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26-Feb-2024 08:59 PM
SAMASTIPUR: मुंबई के लोकमान्य तिलक टर्मिनल से जयनगर जाने वाली पवन एक्सप्रेस 25 फरवरी की रात 10 बजकर 26 मिनट पर समस्तीपुर जंक्शन पहुंची। इस ट्रेन के स्लीपर बोगी में पड़ी लाश को निकाला गया। जिसके बाद पोस्टमार्टम कराने के बाद परिजनों के हवाले किया गया। दरअसल यात्रा के दौरान पैसेंजर को सीने में दर्द होने लगा और अचानक उनकी मौत हो गयी। लेकिन बोगी में शव होने की सूचना किसी यात्री ने ना तो आरपीएफ, रेल पुलिस को दी और ना ही टीटीई को ही दी। नतीजा यह हुआ कि शव के साथ ट्रेन हाजीपुर से समस्तीपुर 106 किलोमीटर तक दौड़ती रही।
जब समस्तीपुर पहुंची तब इस बात की जानकारी टीटीई को हुई। जिसके बाद मेडिकल टीम को बुलाया गया। डॉक्टरों ने पैसेंजर को मृत घोषित कर दिया। रेल पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा और यूडी केस दर्ज करने के बाद मामले की जांच शुरू की। जांच में पता चला कि बोगी के किसी यात्री ने मौत की सूचना नहीं दी थी। जिसके कारण इस बात का पता नहीं चल सका। मृतक के भाई से जब पुलिस ने पूछताछ की तो पता चला कि मृतक समस्तीपुर के वारिसनगर थाना क्षेत्र के माधोपुर गांव निवासी असीम नदाफ के पुत्र मो. कादिर थे जो अपने साथी अरविंद राम के साथ मुंबई से लौट रहे थे।
अरविंद मुजफ्फरपुर के रहने वाले हैं उनको मुजफ्फरपुर उतरना था और कादिर को समस्तीपुर उतरना था। दोनों का टिकट वेटिंग में था इसलिए दोनों एक ही बर्थ पर यात्रा कर रहे थे। मुंबई से हाजीपुर तक कादिर की तबीयत ठीक थी लेकिन हाजीपुर जंक्शन से ट्रेन के खुलते ही उनके सीने में दर्द होने लगा और अचानक मौत हो गयी। बताया जाता है कि हार्ट अटैक के कारण मौत हुई है। जिसके बाद साथी अरविंद राम ने शव को सीट पर ही लिटा दिया और मृतक के परिजनों को फोन कर घटना की जानकारी दी। घटना की सूचना मिलते ही मृतक का भाई अब्दुल गफ्फार मुजफ्फरपुर स्टेशन पर पौने 9 बजे पहुंच गया।
ट्रेन के मुजफ्फरपुर आते ही साथी अरविंद स्टेशन पर उतर गया जबकि मृतक का भाई ट्रेन पर चढ़ गया और शव को लेकर पहुंचा। रात के साढ़े दस बजे के करीब जब ट्रेन समस्तीपुर पहुंची तब अन्य यात्रियों ने ट्रेन में डेड बॉडी होने की जानकारी टीटीई को दी। जिसके बाद शव को ट्रेन से उतारा गया। इस दौरान करीब एक घंटे तक ट्रेन खड़ी रही। आश्चर्य की बात तो यह है कि हाजीपुर से समस्तीपुर स्टेशन के बीच की दूरी 106 किलोमीटर है। जब पैसेंजर को सीने में दर्द आने से मौत हुई तब उसके साथी या किसी अन्य यात्रियों ने टीटीई या रेलवे पुलिस को इसकी सूचना देना मुनासिब नहीं समझा। जिसके कारण 106 किलोमीटर तक शव के साथ ट्रेन दौड़ती रही। यह हैरान करने वाला मामला है।