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सुप्रीम कोर्ट ने पलटा तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी का फैसला, 8 विधायकों की सुविधायें बहाल हुई

1st Bihar Published by: Updated Thu, 29 Sep 2022 07:08:28 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने पलटा तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी का फैसला, 8 विधायकों की सुविधायें बहाल हुई

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PATNA: सुप्रीम कोर्ट ने लगभग 8 साल पहले बिहार विधानसभा के तत्कालीन अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी द्वारा जेडीयू के 8 विधायकों की सदस्यता रद्द करने के मामले में स्पीकर के फैसले को रद्द कर दिया है. मामला 15वीं विधानसभा यानि 2010 से 2015 के बीच का है. नीतीश कुमार की पार्टी की शिकायत पर विधानसभा के तत्कालीन अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने जेडीयू के 8 विधायकों को अयोग्य घोषित करते हुए उनकी सदस्यता रद्द कर दी थी. स्पीकर ने ऐसे विधायकों को मिलने वाले पेंशन और दूसरी सुविधायों को भी रद्द करने का आदेश दिया था, इसी फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है.




बता दें कि 2014 में जेडीयू ने तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष के पास अपील दायर करने अपने 8 विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग की थी. जेडीयू ने उस समय के अपने विधायकों ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू , राहुल शर्मा नीरज कुमार सिंह बबलू, अजीत कुमार,  सुरेश चंचल, रवींद्र राय, पूनम देवी और राजू कुमार सिंह के खिलाफ दल बदल कानून का उल्लंघन की शिकायत की थी. इन आठ विधायकों पर 2014 के राज्यसभा उपचुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार अनिल शर्मा और साबिर अली के पक्ष में काम करने का आरोप था. जेडीयू की ओर से की गयी मांग पर सुनवाई करते हुए विधानसभा के तत्कालीन अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने इन आठों विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी थी. इसके साथ ही विधानसभा अध्यक्ष ने इन आठों विधायकों का नाम विधायकों की सूची से हटाने और पूर्व विधायक के नाते मिलने वाली पेंशन, कूपन और मेडिकल जैसी सुविधायें भी नहीं देने का फैसला सुनाया था. 




तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष के इस फैसले के खिलाफ अयोग्य घोषित किये गये विधायक सुप्रीम कोर्ट गये थे. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि चूंकि मामला 15वीं विधानसभा का है और अभी 17वीं विधानसभा का कार्यकाल चल रहा है, इसलिए उन्हें अयोग्य ठहराने के फैसले पर विचार करना उचित नहीं होगा. इससे हालात में कोई बदलाव नहीं आयेगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विधायकों को उस वक्त अयोग्य घोषित करने का मसला अब एकेडमिक बहस का मुद्दा हो सकता है. 




लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने इन विधायको को मिलने वाली सुविधायों पर रोक लगाने के विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को पलट दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे विधायकों का नाम विधायकों की सूची से हटाने और उन्हें पूर्व विधायकों के नाते मिलने वाली सुविधाओं पर रोक लगाने का विधानसभा अध्यक्ष का फैसला सही नहीं था. कोर्ट ने इन विधायकों को पूर्व विधायकों के नाते मिलने वाली सुविधायें जैसे पेंशन, यात्रा भत्ता और मेडिकल सुविधा बहाल करने का आदेश दिया है.