PATNA : पूरे बिहार में चल रही नियोजित और नियमित शिक्षकों की हड़ताल के बीच पेश हुए बजट में बिहार सरकार ने सबसे अधिक व्यय शिक्षा पर करने का एलान किया है। सरकार ने इस वित्तीय वर्ष में शिक्षा पर 35,191 करोड़ खर्च का लक्ष्य रखा है। लेकिन हड़ताली शिक्षकों के हाथ कुछ भी नहीं आया है। यानि की संघर्ष की राह कठिन है। सरकार फिलहाल हड़ताली शिक्षकों के बारे में कुछ नहीं सोच रही। इस बीच विपक्ष ने भी सरकारी की खिंचाई की है।
सुशील मोदी ने आज पेश किए गए बजट में बिहार की शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए दिल खोल कर खर्च करने का एलान किया है। सभी विभागों से ज्यादा सरकार ने शिक्षा का बजट रखा है। सरकार पैतीस हजार करोड़ से ज्यादा खर्च कर शिक्षा को दुरूस्त करेगी। स्मार्ट क्लास बनाएगी और स्कूलों को चकाचक करेगी।लेकिन उनका क्या जो शिक्षा के इस मंदिर को स्वर्ग बनाते है, छात्रों को ज्ञान देकर भारत का भविष्य तय करते हैं। शिक्षकों के मांगों पर सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया है।
विपक्ष ने बजट की आलोचना की है। बिहार विधानमंडल दल में कांग्रेस के नेता सदानंद सिंह ने सरकार के बजट पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि यह कैसी विडम्बना है शिक्षक पहले से ही हड़ताल पर है सरकार बजट में सबसे ज्य़ादा शिक्षा पर खर्च कर रही है लेकिन शिक्षकों को ऐसे ही छोड़ दिया है। ऐसे बजट से किसका भला होने वाला है शिक्षा का या फिर शिक्षकों का किसी के हाथ कुछ नहीं आएगा।
बता दें कि सूबे के लगभग चार लाख नियोजित शिक्षक समान काम समान वेतन और समान सेवाशर्त समेत सात सूत्री मांगों के लिए पिछले एक सप्ताह से हड़ताल पर है। वहीं इस बीच नियमित शिक्षकों ने भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, वे भी हड़ताल पर चले गए हैं। हड़ताली शिक्षकों का कहना है कि सरकार केवल बच्चों के भविष्य का हवाला देकर बार-बार इंटर और मैट्रिक परीक्षा के मूल्यांकन कार्य में शामिल होने की अपील कर रही है लेकिन शिक्षकों के परिवार का भविष्य सरकार को नजर नहीं आता ।