सुशील मोदी ने शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर को दी चुनौती, कहा - हिम्मत है तो दुसरे धर्म के प्रति बोलकर दिखाएं, जिंदा नहीं रहंगे

1st Bihar Published by: Updated Fri, 13 Jan 2023 01:19:52 PM IST

सुशील मोदी ने शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर को दी चुनौती, कहा - हिम्मत है तो दुसरे धर्म के प्रति बोलकर दिखाएं, जिंदा नहीं रहंगे

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PATNA : बिहार में शिक्षा मंत्री के बयान को लेकर घमासान मचा हुआ है। राज्य में हर तरफ उनको अपने बयान के लिए माफ़ी मांगने को कहा जा रहा है। भाजपा के तरफ से भी इसको लेकर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं। इसी कड़ी में अब राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री और भाजपा के राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने इसको लेकर कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की है। 


भाजपा नेता ने कहा कि, ऐसे शिक्षा मंत्री को एक मिनट भी अपने पद पर बने रहने का अधिकार नहीं है। मैं बिहार के युवायों को यह कहना चाहता हूं कि, ऐसे शिक्षा मंत्री को अपने कॉलेज में  घुसने नहीं दें। वो जहां भी जाएं वहां इसका विरोध करना चाहिए। यदि यह कोई कॉलेज में किसी कार्यक्रम में जाएं वहां उनका विरोध कर, इनको काला झंडा दिखाना चाहिए।


सुशील मोदी ने कहा कि, रामचरितमानस एक महाकाव्य हैं,जो भगवान राम के जीवन पर आधारित है। तुलसीदास द्वारा लिखा गया इस महाकाव्य को लेकर यह कहना कि , यह नफरत फैलता है कहीं से भी उचित नहीं है। यह विवाद पैदा करता है। उनको इसके लिए माफ़ी मांगना चाहिए। राजद के लोग हमेशा से भगवान राम के विरोधी रहे हैं। राजद के मंत्री पर राज्यद्रोह का मुक़दमा दायर होना चाहिए। 


इसके आगे सुशील मोदी ने कहा कि, शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर यदि दुसरे धर्म को लेकर इस तरह कि टिप्पणी करते तो शायद अभी तक वह जिंदा भी नहीं रहते। इनलोगों को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री को ध्यान देना चाहिए और इनको जल्द से जल्द मंत्रिमंडल से बर्खास्त करना चाहिए। लेकिन, यह बेहद शर्मनाक बात है कि राजद के लोग भी उनके साथ खड़े हैं।


गौरतलब है कि, बिहार के शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर ने हिंदू धर्म के पवित्र ग्रंथ रामचरितमानस को लेकर विवादित बयान दिया था। बिहार सरकार का शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर बुधवार को पटना के नालंदा खुला विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में कहा था कि रामचरितमानस समाज को बांटने वाला और नफरत फैलाने वाला ग्रंथ है। इस दौरान उन्होंने छात्रों को रामचरितमानस के कई चौपाई को सुनाया और उसका अर्थ बताते हुए कहा कि जब हमारा ग्रंथ ही समाज को बांटने वाली बातों को बता रहा है, जिससे समाज को बांटने का काम हो सकता है, लेकिन प्रेम बनाने का काम नहीं हो सकता है।