PATNA : प्रशांत किशोर को लेकर जनता दल यूनाइटेड में चल रहे गतिरोध पर आरजेडी के सीनियर लीडर शिवानंद तिवारी ने तंज कसा है. शिवानंद तिवारी ने जेडीयू के नेताओं से पूछा है कि आरसीपी सिंह और नीतीश कुमार में से कौन पार्टी का ताकतवर नेता है? तिवारी ने कहा है कि नीतीश कुमार प्रशांत किशोर को पार्टी में रखना चाहते हैं और उनका इस्तीफा खारिज कर रहे हैं लेकिन आरसीपी सिंह PK को भगाना चाहते हैं, यह बेहद हैरत भरी बात है.
नीतीश के मर्जी के बगैर पार्टी में कुछ नहीं होता
शिवानंद तिवारी ने कहा है कि नीतीश कुमार की मर्जी के बगैर उनकी पार्टी में पत्ता भी नहीं खड़क सकता. इस सच को सभी जानते हैं लेकिन इसके बावजूद आरसीपी सिंह ने प्रशांत किशोर के खिलाफ सार्वजनिक तौर पर बोलने की हैसियत कैसे बना ली, यह अचरज पैदा करता है.
भाजपा के घोषणा पत्र पर जदयू ने लड़ा था लोकसभा चुनाव
शिवानंद ने कहा कि नीतीश भले ही दावा करें कि एनआरसी यानी नागरिक रजिस्टर बिहार में नहीं लागू होगा. लेकिन स्पष्ट है कि राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर तो अब संशोधित नागरिकता क़ानून के आधार पर ही बनेगा. अमित शाह बार-बार कह रहे हैं कि एक-एक घुसपैठियों को निकाल बाहर करेंगे. ये लोग घुन की तरह देश को चाट रहे हैं. राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर बनाने की घोषणा तो भाजपा ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में ही कर दिया था. जबकि नीतीश जी की पार्टी ने लोकसभा चुनाव में अपना घोषणा पत्र जारी नहीं किया था. इसका अर्थ तो यही है कि वह भाजपा के ही घोषणा पत्र पर लोकसभा का चुनाव लड़ी था. नागरिकता क़ानून का समर्थन करने के बाद अब स्पष्ट हो चुका है कि नीतीश किसी दबाव में हैं. उसी दबाव में उन्होंने नागरिकता क़ानून में संशोधन का समर्थन किया है. अन्यथा तीन तलाक़ और 370 का विरोध करने वाला संविधान और देश की हमारी विशिष्टता को नष्ट करने वाले नागरिकता क़ानून में संशोधन का समर्थन कैसे कर सकता है! इसकी वजह क्या हो सकती है ? नीतीश कुमार पर दबाव डालने के लिए ‘किसी प्रकार से अर्जित’ आरसीपी के उस हैसियत का भाजपा इस्तेमाल तो नहीं कर रही है !