‘सबसे पहले बिहार से शुरू हुआ था भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान’ श्रीकृष्ण सिंह की प्रतिमा अनावरण के मौके पर बोले मनोज सिन्हा

‘सबसे पहले बिहार से शुरू हुआ था भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान’ श्रीकृष्ण सिंह की प्रतिमा अनावरण के मौके पर बोले मनोज सिन्हा

AURANGABAD: औरंगाबाद में शनिवार को बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह की प्रतिमा के अनावरण जम्मू कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने किया। इस मौके पर लोजपा रामविलास के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान, सांसद सुशील कुमार सिंह और बीजेपी सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल मौजूद रहे। इस दौरान उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने बिहार केसरी श्रीकृष्ण सिंह द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ किए गए कार्यों की सराहना करते हुए आज की सरकार को उनसे सीख लेने की नसीहत दी।


दरअसल, शनिवार को जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह की प्रतिमा का अनावरण करने के लिए औरंगाबाद पहुंचे थे। इस दौरान कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कि बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह ने राज्य में देश का पहला भ्रष्टाचार मुक्ति अभियान चलाया था। केंद्र सरकार भी उन्हीं के रास्ते पर चलते हुए भ्रष्टाचार के मामलों में जीरो टॉलरेंस की नीति अपना रखी है। बिहार विभूति अनुग्रह नारायण सिन्हा की धरती पर श्री बाबू की प्रतिमा का अनावरण करना सौभाग्य की बात है। श्री बाबू के जमाने में योजना आयोग के दृष्टिकोण में बिहार देश के टॉप-5 राज्यों में रहता था। अब किन्ही कारणों से बिहार इस मामले में पिछड़ गया है, जो विचारणीय विषय है। 


उन्होंने कहा कि अगर श्री बाबू 10 साल और मुख्यमंत्री रह गए होते तो बिहार भी आज विकास के मामले में गुजरात और महाराष्ट्र के समकक्ष खड़ा होता। श्री बाबू के समय बिहार में सुशासन और गुड गर्वनेंस बेहतर स्थिति में था। इसी कारण श्री बाबू सुशासन और गुड गर्वनेंस की प्रतिमूर्ति माने जाते थे। उन्होने राजनीति में गंगोत्री बहाई थी, जिसमें भ्रष्टाचार के लिए कोई स्थान नहीं था। भ्रष्टाचार के वे कितने बड़े विरोधी थे, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि श्री बाबू ने ही अपने समय में राज्य में देश का पहला भ्रष्टाचार मुक्ति अभियान शुरू किया था।


इसी तरह के अभियान के तर्ज पर केंद्र सरकार ने भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टॉलरेंस की नीति अपना रखी हैं। श्री बाबू आधुनिक बिहार के निर्माता थे। उनके सुशासन के लिए उन्हें सदैव याद किया जाता रहेगा। गुटबंदी के बावजूद उनके लिए राष्ट्र निर्माण प्रथम था। वे यह मानते थे कि जन आकांक्षाओं की पूर्ति नौकरशाही के सहयोग के बिना संभव नही है। इसे उन्होंने अपने कार्यकाल में साबित कर दिखाया भी था। उन्होंने कार्यक्रम में अपने भाषण के पहले चिराग पासवान की बातों की ओर इशारा करते हुए कहा कि जब फैसला लेने की बारी आए तो चिराग की बातों को जरूर याद करिएगा।