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SIS के संस्थापक आरके सिन्हा बोले..देश की 5 बड़ी रोजगार देने वाली कंपनियों में से एक है SIS, विदेशों में भी लहरा रहा परचम

SIS के संस्थापक आरके सिन्हा बोले..देश की 5 बड़ी रोजगार देने वाली कंपनियों में से एक है SIS, विदेशों में भी लहरा रहा परचम

PATNA: पटना में मंगलवार को SIS ग्रुप की 38 वीं वार्षिक सामान्य सभा आयोजित हुई। एस.आई.एस. ग्रुप ने 30 अगस्त 2022 को पटना के होटल मौर्य में 38वीं वार्षिक आम सभा का आयोजन किया। एजीएम की अध्यक्षता समूह के संस्थापक अध्यक्ष एवं राज्यसभा के भूतपूर्व सदस्य रवींद्र किशोर सिन्हा ने की। इस मौके पर उन्होंने कहा कि एसआईएस दस हजार करोड़ के सालाना कारोबार और ढाई लाख स्थायी रोजगार सृजन करने वाली कंपनी है। देश की पांच बड़ी रोजगार देने वाली कंपनियों में एसआईएस एक है। एसआईएस बिहार में दस हजार अतिरिक्त रोजगार सृजित करने के लिए प्रतिबद्ध है।


SIS के संस्थापक आरके सिन्हा ने बताया कि एस.आई.एस. एक 10,000 करोड़ की सूचीबद्ध (एनएसई, बीएसई) कंपनी है जो भारत, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर और न्यूजीलैंड में कार्यरत हैं। इसकी स्थापना आर के सिन्हा ने 1974 में बांग्लादेश को स्वतंत्र कराकर लौटे भूतपूर्व सैनिकों को रोजगार देकर पटना में किया था। आज कंपनी भारत के शीर्ष पांच निजी क्षेत्र के नियोक्ताओं में अपना स्थान रखती है। जिसमें आज 269595 कर्मचारी कार्यरत है। एसआईएस को हाल ही मै रोट प्लेस टू वर्क की मान्यता दी गई है एवं शीर्ष दस राष्ट्र निर्माता कंपनी में से एक ट्र होने का गौरव प्राप्त हुआ है। आज एसआईएस देश के सबसे बड़े निजी क्षेत्र के नियोक्ताओं में से एक है और सरकार को भविष्य निधि, ईएसआईसी, जीएसटी और आयकर आदि के सबसे बड़े योगदानकर्ताओं में से एक है। 


एस.आई.एस. ग्रुप ने इस साल कोरोना महामारी के बावजूद 10059.1 करोड़ रुपये के राजस्व और कर के बाद 325.9 करोड़ रुपये के लाभ के साथ एक शानदार परिणाम को घोषित किया है। समूह के अध्यक्ष आर के सिन्हा जी ने कंपनी के प्रदर्शन पर टिप्पणी करते हुए कहा कि हमें इस बात पर गर्व है कि एस.आई.एस. ने पूरे कोरोना काल में भी देश की जी जान लगाकर सेवा की है। 2.50 लाख एस.आई.एस. कर्मचारियों ने पूरे देश में पुलिस और चिकित्सा कर्मचारियों के साथ कड़ी अस्पताल और अन्य परिसरी में कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए किया। इससे कोरोना के इलाज एवं टीकाकरण को पूरा करने में मदद मिला।


 एस.आई.एस. समूह के हर कर्मचारी का कंपनी की ओर से कोरोना का पूर्ण टीकाकरण करवाया गया। आरके सिन्हा ने यह भी बताया कि कोरोना संकटकाल में भी एस.आई.एस. नं कर्मचारियों को समय पर वेतन का भुगतान किया है और कोरोना महामारी के दौरान किसी की कोई भी वेतन कटौती या कर्मचारियों की छंटनी नहीं की गई है। उन्होंने अपने ग्राहको के समर्थन की भी सराहना की, जिसने देश में कोरोना के प्रभाव के बावजूद इस वर्ष के दौरान एस.आई.एस. को यह शानदार परिणाम देने में मदद की।


बिहार में एस.आई.एस की भूमिका पर आर के सिन्हा ने कहा कि एस.आई.एस. को बिहारी बहुराष्ट्रीय कम्पनी होने पर गर्व है। उन्होंने आगे बताया कि जेपी आंदोलन के दौरान पत्रकार की नौकरी गंवाने के बाद उन्होंने पटना में एक छोटे से गैरेज से इस सामाजिक सेवा के कार्य की शुरुआत की थी। श्री सिन्हा ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा की आज एसआईएस 269595 परिवारों को आजीविका प्रदान करने वाला एक सफल व्यवसाय बन गया है जिसमें 28300 परिवार बिहार से ही है। श्री सिन्हा ने बिहार में बेरोजगारी की समस्या पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि एस. आई. एस. आने वाले दो वर्षों में बिहार के युवाओं के लिए 10000 अतिरिक्त रोजगार सृजित करने के लिए प्रतिबद्ध है।


प्रेस और निवेशकों को संबोधित करते हुए एस. आई. एस. के समूह प्रबंध निदेशक ऋतुराज सिन्हा ने विश्वास व्यक्त किया कि एस.आई.एस समूह इसी तरह सड़यों की ओर बढ़ता रहेगा और सुरक्षा सेवाओं, सुविधा प्रबंधन और कैश लोजिस्टिक्स के क्षेत्र में एक अग्रणी उद्योग बनेगा और अपने कर्मचारियों और निवेशकों को लाभ का अंश प्रदान करता रहेगा। उन्होंने सुरक्षा उद्योग के विकास में प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख किया एवं एस. आई. एस द्वारा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में लगातार निवेश की जानकारी दी। उन्होंने यह भी बताया कि कम्पनी मुख्यतः सुरक्षा और सुविधा प्रबंधन में मजबूत और स्थिर विकास के लिए अग्रसर है एवं उनके पास प्रभावी संसाधन, महत्वाकांक्षा और प्रबंधन है। निदेशक मंडल, शेयरधारकों और कर्मचारियों ने आज जश्न मनाया कि एस.आई.एस. भारत के सभी 29 राज्यों के कोने-कोने में सुरक्षा व्यवसाय के क्षेत्र में स्थापित है। इस मौके पर कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर ऋतुराज सिन्हा भी मौजूद थे।


आरके सिन्हा ने बताया कि 1974 में भूतपूर्व सैनिकों के लिए बिहार की पहली मल्टीनेशनल कंपनी बन गयी है। जिसका भारत के अतिरिक्त अस्ट्रेलिया न्यूजीलैंड और सिंगापुर में भी परचम लहरा रहा है। मार्च 31 को जो हमने अपने वैलेंस सीट तैयार किया उसने इस कंपनी ने 10 हजार करोड़ से ज्यादा का निवेश किया है जो कि बिहार और झारखंड के किसी भी कंपनी से सबसे ज्यादा निवेश हैं। हमारी कंपनी पटना में रजिस्टर्ड है हजारों करोड़ों का टैक्स हमारी कंपनी देती है। यह कंपनी लगातार आगे बढ़ रही है। 2.65 लाख लोगों को हमारी कंपनी रोजगार दे रही है। सब कुछ ठीक रहा तो 10 हजार और नौजवानों को अपनी कंपनी के साथ जोड़ेंगे। हमारा उद्धेश्य है कि कोई भी युवा बेरोजगार ना रहे।


 देश और राज्य के विकास में हमारा योगदान रहा है और आगे भी रहेगा। एसआईएस का मार्केट 7 हजार करोड़ से अधिक का है। इस कंपनी ने अपने शेयरधारकों को प्रतिवर्ष बड़ी राशि लौटाई है। 2.65 लाख में 32 हजार बिहार है। 10 हजार बिहारियों को और जोड़ने का हमारा लक्ष्य है। तेजस्वी यादव सरकार में है हम एक उद्यमी है इसलिए उनसे हमारी तुलना नहीं की जा सकती। हम अपने स्तर से जो कर सकते है उतना ही बताया। तेजस्वी जी का स्वागत है वो दस लाख या बीस लाख रोजगार दे अच्छी बात होगी। 


वहीं कंपनी के एमडी ऋतुराज ने अपने पिता आरके सिन्हा के बारे में बताया कि उन्होंने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया है। बिहार का बेरोजगार युवा जो 70 के दशक में पत्रकारिता कर रहा था और रोजगार जाने के बाद अपने मेहनत और प्रयास से ना सिर्फ अपनी व्यवस्था की बल्कि 2 लाख 65 हजार लोगों के घर में चुल्हा जलाया। यदि यह सिर्फ एक व्यक्ति कर सकता है तो पूरा सरकारी तंत्र जिनके काबू में है उनके लिए 20 लाख रोजगार देने में क्या दिक्कत है। जब एक व्यक्ति 2 लाख 65 हजार लोगों को रोजगार दे सकता है और 10 हजार बिहारियों को नौकरी दिए जाने की बात कर रहे हैं तो सरकार क्यों नहीं 20 लाख युवाओं को रोजगार मुहैया करा सकती। 


एसआईएस बिहारी मंल्टीनेशनल कंपनी है हमारे देश में मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने का लोगों में बड़ा क्रेज है। एसआईएस भारत देश का परचम विदेशों में लहरा रहा है। 2008 में हमने पहली बार आस्ट्रेलिया में कदम रखा 2018 में हम सिंगापुर गये 2019 में हम न्यूजीलैंड गये। तीन साल तो कोरोना से जुझने में ही चला गया। एसआईएस अन्य देशों में भी कदम रखेगी। बिहार एवं भारत के युवाओं को रोजगार देना एसआईएस की सोच है। इस कंपनी के 10 हजार लोग विदेश में काम कर रहे हैं। दस हजार में करीब 1000 लोग बिहारी है जो विदेश में काम कर रहे हैं।