DELHI : दिल्ली के निजामुद्दीन में तबलीगी जमात के मरकज से कोरोना का संक्रमण फैला। दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित तबलीगी जमात के मरकज में 14 सौ लोग ठहरे हुए थे। इस जमात में बड़ी तादाद में विदेशी भी शामिल थे। इनमें ज्यादातर मलेशिया और इंडोनेशिया के नागरिक शामिल हैं।
एक तरफ कोरोना वायरस से मुकाबले के लिए देश में लॉकडाउन चल रहा है तो वहीं दूसरी तरफ धर्म के नाम पर तबलीगी जमात में लोगों को एक जगह पर इकट्ठा रखा। आपको बता दें कि तबलीगी जमात के मरकज में आए एक शख्स की मौत कोरोना वायरस के कारण हो गई जिसके बाद हड़कंप की स्थिति मची है। दिल्ली में तबलीगी जमात के लोगों के मरकज पहुंचने के पहले मलेशिया की राजधानी क्वालालंपुर में 27 फरवरी से 1 मार्च के बीच एक धार्मिक आयोजन किया गया था जिसमें कई कोरोना इनफेक्टेड लोग शामिल हुए थे। प्रशासन को जैसे ही इस बात की जानकारी मिली आनन-फानन में तबलीगी जमात के मरकज को खाली कराया गया। मरकज में रह रहे कई संदिग्धों को नरैला शिफ्ट किया गया है और उन लोगों की तलाश की जा रही है जो तबलीगी जमात में शामिल हुए थे।
कोरोना संकट के बीच धर्म के नाम पर यह बड़ी लापरवाही देखने को मिली है। आपको बता दें कि पटना में भी तबलीगी जमात के लोगों में दीघा के एक मस्जिद में ठिकाना बना रखा था लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध के बाद हफ्ते भर पहले उन्हें वहां से निकाला गया। बाद में उनका टेस्ट भी कराया गया। पटना में तबलीगी जमात के जो लोग ठहरे हुए थे वह ईरान के रहने वाले हैं। कोरोना क्राइसिस के बीच आखिर सरकार या प्रशासन से तबलीगी जमात के लोगों की स्क्रीनिंग नहीं कर पाने जैसी बड़ी चूक कैसे हुई या भी एक बड़ा सवाल है। तबलीगी जमात इस्लाम धर्म से जुड़ा एक पंथ है जिसके तहत धार्मिक संदेश देने के लिए दुनिया भर में धर्मगुरु एक जगह से दूसरी जगह जाते हैं।