तमाड़ विधायक के पैतृक गांव का हाल देखिये..ग्रामीण और मवेशी दोनों एक ही डोभा का पीते हैं पानी

तमाड़ विधायक के पैतृक गांव का हाल देखिये..ग्रामीण और मवेशी दोनों एक ही डोभा का पीते हैं पानी

DESK: हम भले ही 21वीं सदी में पहुंच चुके हैं और डेवलपमेंट का दम भरते हैं लेकिन अभी भी कुछ ऐसे इलाके हैं जहां लोग पीने के पानी के लिए मोहताज हैं। हम बात झारखंड के बुंडू प्रखंड मुख्यालय से करीब 6 किलोमीटर दूर स्थित चिरुडीह गांव की कर रहे हैं। जहां रहने वाले लोगों को शुद्ध पेयजल भी नसीब नहीं हो रहा है। इस चिलचिलाती धूप और भीषण गर्मी में ग्रामीणों की स्थिति और बद से बदत्तर हो गयी है। यहां रहने वाले लोग और यहां के मवेशी दोनों एक ही डोभा का पानी पीते हैं। 


लोगों की मजबुरी है कि वे डोभा के पानी पर आश्रित हैं। बता दें कि एदलाहतु पंचायत का चिरुडीह गांव वर्तमान विधायक विकास कुमार मुंडा का पैतृक गांव भी है। चिरुडीह के ऊपरटोला में पेयजल की समस्या हमेशा से रही है। चिरुडीह ऊपरटोला के ग्रामीण आज भी एक डोभा का पानी पीते हैं। इसी डोभे से जानवर भी पानी पीते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि करीब दो साल पहले ग्राम पंचायत द्वारा एक सोलर जलमीनार बनाया गया था। लेकिन कुछ महीने बाद वह भी खराब हो गया। आरोप है कि मुखिया को इस संबंध में कई बार सूचना दिये लेकिन जलमीनार की मरम्मत नहीं हो पाई। यहां दो चापाकल हैं लेकिन दोनों खराब हैं।


 ग्रामीण किसी तरह से रस्सी बांधकर चापाकल चलाते हैं लेकिन इसका पानी पीने योग्य नहीं रहता। मजबुरीवश ग्रामीण आधा किलोमीटर की दूरी तय कर डोभा का पानी कपड़े से छानकर लाते हैं और उसी पानी को पूरा परिवार पीते हैं। प्यास बुझाने के लिए एकमात्र साधन डोभा ही है जहां के गंदे पानी को पीना ग्रामीणों की मजबुरी बन गयी है। लोग कर भी क्या सकते हैं। जनप्रतिनिधि उनकी बातों को अनसुना कर देते हैं। जब चुनाव आता है तभी जनप्रतिनिधि लोगों का हालचाल लेने पहुंचते है और आश्वासन देकर चले जाते हैं। फिर चुनाव जीतने के बाद फिर दर्शन देना तक मुनासिब नहीं समझते। 


वर्तमान विधायक के पिता और झारखंड के पूर्व मंत्री रमेश सिंह मुंडा पेयजल की समस्या को देखते हुए चिरुडीह स्थित पहाड़ी के पानी को पाईप द्वारा गांव तक लाने की योजना बनाई थी। इस योजना पर कार्य आरंभ भी हो गया था लेकिन उनकी असमायिक मौत के बाद योजना अधुरी रह गई। ग्रामीणों के अनुसार वर्तमान विधायक विकास कुमार मुंडा ने पिता के अधुरे काम को पुरा करने का वादा किया था, लेकिन योजना पुनः शुरु नहीं हुई।


ग्रामीण बताते हैं कि उन्होंने अनेकों बार वार्ड पार्षद, मुखिया सहित कई जन प्रतिनिधियों से मिलकर पेयजल की स्थायी व्यवस्था किए जाने की मांग की। अनेकों बार ग्रामीणों ने आवेदन दिये लेकिन परिणाम सिफर ही रहा। जल सहिया कई बार गांव पहुंचे और बताया कि एक अलग टंकी बनाकर पेयजल उपलब्ध कराया जाएगा। लेकिन आज तक पेयजल की समस्या का कोई निदान नहीं निकल सका। यहां ना तो जल जीवन मिशन योजना पहुंचा है और ना ही पीएचईडी विभाग से ही कोई अधिकारी यहां अभी तक पहुंचे हैं। इस भीषण गर्मी और चिलचिलाती धूप में चिरुडीह के लोगों के सामने सबसे बड़ी समस्या पेजयल की बनी हुई है। 


गांव की महिला का कहना है कि वे डोभा का पानी पीते हैं। चापाकल का पानी नहीं पीते है। चापाकल में पानी तक नहीं निकलता है इसलिए रस्सी से बांधकर रखते हैं। इदरातु पंचायत का मुखिया विजय कभी देखने तक नहीं आता है। जब चापाकल का रस्सी टूट जाएगा तक फिर डोभा जाएंगे और पानी लेकर आएंगे। चापाकल का पानी पीने में अच्छा नहीं लगता है इसलिए डोभा का पानी पीते हैं।