बिहार : स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही आयी सामने, सैकड़ों लोग आ सकते थे कोरोना संक्रमण की चपेट में

बिहार : स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही आयी सामने, सैकड़ों लोग आ सकते थे कोरोना संक्रमण की चपेट में

ARARIA :बिहार में कोरोना संक्रमण का खतरा लगातार बढ़ता ही चला रहा है कि लेकिन स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही भी उतनी ही सामने आ रही है। एक बार फिर बड़ी लापरवाही सामने आयी है, अस्पताल कर्मियों ने कोरोना संक्रमित व्यक्ति की मौत के बिना किसी प्रोटेक्शन के डेडबॉडी को परिजनों को सौंप दिया। हालांकि एक जनप्रतिनिधि की समझदारी से कोरोना संक्रमण फैलने से बच गया अगर थोड़ी भी चूक होती तो शायद सैकड़ों लोगो कोरोना संक्रमित हो जाते।


अररिया सदर अस्पताल के कर्मियों की बड़ी लापरवाही सामने आयी है, सदर अस्पताल में इलाज के लिये भर्ती एक 40 वर्षीय व्यक्ति की मौत हो गई थी, जिसका कोविड-19  का रिपोर्ट पॉजिटिव आया है दरअसल 40 वर्षीय वयक्ति 23 जून को बंगलौर से अररिया अपने गांव आया था यहां  उसकी तबियत जब ख़राब रहने लगी, तब उसने प्राइवेट डॉक्टरों से अपना इलाज कराने लगे लेकिन उसकी स्वाथ्य में कोई सुधार नहीं हुआ तो वह अपना इलाज कराने अररिया सदर अस्पताल पंहुचे। अस्पताल के डॉक्टरों ने उसकी स्थिति को देखकर उसका कोविड-19 का टेस्ट करवाया और उसे बेहतर इलाज के लिये दरभंगा मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया।


दरभंगा ले जाने से पहले अस्पताल में ही उसकी मौत हो गयी। जिसके बाद अस्पताल कर्मियों ने शव को एम्बुलेंस से मृतक के घर भेज दिया। जब शव मृतक के गांव पंहुचा जिसे देखने के लिये लोगो की भीड़ जुट गयी, लेकिन स्थानीय जनप्रतिनिधि ने समझदारी दिखाते हुये अस्पताल के अधिकारियों से मृत वयक्ति की कोविड की जांच रिपोर्ट की मांग की गयी और जल्द रिपोर्ट देने को कहा गया। देर रात सदर अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि मृत वयक्ति का कोरोना जांच रिपोर्ट पॉजेटिव आया है  तो गांव में हड़कंप मच गया।


पूर्व मुखिया शान अहमद का आरोप है कि स्वास्थ्य विभाग के लोगो ने जब कोविड का टेस्ट किया था तो किस आधार पर शव को बिना  पैक किये ग्रामीणों के बीच भेज दिया। ऐसे में तो शव के सम्पर्क में आने वाले सभी पॉजिटिव हो जाते इसका जिम्मेदार कौन होता। वही पॉजिटिव रिपोर्ट आने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग से ना तो कोई अधिकारी और न कोई कर्मचारी शव को दफ़नाने के लिए गांव आया।


वहीं इस मामले पर अररिया सिविल सर्जन डॉ मदन मोहन प्रसाद ने कहा कि सैंपल टेस्ट लेकर मरीज़ को दरभंगा रेफर कर दिया गया था, लेकिन उसकी मौत अस्पताल से ले जाने के क्रम में ही  हो गयी। हमने पीपीई किट और शव को पैक कर एम्बुलेंस से मृतक के घर भिजवाया है। हालांकि एंबुलेंस में मृतक का शव एक चादर से लपेटा हुआ था और मृतक का पैर भी चादर से बाहर था जिसको लेकर लोगों में काफी आक्रोश है और डीएम से दोषी स्वास्थ्य कर्मी पर कार्यवाही की मांग कर रहे हैं। वहीं सिविल सर्जन ने कहा मृतक ने अपना ट्रेवल  हिस्ट्री को छिपाया बंगलौर से आने के बाद होम क्वारंटिन में रहना चाहिए और अपना सैम्पल जांच करना चाहिये था। लोगों को भी जागरूक होना होगा तभी कोरोना से हमलोग लड़ सकते है।