PATNA : छुपाने, बताने लायक कुछ है ही नहीं। एनडीए की बैठक बुलाई गई थी। इस बात सबको मालूम था और चर्चा भी हो रही रही थी मेरे बैठक में जाने की तो फिर इस वजह है बोला कि हर बात बताना जरूरी होता है क्या। वैसे भी हमको कब बताना है, क्या बताना है यह तो हम तय करेंगे न। समय आने पर सभी चीज़ों बता ही दिया जाता है। यह बातें एनडीए में शामिल होने के बाद पटना आने के उपरांत उपेंद्र कुशवाहा ने कही है।
दरअसल,उपेंद्र कुशवाहा ने पिछले दिनों नीतीश कुमार को लेकर जो ट्वीट किया था उसको लेकर जो विवाद उठा है उसको लेकर अब इन्होनें कहा कि - मैंने इसमें कहा था कि नीतीश जी दूसरे के बारे में बोलते हैं। खुद भी आजकल गलत - सलत बोलने लगे हैं। नीतीश कुमार बोलते रहते हैं कि अगला अंड - बंड बोलता है। जबकि सबसे अधिक अंड-बंड तो वही बोलते हैं। यही नीतीश कुमार थे जो सीना तानकर राजद के पास खड़े होते थे,आज यही नीतीश कुमार लालू के सामने घुटना टेकर खड़े हैं। पॉलिटकल कारण से किसी के आगे नतमस्तक होना नीतीश कुमार के लिए सबसे खराब है। बाकी वो किसी से पास जा रहे हैं मिलने अपने पार्टी के नेता के पास तो इसमें कोई बड़ी बात नहीं है।
कुशवाहा ने कहा कि - लालू - नीतीश का एक दूसरे से मिलना कोई बड़ी बात नहीं है। लेकिन, अभी जो खटपट हो रही है उसके बीच नीतीश का लालू के पास दो दफे जाना और उनके आगे नत्मस्तक हो जाना कहां से उचित बोला जा सकता है। लेकिन, उनके अंदर हमेशा खटपट लगी रहती है। महागठबंधन का मतलब ही खटपट वाली जगह है। इसी खटपट के कारण तो पिछली बार अलग हुए थे, तो ये बात तो उनको भी मालूम है कि वहां का मतलब ही खटपट होता है।
वहीं, पिछले दिनों नीतीश कुमार द्वारा यह कहना कि कुशवाहा एक बार फिर से जदयू में आना चाहते हैं तो जवाब पर उन्होंने कहा कि - ये बात ही ऐसा है। मुख्यमंत्री जी ने कहा यह सुनकर हंसी आती है।इसके अलावा और कुछ भी नहीं। मुझे लगता है कि नीतीश कुमार ने लिया बातें इसलिए बोली होगी क्योंकि वह सब चीजों को भूलने भी लगे हैं। प्रणाम को भी मालूम है कि कहीं से इसकी कोई बुनियाद ही नहीं है। वह चीजों को बोल रहे हैं तभी ऐसी बात बोल रहे हैं।
इधर 18 तारीख को एनडीए और विपक्षी दलों की इंडिया को लेकर कुशवाहा के तरफ से दिए गए बयान पर जब वापस तुमसे सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि - मुझे यह लगता है कि नाम से कुछ भी नहीं होता है। अगर कोई व्यक्ति अपने बेटे का नाम कलेक्टर रख ले तो इसका मतलब यह नहीं कि उसका बेटा कलेक्टर है। इसलिए इंडिया नाम रखने से कोई इंडिया हो जाए या संभव नहीं है। अगर नाम ही रखने से साथ देना है तो फिर वह दुनिया नाम रख ले ताकि उनको दुनिया भर का लोग का समर्थन मिले।