SUPAUL: एक ओर जहां बिहार में बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था का दावा सरकार कर रही है वही मरीज की इलाज को लेकर परिजन जद्दोजहद करते नजर आ रहे हैं। हम बात सुपौल जिले की कर रहे हैं जहां अस्पताल आए मरीज का इलाज अस्पताल की बेड पर नहीं बल्कि ऑटो में ही किया गया। गंभीर रूप से घायल व्यक्ति दर्द से कराहता रहा। डायलोना इंजेक्शन देने के बाद बिना एम्बुलेंस की व्यवस्था किए ही डॉक्टरों ने उसे दूसरे अस्पताल में रेफर कर दिया और यह कहा गया कि प्राइवेट एम्बुलेंस कर लिजिए।
बताया जाता है कि त्रिवेणीगंज थाना क्षेत्र के खट्टर चौक पर ऑटो और बाइक की भीषण टक्कर हो गयी थी। जिसमें तीन लोग घायल हो गये। एक व्यक्ति की हालात काफी गंभीर हो गयी। डपरखा पंचायत के वार्ड 10 निवासी 45 वर्षीय जितेंद्र सरकार को ऑटो में लेकर उनका बेटा त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय अस्पताल पहुंचा। जहां गंभीर रूप से घायल उसके पिता करीब एक घंटे तक दर्द से कराहते रहे।
परिजनों की अपील पर उसे देखने के लिए डॉक्टर और नर्स अपने-अपने चेम्बर से बाहर निकले और ऑटो पर ही मरीज का ट्रीटमेंट करना शुरू कर दिये। दर्द रोकने के लिए मरीज को डायलोना का इंजेक्शन देते हुए उसे रेफर कर दिया। परिजनों ने जब एम्बुलेंस की मांग की तब डॉक्टर ने कहा कि आप प्राइवेट एम्बुलेंस कर लिजिए।
ऑटो में जिस डॉक्टर ने इलाज किया उनका नाम डॉ. उमेश कुमार मंडल हैं। इस मामले पर उन्होंने कहा कि एम्बुलेंस किसी दूसरे पेसेंट को लेकर गयी है लौटने में देरी होगी। उस वक्त मरीज की स्थिति गंभीर थी इसलिए ऑटो पर ही इलाज किया गया और इलाज के बाद रेफर कर दिया गया।