचर को भी राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाए और इनको भी परीक्षा में बैठने की इजाजत दी जाए। मांझी जी के कल्याण विभाग की समीक्षा होनी चाहिए। जहानाबाद का एक-एक विद्यालय की जांच करायी जाए और शपथपत्र मंगवाया जाए कि कितने आउटसोर्सिंग मजदूरों का पीएम अकाउंट खोलाया गया। गरीब गुरबों की हितों की रक्षा की जाए हम यही चाहते हैं।
सतीश कुमार दास ने कहा कि अनुसूचित जाति का दर्द जब हम बोलते हैं तब इस सदन में बैठे कुछ मनुवादी और सामंती प्रवृति के लोगों को पेट में दर्द होने लगता है। सतीश दास के चिल्लाकर ऐसा बोलने पर अध्यक्ष नंदकिशोर ने रोकते हुए कहा कि सतीश जी..भाई मेरे जवान आदमी हो इतना तनाव में बोलोंगे तो ब्लड प्रेशर हाई हो जाएगा..मुस्कुराकर बोलिये..बात अपनी कहो मुस्कुराकर कहो।
नंदकिशोर की बात सुनने के बाद सतीश दास ने कहा कि हमें यकीन है महोदय.. हम कितना भी कस के बोलेंगे तो ई वाला नस नहीं फटेगा। हम लालू जी की पार्टी से हैं..लालू प्रसाद यादव ने गरीबों को यही ताकत दिया है कि या तो सड़क पर बोलो या सदन में बोलो शेर की तरह बोलो। इसलिए हमारी बोली सदन में भी वैसी ही है और सड़क पर भी ऐसी ही है।
इस दौरान सतीश दास ने सदन में तानाशाह हिटलर की कहानी सुनाई और कहानी को खत्म करने के बाद कहा कि जब हिटलर शाही नहीं चली तो देश किसी भी मोदीशाही और नीतीशशाही को बर्दास्त नहीं करेगा। सतीश दास ने बजट पर चर्चा करते हुए पूछा कि आम आदमी की कमाई कहां जा रही है। बजट में नहीं दिख रहा है। स्थायी रोजगार का उपाय भी बजट में नहीं दिख रहा है। 2 लाख 82 हजार 992 करोड़ रूपये का बजट बिहार में पेश किया गया। जातीय गणना का आंकड़ा भी सार्वजनिक किया गया। अनुसूचित जाति की संख्या जो 16 प्रतिशत थी वो 20 प्रतिशत हो गयी और अनुसूचित जनजाति की 1 प्रतिशत थी वो 2 प्रतिशत हो गयी। लेकिन क्या इस बजट में यह दिखाई देता है। जिसकी जितनी संख्या भारी उसकी उतनी हिस्सेदारी क्या दी जा रही है?
आबादी बढ़ गया लेकिन बजट वही का वही रह गया। ऐसे में सबका साथ सबका विकास कैसे होगा। सबसे हासिये पर अनुसूचित जाति और जनजाति है। आज भी उनके शरीर पर पेशाब करने से कोई परहेज नहीं करता। पूर्व सीएम जीतनराम मांझी के मंदिर जाने पर उस मंदिर को धो दिया जाता है। सच बोलने पर जीभ काटने के लिए दस करोड़ रुपये का इनाम घोषित कर दिया जाता है। अनिसूचित जाति, जनजाति के विकास किये बगैर इस राज्य और देश का विकास नहीं हो सकता।
सतीश दास ने कहा कि जब से हम होश संभाले हैं तब से कल्याण मंत्री जीतनराम मांझी हुए हैं या उनका बेटा संतोष मांझी हुए हैं। छात्रावास से हमारा ताल्लुकात रहा है। संयोगवश जीतनराम मांझी की अनुसूचित जाति जनजाति कमिटी के हम मेंबर भी हैं। उनके साथ घुमने का मौका भी हमे मिला है लेकिन बिहार का एक ऐसा छात्रावास नहीं मिला जहां पर जीतनराम मांझी और कमिटी के लोग बैठकर बच्चों के साथ भोजन कर सके। जानवर वाला भोजन बच्चों को आज भी परोसा जा रहा है। इस बात की रिपोर्ट कमिटी के माध्यम से हमलोगों ने सरकार को भी भेजा है।
हम गया जिले से आते हैं। मखदुमपुर के विधायक हैं। गया जिले में 2018-19 का जो वित्तीय वर्ष थी उसमें 34 करोड़ रुपये की अवैध निकासी बिना ट्रैजरी की स्वीकृति से की गयी। एक कमिटी से इसकी जांच करायी गयी जिसके बाद डीडब्लू को सस्पेंड किया गया लेकिन तत्कालीन मंत्री पर कोई कार्रवाई नहीं किया गया। वित्त मंत्री सम्राट चौधरी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से आग्रह है कि वो कल्याण विभाग की समीक्षा करें।
उन्होंने कहा कि हमारे नेता तेजस्वी यादव ने 17 महीने विश्व रिकॉर्ड बनाने का काम किया है। दो लाख 17 हजार शिक्षकों की नियुक्ति पत्र गांधी मैदान में बांटने का काम किया। महागठबंधन से अलग होने के बाद सरकार बदलते ही आउटसोर्सिंग को बढ़ावा दिया जाने लगा। आखिर क्या मजबूरी आ बड़ी कि शिक्षा क्षेत्र में भी आउटसोर्सिंग को बढ़ावा दिया जाने लगा है। रात्रि प्रहरी की नियुक्ति विधायकों की अध्यक्षता में किया जाता था जिसका मानदेय 5 हजार रूपये तय करते अब आउटसोर्सिंग के माध्यम से दस हजार दिया जाएगा लेकिन वो भी रात्रि प्रहरी को नहीं मिलेगा।
आरक्षण को खत्म करने के लिए आउटसोर्सिंग को सरकार अपना रही है। आउटसोर्सिंग को खत्म किया जाए नहीं तो आउटसोर्सिंग में भी आरक्षण को लागू किया जाए। मांझी जी के कल्याण विभाग की समीक्षा होनी चाहिए। जहानाबाद का एक-एक विद्यालय की जांच करायी जाए और शपथपत्र मंगवाया जाए कि कितने आउटसोर्सिंग मजदूरों का पीएम अकाउंट खोलाया गया। गरीब गुरबों की हितों की रक्षा की जाए हम यही चाहते हैं।