DELHI: गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए यूपी सरकार से कई सवाल किया है. कोर्ट ने पूछा है कि आखिर विकास दुबे इतना खतरनाक था तो उससे कैसे जमानत मिली थी.
कोर्ट ने कहा कि कानून व्यवस्था ठीक करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी होती है. इसके लिए ट्रायल होना चाहिए था. नई कमेटी में हाई कोर्ट के जज के अलावा सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज और एक पुलिस अधिकारी रखने को कहा गया है. 22 जुलाई तक कमेटी का पुनर्गठन कर सुप्रीम कोर्ट को बताना है. अब इस मामले की अगली सुनवाई 22 जुलाई को होगी.
यूपी सरकार की ओर से तुषार मेहता ने कहा कि मुठभेड़ सही थी, वो पैरोल पर था. हिरासत से भागने की कोशिश किया. तुषार मेहता की इस दलील के बाद सीजेआई एसए बोबड़े ने कहा कि विकास दुबे के खिलाफ मुकदमे के बारे में बताएं. 17 जून को सुप्रीम कोर्ट के नोटिस का जवाब देते हुए यूपी पुलिस ने सफाई दी थी. कहा था कि कानपुर का गैंगस्टर विकास दुबे और उसके बाकी साथियों के एनकाउंटर एनकाउंटर असली था. इस मुठभेड़ को फर्जी नहीं कहा जा सकता.
मुंबई के वकील ने दायर की है याचिका
विकास दुबे के एनकाउंटर पर मुंबई के वकील घनश्याम उपाध्याय और वकील अनूप अवस्थी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. याचिका में मामले में यूपी पुलिस की भूमिका की जांच की मांग की गई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह गैंगस्टर विकास दुबे और उनके पांच सहयोगियों के साथ-साथ बिकरु गांव में तीन जुलाई को आठ पुलिसकर्मियों की हत्या की जांच के लिए एक सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट जज की अध्यक्षता में समिति बनाने का सोच रही है.