1st Bihar Published by: 14 Updated Thu, 12 Sep 2019 07:23:30 PM IST
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PATNA:बिहार में एनडीए की नीतीश सरकार में डिप्टी सीएम सुशील मोदी रिस्क पॉलिटिक्स में माहिर हैं. बिहार बीजेपी में नीतीश कुमार के चेहरे पर उठते सवालों को सुशील मोदी ने विराम लगा दिया है. सुशील मोदी ने एक बार फिर नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही विधानसभा चुनाव लड़ने की बात कही है. बता दें कि बिहार में बीजेपी सीएम की मांग पहले से उठती आई हैं लेकिन हर बार सुशील मोदी ही थे जिन्होंने नीतीश कुमार के नेतृव में सरकार चलाने की बात दोहराई है. चाहे केंद्रीय नेतृत्व से नीतीश कुमार का मुद्दों पर मतभेद हो या फिर मोदी मंत्रिमंडल में भागीदारी से इनकार के बाद बिहार में कैबिनेट विस्तार कर बीजेपी नेताओं को तरजीह ना देना. सुशील मोदी ने नीतीश कुमार के सारे फैसलों में अपनी सहमति जताई है. शायद इसीलिए विरोधी उन्हें नीतीश का पिछलग्गू और जयकारी दल भी बुलाते हैं. दरअसल ये कोई पहली बार नहीं जब सुशील मोदी ने अपने नेताओं की बयानबाजी पर गठबंधन को तरजीह दी है. सुशील मोदी इस तरह का रिस्क पहले भी लेते आए हैं. बिहार की राजनीति में सियासी ड्रामों की कमी नहीं रही. लेकिन 2015 में जब नीतीश एनडीए से अलग हुए और सूबे में जेडीयू-आरजेडी ग्रैंड एलायंस सरकार बनी.तब सुशील मोदी चाहते तो राज्यसभा के रास्ते दिल्ली का रुख कर सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. क्योंकि सुशील मोदी को अपनी राजनीतिक समझ पर यकीन था. उन्हे भरोसा था कि नीतीश कुमार, लालू यादव के साथ ज्यादा दिन तक शासन नहीं चला पाएंगे. इसी बीच उनके हाथ एक तुरुप का इक्का भी लग गया.बेनामी संपत्ति के मामले में सुमो ने एक के बाद एक ताबड़तोड़ प्रेस कांफ्रेंस कर लालू परिवार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. नीतीश-लालू के ग्रैंड एलायंस सरकार के पतन के पीछे सुशील मोदी ही मुख्य खिलाड़ी थे. तभी तो सरकार गिरने के बाद लालू ने नीतीश पर मोदी से मैच फिक्सिंग का आरोप लगाया था.