कांग्रेस तारिक अनवर को भेजेगी विधान परिषद, हो गया आधिकारिक एलान

कांग्रेस तारिक अनवर को भेजेगी विधान परिषद, हो गया आधिकारिक एलान

PATNA : इस वक़्त एक बड़ी खबर सामने आ रही है. कांग्रेस पार्टी ने तारिक अनवर को विधान परिषद भेजने का फैसला लिया है. पार्टी की ओर से इसका आधिकारिक एलान कर दिया गया है. कांग्रेस के जनरल सेक्रेटरी मुकुल वासनिक की ओर से लेटर जारी कर इसकी घोषणा की गई है.


कांग्रेस के जनरल सेक्रेटरी मुकुल वासनिक की ओर से जारी इस पत्र के मुताबिक तारिक अनवर बिहार विधान परिषद् के चुनाव में पार्टी के उम्मीदवार होंगे. पार्टी आलाकमान सोनिया गांधी ने उनके नाम पर मुहर लगा दी है. बता दें कि कोरोना संकट से पहले मार्च महीने में कांग्रेस नेता तारिक अनवर को राजस्थान से राज्यसभा प्रत्याशी बनाने की भी  बात चल रही थी. 




कांग्रेस पार्टी में अल्पसंख्यक नेता के तौर पर तारिक अनवर एक बड़ा चेहरा माने जाते हैं. कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के जिला अध्यक्ष तारिक अनवर अक्सर सरकार के ऊपर हमला बोलते रहे हैं. बीते दिन भी उन्होंने कहा था कि साल 2014 चुनाव से पहले पीएम ने कहा था कि समस्या सीमा पर नहीं दिल्ली में बैठी सरकार में है, तो आज उन्हें बताना चाहिए की ऐसी कौन सी समस्या है.  जिसके कारण उन्हें देश की जनता को गुमराह करना पड़ रहा है.



तारिक अनवर के ऊपर कांग्रेस पार्टी के एक बार फिर से भरोसा जताया है. बता दें कि इससे पहले पार्टी ने उन्हें लोकसभा चुनाव 2019 में भी कटिहार से चुनावी मैदान में उतारा था. कटिहार लोकसभा सीट पिछले 22 सालों में दो दिग्गज नेताओं तारिक अनवर और निखिल चौधरी के बीच मुकाबले की गवाह रही है. यहां 2014 के चुनाव में 'मोदी लहर' के बावजूद बीजेपी जीतने में नाकाम रही थी. 2014 में तारिक अनवर ने एनसीपी की टिकट पर जीत हासिल की थी. 2014 के लोकसभा चुनाव में कटिहार सीट से एनसीपी के तारिक अनवर पांचवीं बार जीत दर्ज करने में कामयाब रहे थे और बीजेपी के टिकट पर लगातार तीन बार सांसद चुने गए निखिल कुमार चौधरी चुनाव हार गए थे. 



बिहार की राजधानी पटना में 16 जनवरी 1951 को जन्म लेने वाले तारिक अनवर कम उम्र में राजनीति के मैदान में उतर गए थे. वो शुरुआती दिनों से ही कांग्रेस की राजनीति करने लगे थे. महज 25 साल की उम्र में तारिक अनवर बिहार प्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष बन गए थे. ये वो वक्त था जब पूरे देश में इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस के खिलाफ तमाम सियासी सूरमा एकजुट हो गए थे और देश को आपातकाल का सामना करना पड़ा था. 


बिहार में जगन्नाथ मिश्र और सीताराम केसरी की लड़ाई ने तारिक अनवर को बड़ा मौका दिया. दोनों दिग्गजों के बीच तारिक अनवर ने सीताराम केसरी का साथ दिया और दिल्ली में जब कांग्रेस (इंदिरा) का गठन हुआ तो सीताराम केसरी को कोषाध्यक्ष बनाया गया. यहीं से तारिक अनवर के सियासी सफर को परवाज मिला. 



हालांकि, इससे पहले उन्होंने पत्रकारिता के क्षेत्र में भी अपना योगदान दिया. तारिक अनवर के घर में उनकी पत्नी हिना, चार बेटी और एक बेटा है. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत बतौर पत्रकार की. तारिक अनवर ने पटना से हिंदी में साप्ताहिक टैबलॉयड अखबार निकाला, जो 1972 से 1974 तक चला. इसके बाद वो 1974 से 1982 तक 'युवक धारा' के संपादक रहे.


सोनिया गांधी के विदेशी मूल के मुद्दे पर 1999 में कांग्रेस से बगावत कर एनसीपी प्रमुख शरद पवार के साथ मिलकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी  (एनसीपी) का गठन करने वाले तारिक अनवर ने अक्टूबर 2018 में घर वापसी की और राहुल गांधी ने उनका कांग्रेस में स्वागत किया था.