शिक्षा विभाग में धांधली पर शिंकजे से बेचैन हुए चंद्रशेखर: के.के. पाठक को पत्र भेज कर हड़काया, कहा-सरकार की बहुत बदनामी हो रही है

शिक्षा विभाग में धांधली पर शिंकजे से बेचैन हुए चंद्रशेखर: के.के. पाठक को पत्र भेज कर हड़काया, कहा-सरकार की बहुत बदनामी हो रही है

PATNA : बिहार का शिक्षा विभाग इन दिनों चर्चे में है. सरकारी स्कूलों से लेकर कॉलेजों में शिक्षकों के गायब रहने, मिड डे मिल में धांधली से लेकर यूनिवर्सिटी में पैसे की गड़बड़ी पर के.के. पाठक ने शिकंजा कस दिया है. करीब एक महीने पहले शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव बना कर भेजे गये के.के. पाठक ने स्कूल-कॉलेज से गायब रहने वाले हजारों शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई कर दी है. जाहिर है विभाग में हड़कंप मचा है औऱ अब ये बेचैनी खुल कर सामने आ गयी है. शिक्षा विभाग के मंत्री चंद्रशेखर ने अपने विभाग के अपर मुख्य सचिव के.के. पाठक को पीत पत्र भिजवाया है. कहा है-ऐसे काम से शिक्षा विभाग की बहुत बदनामी हो रही है, इस पर तुरंत रोक लगाइये. बता दें कि ये वही मंत्री हैं जो अपने कारनामों के कारण लगातार विवाद में रहे हैं. मंत्री चंद्रशेखर अपने नेता तेजस्वी के बेहद करीबी माने जाते हैं.  


मंत्री के खत का मजमून

शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने अपने आप्त सचिव कृष्णानंद यादव से अपर मुख्य सचिव को पत्र भिजवाया है. उस पत्र का पूरा मजमून पढ़िये

“पिछले कई दिनों से मा० मंत्री, शिक्षा विभाग द्वारा यह महसूस किया जा रहा है कि विभाग मीडिया में नकारात्मक खबरों से अधिक चर्चा में रहा है। विभाग से संबंधित कोई भी पत्र / संकल्प आदि विभागीय पदाधिकारियों / मंत्री कोषांग में पहुंचने से पूर्व ही सोशल मीडिया / युट्युब चैनलों तथा विभिन्न वॉट्सऐप ग्रुप में पारेषित होने लगते है. शिक्षा विभाग में ज्ञान से अधिक चर्चा कडक, सीधा करने, नट बोल्ट टाईट करने, शौचालय सफाई, झारू मारने, ड्रेस पहनने, फोडने, डराने, पेंट गिली करने, नकेल कसने, वेतन काटने, निलम्बित करने, उखाड़ देने, फाड़ देने जैसे शब्दों का हो रहा है. हद तो तब हो गई जब कार्यालय अवधि समाप्ति के पश्चात् कार्य कर रहे एक निदेशक के कक्ष से टी०वी० चैनल वाले लाइव टेलीकास्ट करते देखे गए टी०वी० रिपोटर उनसे पुछताछ भी कर रहे थे और वे विश्रान्ति से जबाब दे रहे थे. यह भी संज्ञान में आया है कि कई रिर्पोटर / यु ट्युबर आदि को किसी अदृश्य व्यक्ति द्वारा विभागीय अधिकारी के दौरे / निरीक्षण की जानकारी पहले से ही प्राप्त हो जाती है तथा निरीक्षत स्थलों पर वे पहले से मौजूद रहते है.” 

शिक्षा मंत्री के पत्र में कहा गया है “वरीय अधिकारी द्वारा बंद कमरे में ली जा रही मीटींग आदि से संबंधित खबर भी मीडिया में द्रुत गति से संचारित हो जाते है. इससे ऐसा प्रतीत होता है कि किसी खास व्यक्ति द्वारा निहित स्वार्थो की पूर्ति अथवा सरकार की छवि कुप्रभावित करने के उद्देश्य से विभागीय आन्तरिक खबरों को मीडिया में प्लांट किया जा रहा है. विभाग से जुड़ी महत्वपूर्ण व जनमानस से सरोकार रखने वाले खबरों को राज्य सरकार की घोषित नीति के अनुरूप प्रसारित करने पर किसी को आपत्ति नहीं है, परन्तु नकारात्मक खबरों से विभाग व सरकार की छवि धुमिल हो रही है.

शिक्षा मंत्री की ओर से ये पत्र उनके आप्त सचिव कृष्णानंद यादव ने लिखा है. उसमें कहा गया है

“विभागीय अधिकारियों का उपरोक्त कृत्य बिहार सरकारी सेवक आचार नियमावली, 1976 के विभिन्न प्रावधानों का उल्लंघन है. साथ ही बिहार सरकार की सामाचार माध्यमों को खबर देने की सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग द्वारा निर्धारित नियमों के विपरीत है. माननीय मंत्री ने इस पर काफी अप्रसन्नता व्यक्त किया है.

चंद्रशेखर ने कहा-मुझे श्रेय दें

शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव को भेजे गये पत्र की खास बात ये है कि मंत्री चंद्रशेखर ने कहा है कि विभाग में जो कुछ नया हो रहा है उसका श्रेय मंत्री को दिया जाना चाहिये. मंत्री के पत्र में कहा गया है- “लोक प्रशासन अनामता के सिद्धान्त' का पालन करता है तथा राजनीतिक व्यक्तियों को इसके कार्यों का श्रेय जाता है. मंत्री ही उन कार्यों की जिम्मेदारी लेता है जो काम उसके अन्तर्गत काम कर रहे लोक सेवक करते है. स्पष्ट है कि लोक सेवक को तटस्थता, निष्पक्षता और अनामता के सिद्धान्त का पालन करना चाहिए. कोई भी लोक सेवक स्वयं से संबंधित खबर को न्यूज में कभी नही फैलाता है.”

वैसे के.के. पाठक को मंत्री को ओर से कई आदेश भी जारी किये गये हैं. पत्र मे कहा गया है कि शिक्षा विभाग से संबंधित खबरों को मीडिया में रखने के लिए सूचना जन संपर्क विभाग द्वारा निर्धारित मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) का पालन किया जाय. अगर जरूरी है तो किसी जिम्मेदार एवं वरिष्ठ अधिकारी को PRO ( जन सम्पर्क पदाधिकारी) नामित किया जाय और उनके जरिये सकरात्मक खबरों को दिया जाये. मीडिया को जारी विभागीय प्रेस विज्ञप्ति की कॉपी मंत्री के पास भेजी जाये.  सभी विभागीय अधिकारी ये निर्देश दिया जाये कि वे बिहार सरकारी सेवक आचार नियमावली के सुसंगत प्रावधानों के तहत कोई भी विभागीय खबर लीक करने अथवा कोई विभागीय पत्र का प्रतिरूप देने पर दण्ड के भागी बन सकते है. लोक सेवक के मीडिया से सम्बन्ध पर राज्य सरकार के दिशा निर्देश से सभी को अवगत कराया जाय. इसका ख्याल रखा जाय कि विभाग की सकारात्मक खबरें प्रकाशित हो और पुलिस / आर्मी / नगर निगम के कार्यों से संबंधित खबरें अधिक स्थान ना प्राप्त कर सकें. 

असली बेचैनी का कारण भी पत्र में दिखा

शिक्षा मंत्री के पत्र में उनकी असली बेचैनी का कारण भी दिखा है. पत्र में लिखा गया है- यह सुनिश्चित किया जाए कि कोई भी लोक सेवक अपने छवि को चमकाने, व्यक्तिगत अहंवाद की पूर्ति. निजी स्वार्थ की पूर्ति, राजनैतिक नेतृत्व के नजर में स्थान बनाने, राबिनहुड की छवि बनाने अथवा नायक चलचित्र के अभिनेता के समान छवि गढ़ने के लिए विभाग के संसाधनों तथा सरकार का सहारा ना ले सके. अगर कोई ऐसा करता पाया जाता है तो उन्हें चिन्हित कर उनके विरूद्ध कार्रवाई का प्रस्ताव दिया जाय. 

मंत्री के पत्र में कहा गया है कि विभाग से संबंधित खबरों को सनसनीखेज नाटकीय, उत्तेजक, कोलाहलमय, खलबली मचाने वाला, विस्मयकारी आश्चर्यजनक, आलंकारिक और चौंकाने वाला बनाकर पेश करने वाले न्युज चैनलों के विरूद्ध सुसंगत कार्रवाई की जाय. अगर इसमें विभागीय अधिकारी, संविदा कर्मी अथवा बाह्य व्यक्ति शामिल हैं तो चिन्हित कर कार्रवाई की जाय. अगर संभव हो तो सरकारी जांच एजेन्सी की मदद ली जाय.

क्यों बेचैन हैं मंत्री

मंत्री के पत्र में और भी कई बातें लिखी गयी हैं. लेकिन ये जानना जरूरी है कि आखिरकार शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर क्यों बेचैन हैं. बता दें कि पिछले महीने 8 जून को शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव का काम संभालने वाले के.के. पाठक ने विभाग में हो रहे लूटपाट से लेकर शिक्षकों की मनमानी पर कमान कस दी है. के.के. पाठक के निर्देश पर हर रोज स्कूलों से लेकर कॉलेजों में शिक्षकों की उपस्थिति की हर रोज मॉनिटरिंग हो रही है. वहां कितने छात्र आ रहे हैं और उन्हें क्या पढ़ाया जा रहा है इसकी भी हर रोज मॉनिटरिंग हो रही है. 

के.के. पाठक के निर्देश पर सरकारी स्कूल औऱ कॉलेजों का हर रोज निरीक्षण हो रहा है और अब तक गायब पाये गये हजारों शिक्षकों का वेतन काटा जा चुका है. बिहार के यूनिवर्सिटी में गड़बड़ी को लेकर कोर्ट में हजारों केस पेंडिंग हैं. के.के. पाठक के निर्देश पर अब हर रोज सुबह साढे नौ बजे सारे यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार को जवाब देना पड़ रहा है कि उनके यहां के केस में क्या प्रगति है. वहीं, शिक्षा विभाग के मुख्यालय को शनिवार को भी खुला रखने का आदेश जारी कर दिया गया है. शिक्षा विभाग के अधिकारियों को देर शाम तक काम करना पड़ रहा है. 

जाहिर है शिक्षा विभाग में अब तक बड़े पैमाने पर हो रही लूट खसोट रूक गयी है. इस बीच मंत्री का पत्र आ गया है. शायद ये बताने की जरूरत नहीं है कि बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखऱ क्यों बेचैन हैं.