PATNA : बिहार में विधानसभा चुनाव का भक्त जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है सियासत से कास्ट कार्ड की तरफ बढ़ती जा रही है बिहार के डिप्टी सीएम और बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी ने अब अत्यंत पिछड़ा कार्ड खेलते हुए आरजेडी और कांग्रेस की घेराबंदी की है उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि आरजेडी और कांग्रेस ने बिहार के अंदर अत्यंत पिछड़ा समाज को हमेशा धोखा दिया है।
एक बार मोदी ने कहा है कि कांग्रेस ने कालेलकर कमीशन और मंडल आयोग की रिपोर्ट को लटका कर रखा आरजेडी ने एससी एसटी को आरक्षण दिए बिना पंचायत के चुनाव कराए गरीब सवर्णों के आरक्षण का विरोध किया यह सब कुछ बताता है कि आरजेडी और कांग्रेस की मिलीभगत अत्यंत पिछड़ा समाज को पीछे धकेलने की थी।
भाजपा ओबीसी मोर्चा की प्रदेश कार्यसमिति की वर्चुअल बैठक को सम्बोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि राजद, कांग्रेस ने हमेशा अत्यंत पिछड़ा वर्ग को धोखा देने, दबाने, जमीन हड़पने और प्रताड़ित करने का काम किया। कांग्रेस ने 1953 में पिछड़े वर्गों के लिए गठित काका कालेलकर कमिटी की 1955 में आई रिपोर्ट को 45 वर्षों तक ठंडे बस्ते में रखा, न पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया न पिछड़ों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण दिया।
जनता पार्टी की उस सरकार ने 1978 में मंडल कमीशन का गठन किया जिसमें भाजपा के अटल, आडवाणी भी शामिल थे। 1980 में पिछड़े वर्गों को सरकारी नौकरियों में 27 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए आई कमीशन की रिपोर्ट को कांग्रेस ने 10 वर्षों तक दबा कर रखा, अन्ततः भाजपा के सहयोग से गठित बीपी सिंह की सरकार ने 1989 में आरक्षण का प्रावधान किया। बिहार में पिछड़े वर्गों के लिए गठित मुंगेरीलाल कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर 1978 में कर्पूरी जी की उस सरकार ने नौकरियों में आरक्षण की व्यवस्था की जिसमें जनसंघ की ओर से कैलाशपति मिश्र मंत्री थे।
कांग्रेस-राजद बताएं कि 27 वर्षों तक बिहार में पंचायत का चुनाव क्यों नहीं कराया? 2003 में चुनाव कराया तो एससी, एसटी को एकल पदों पर आरक्षण क्यों नहीं दिया? राजद ने सवर्ण गरीबों के आरक्षण का विरोध क्यों किया? क्या यह सच नहीं है कि 2006 में एनडीए ने पंचायत चुनाव में अति पिछड़ा वर्ग की 113 जातियों को 20 प्रतिशत आरक्षण दिया, जिसके कारण आज इस समाज से सैकड़ों लोग चुनाव जीत कर आ रहे हैं।
2015 के विस चुनाव में 43 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस ने अति पिछड़ा समाज को एक भी टिकट नहीं दिया जबकि भाजपा ने अति पिछड़ा समाज के 25 लोगों को टिकट दिया जिनमें से 12 जीत कर आए और अपने कोटे से 4 को मंत्रिमंडल में शामिल किया। वहीं, 2019 के लोकसभा चुनाव में अति पिछड़ा समाज से एनडीए के 7 सांसद निर्वाचित हुए। राजद ने विस चुनाव में खानापूर्ति के लिए अति पिछड़ा समाज के मात्र 5 लोगों को टिकट दिया।
बिहार में पिछले तीन वर्षों में बीपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले अति पिछड़ा वर्ग के 3500 नौजवानों को मुख्य परीक्षा की तैयारी के लिए 50-50 हजार रुपये तथा दो वर्षों में यूपीएससी की पीटी उत्तीर्ण करने वाले 78 छात्रों को 1-1 लाख रु. दिए गए हैं। पिछले साल अति पिछड़ा वर्ग के प्रथम श्रेणी में मैट्रिक उत्तीर्ण 76,869 छात्रों को 10-10 हजार रु. की दर से कुल 77 करोड़ प्रोत्साहन के तौर पर दिए गए। इस साल इस मद में 105 करोड़ का प्रावधान किया गया है। 26 कर्पूरी कल्याण छात्रावास में रहने वाले 2400 छात्रों को प्रति महीने 1-1 हजार व 15 किलो खाद्यान्न मुफ्त में दिया जाता है। ग्राम परिवहन योजना के अन्तर्गत पिछड़ा समाज के 10 हजार युवकों को वाहन खरीदने के लिए अनुदान दिया गया है।