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Bihar Transport: फिटनेस का फुल स्पीड खेल ! बिहार के ऑटोमेटेड फिटनेस सेंटर 'प्रमाण पत्र' जारी करने में देश भर में बना रहे रिकॉर्ड, गाड़ियों की जांच के नाम पर 'फोटो फ्रॉड इंडस्ट्री' ?

स्वचालित फिटनेस जांच केंद्रों में गाड़ियों को बिना जांच के फिटनेस सर्टिफिकेट दिया जा रहा है ? भागलपुर और दरभंगा जैसे केंद्रों ने जुलाई में देशभर में सबसे अधिक सर्टिफिकेट जारी कर रिकॉर्ड बनाया है. ऐसे में जांच प्रक्रिया पर सवाल खड़े हो रहे हैं.

1st Bihar Published by: Viveka Nand Updated Wed, 23 Jul 2025 03:41:53 PM IST

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- फ़ोटो Google

Bihar Transport: सड़कों पर जो गाड़ियां चल रही हैं, वो फिट हैं ? सर्टिफिकेट फिट का का भले हो, हो सकता है वो गाड़ियां फिट नहीं हों. जिन गाड़ी का फिटनेस प्रमाण पत्र जारी किया जा रहा है, उनकी जांच हुई हो, यह पुष्ट नहीं. क्यों कि धड़ल्ले से फोटो भेजकर ऑटोमेटिक फिटनेस जांच केंद्रों के माध्यम से फिटनेस प्रमाण पत्र जारी कराया जा रहा है. दूसरे राज्यों की बात छोड़िए बिहार में यह गोरखधंधा जोर शोर से जारी है.

एक दिन में 100-150 गाड़ियों की जांच कर प्रमाण पत्र

बिहार में निजी क्षेत्र में संचालित स्वचालित फिटनेस जांच केंद्रों द्वारा प्रति दिन 100-150 गाड़ियों की जांच कर प्रमाण पत्र निर्गत किए जा रहे हैं. उड़ीसा सरकार ने 2024 में ही इस खेल को पकड़ा था. वहां के परिवहन विभाग ने बिहार के स्वचालित फिटनेस जांच केंद्रों पर हो रहे खेल का खुलासा किया था. उड़ीसा के परिवहन कमिश्नर ने इस संबंध में एक रिपोर्ट सड़क परिवहन मंत्रालय को भेजी थी, जिसमें बिहार के फिटनेस जांच केंद्र और इनके द्वारा बिना गाड़ी आये ही फिटनेस प्रमाण पत्र निर्गत करने की पूरी लिस्ट थी. हालांकि उस पत्र के आलोक में अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। अगर परिवहन विभाग इन फिटनेस सेंटरों की स्वायत्त एजेंसी से जांच कराये तो सबकी कलई खुल जायेगी, पता चल जायेगा कि गाड़ियों की फिटनेस जांच की जाती है या फोटो का. इसके लिए बिहार में संचालित सभी फिटनेस जांच केंद्रों को एआरआई जैसी संस्था से जांच करानी होगी, वरना स्वचालित फिटनेस जांच स्थापित करने से परिवहन विभाग को कोई फायदा नहीं.  

भागलपुर का फिटनेस सेंटर तो देश भऱ में सबसे ज्यादा प्रमाण पत्र जारी किया

बता दें, बिहार में आठ स्वचालित फिटनेस जांच सेंटर कार्यरत्त हैं. परिवहन विभाग ने इसके लिए लाइसेंस निर्गत किए हैं. स्वचालित फिटनेस जांच केंद्रों पर बिहार समेत दूसरे राज्यों की गाड़ियों की भी जांच कर प्रमाण पत्र जारी किये जाते हैं. पटना में स्वचालित टेस्टिंग स्टेशन की संख्या 3 है. इसके अलावे भागलपुर, दरभंगा, सासाराम, वैशाली और नालंदा में 1-1 स्वचालित फिटनेस जांच केंद्र है. इन केंद्रों द्वारा प्रति दिन कितने वाहनों की जांच कर सर्टिफिकेट जारी किए जाते हैं, इसकी पूरी जानकारी https://vahan.parivahan.gov.in/AFMS/#/dashboard पर रिकार्ड होता है. जुलाई महीने में 1-23 तारीख तक बिहार के दो स्वचालित फिटनेस जांच केंद्रों ने रिकार्ड बना दिया है. भागलपुर में संचालित फिटनेस जांच केंद्र ने इस महीने देश में सबसे ज्य़ादा गाड़ियों की जांच कर प्रमाण पत्र निर्गत किया है. इस सेंटर के द्वारा 23 तारीख तक 3448 गाड़ियों की जांच कर प्रमाण पत्र जारी किया है. देश में दूसरे स्थान पर बिहार का दरभंगा सेंटर है. इसने 3316 गाड़ियों का प्रमाण पत्र रिलीज किया है. तीसरे नंबर पर अजमेर, चौथे नंबर पर जयपुर और पांचवे नंबर पर ग्वालियर का नंबर है. नौवें नंबर पर पटना का गोल्डेन वाहन फिटनेस सेंटर है. इसने इस महीने 1760 प्रमाण पत्र जारी किए है. वैशाली वाले सेंटर ने 883 प्रमाण पत्र जारी किए हैं.इस तरह से इसका 28 वें नंबर पर जगह है. पटना का एक सेंटर 627 गाड़िय़ों की जांच रिपोर्ट देकर 44वें नंबर पर है. नालंदा 533 स्थान- 52 वां और पटना का तीसरा सेंटर 437 गाड़ियों का फिटनेस प्रमाण पत्र जारी कर देशभर में 67वें स्थान पर है.

सड़क परिवहन मंत्रालय का ऑफिशियल डेटा देखिए.... 

बता दें, केंद्र सरकार ने वाहनों का फिटनेस जांच आधुनिक तकनीक से कराने का निर्णय लिया. इसके लिए देश भर में स्वचालित फिटनेस टेस्टिंग स्टेशन शुरू किए गए. मकसद था कि गाड़ियों को मैन्यूअल चेक करने की बजाय मशीन से जांच की जाय, ताकि सड़क दुर्घटना कम हो सके. सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के इस निर्णय के बाद बिहार में आठ स्वचालित फिटनेस टेस्टिंग स्टेशन काम करना शुरू किया. परिवहन विभाग ने इसके लिए लाइसेंस निर्गत किया, जिस आधार पर निजी क्षेत्र में सभी स्वचालित फिटनेस टेस्टिंग स्टेशन काम कर रहे हैं. लेकिन यहां तक ऐसा खेल किया जा रहा, जिसकी कल्पना सड़क परिवहन राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने भी नहीं की होगी. जानकार बताते हैं कि स्वचावित टेस्टिंग सेंटर पर कुल मिलाकर 36 प्रकार की जांच, जिसमें करीब 10 जांच  मशीन से और कई मैनुअल करना है. एक गाड़ी का फिटनेस जांच करने में कम से कम 10 मिनट का समय लगता है. ऐसे में एक सेंटर पर औसतन प्रति दिन 100-150 गाड़ियों का फिटनेस करना करना संभव नहीं दिखता. जानकार बताते हैं कि बिहार में फिर से पुराना खेल शुरू हो गया, यानि गाड़ियों की जांच की बजाय फोटो जांच कर फिटनेस सर्टिफिकेट देना. बताया जाता है कि स्वचालित परीक्षण केंद्र पर गाड़ी का फोटो मंगवाकर फिटनेस सर्टिफिकेट जारी किए जा रहे हैं. इस खेल में बिहार से लेकर दूसरे राज्य के माफिया सक्रिय हैं. बाहरी माफिया दूसरे राज्यों की गाड़ियों का बिहार से फिटनेस सर्टिफिकेट जारी करवा रहे हैं. 

बता दें, पिछले साल ही बिहार के तीन फिटनेस जांच केंद्रों पर गाड़ियों की जांच के लिए बुकिंग पर रोक लगाई गई थी. हालांकि कुछ समय बाद सभी केंद्र फिर से शुरू हो गए। परिवहन विभाग के कमिश्नर ने यह आदेश जारी किया था.