PATNA: शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक को पीत पत्र भेज कर हड़काने वाला आप्त सचिव को विभाग ने फर्जी करार दिया है. शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के आप्त सचिव कृष्णानंद यादव ने मंगलवार को केके पाठक को पीत पत्र भेजा था. इस पीत पत्र में केके पाठक को कई नसीहत देते हुए उन्हें चेतावनी दी गयी थी. आज शिक्षा विभाग ने जवाबी कार्रवाई की. शिक्षा विभाग ने मंत्री के आप्त सचिव के कार्यालय में घुसने पर रोक लगा दिया है. वहीं, कृष्णानंद यादव से पूछा गया है कि वह अपने नाम के साथ डॉ कैसे लगा रहा है. उसका सबूत पेश करने को कहा गया है. सूत्रों की मानें तो शिक्षा विभाग मंत्री के आप्त सचिव पर मुकदमा भी कर सकता है. शिक्षा विभाग ने अपने मंत्री के आप्त सचिव के बहाने चंद्रशेखर को बेहद कड़ा जवाब दिया है.
बिना अधिकार के भेज दिया पत्र
बता दें कि कल ही शिक्षा मंत्री की ओर से उनके आप्त सचिव यानि पीएस कृष्णानंद यादव ने विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक को पीत पत्र भेज दिया था. पत्र में केके पाठक पर कई गंभीर आरोप लगाते हुए उन्हें नसीहत दी गयी थी. शिक्षा विभाग ने आज स्पष्ट किया कि अपर मुख्य सचिव को पत्र भेजने वाला आप्त सचिव सरकारी कर्मचारी नहीं है. किसी मंत्री को प्राइवेट व्यक्ति को अपना आप्त सचिव बनाने का अधिकार होता है. लेकिन वह सरकारी आलाधिकारियों से पत्राचार नहीं कर सकता.
चंद्रशेखर को करारा जवाब
शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के आप्त सचिव कृष्णानंद यादव की ओर से भेजे गये पीत पत्र के जवाब में आज शिक्षा विभाग के निदेशक सुबोध कुमार ने कड़ा पत्र लिखा है. निदेशक की ओर से कृष्णानंद यादव को दिये गये जवाब का मजमून इस तरह है “पिछले एक सप्ताह में आपके द्वारा भाँति-भाँति के पीत-पत्रों में भाँति-भाँति के निदेश विभाग और विभागीय पदाधिकारियों को भेजे गये हैं. इस संबंध में आपको आगाह किया गया था कि आप आप्त सचिव (बाह्य) तौर पर है. अतः आपको नियमत सरकारी अधिकारियों से सीधे पत्राचार नहीं करना चाहिए. किन्तु आपके लगातार जारी अनर्गल पीत पत्रों और अविवेकपूर्ण बातों से यह पता चलता है कि आपको माननीय मंत्री के प्रकोष्ठ में अब कोई काम नहीं है और आप व्यर्थ के पत्र लिखकर विभाग के पदाधिकारियों का समय नष्ट कर रहे हैं.”
शिक्षा विभाग में घुसने पर रोक
शिक्षा विभाग के निदेशक ने अपने पत्र में कहा है कि कृष्णानंद यादव की सेवाएं लौटाने के लिए सक्षम प्राधिकार को विभाग पहले ही लिख चुका है. विभाग द्वारा यह भी निदेशित किया गया है कि अब कृष्णानंद यादव शिक्षा विभाग के कार्यालय में प्रवेश नहीं कर सकते हैं. विभाग को यह भी पता चला है कि कृष्णानंद यादव पहले शिक्षा विभाग पर मुकदमा कर चुका है, जिसके कारण उसके सेवा सामंजन का प्रस्ताव विभाग द्वारा काफी समय से लगातार खारिज किया जाता रहा है. ऐसी स्थिति में वह विभागीय मंत्री के प्रकोष्ठ में काम करने के लायक नहीं हैं. इन्हीं कारणों से सक्षम प्राधिकार को उसे हटाने के लिए पत्र लिखा जा चुका है.
अपने संरक्षकों को समझा दें
शिक्षा विभाग के निदेशक ने मंत्री के आप्त सचिव को लिखा है-“आपसे अनुरोध है कि आप स्वयं या अपने संरक्षकों (जिनके कहने पर ये तथाकथित पीत पत्र लिख रहे हैं) पूरी प्रक्रियाओं से अवगत हो लें और उसके बाद ही किसी प्रकार का पत्राचार करें. व्यर्थ का पत्राचार करने से आपका और आपके संरक्षकों की कुत्सित मानसिकता एवं अकर्मण्यता जाहिर होती है. विभागीय पदाधिकारियों के लिए संभव नहीं है कि वे आपके हर प्रकार के पत्रों का बार-बार उत्तर देते रहें.”
मंत्री को अब कोई जवाब नहीं
शिक्षा विभाग के निदेशक ने अपने पत्र में लिखा है-“विभाग में यह भी निदेश निर्गत कर दिया गया है कि आपके द्वारा लिखे गये पत्र / पीत-पत्र तुरंत लौटा दिये जाएं आपको पुनः आगाह किया जाता है कि आप व्यर्थ का पत्राचार न करें. आप अपने नाम के आगे जो डॉ० लगाते हैं, उसका सबूत दें कि क्या आप वाकई किसी उच्च शिक्षण संस्थान में प्राध्यापक रह चुके हैं ?