शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर का एक और कारनामा: नियमों को ताक पर रख मदरसा बोर्ड में अध्यक्ष बनाया, कमाई का अड्डा माना जाता है बोर्ड

शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर का एक और कारनामा: नियमों को ताक पर रख मदरसा बोर्ड में अध्यक्ष बनाया, कमाई का अड्डा माना जाता है बोर्ड

PATNA: बिहार में तीन हजार से ज्यादा मदरसों को संचालित करने से लेकर सरकारी मदद देने के लिए बनाये गये मदरसा एजुकेशन बोर्ड को कमाई का अड्डा माना जाता रहा है. बिहार में फिलहाल सत्ता में बैठी राजद के ही कई विधायक मदरसा एजुकेशन बोर्ड में बड़े पैमाने पर धांधली का आरोप लगाते रहे हैं. इस मदरसा बोर्ड में शिक्षा मंत्री का नया कारनामा सामने आया है. मंत्री चंद्रशेखर ने सरकारी नियमों को ताक पर रख बोर्ड के अध्यक्ष पद पर अपने पसंदीदा व्यक्ति को बिठा दिया है. हद तो ये कि मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष से सीनियर अधिकारी को बोर्ड का सचिव बनाया गया है. मंत्री चंद्रशेखर की कृपा से सीनियर अधिकारी अपने जूनियर के अधीन काम कर रहा है. बता दें कि इससे पहले चंद्रशेखर ने भ्रष्टाचार के दर्जनों संगीन मामलों के आरोपी अमर भूषण को संस्कृत शिक्षा बोर्ड का अध्यक्ष बना दिया था.


क्या है मामला

बिहार राज्य मदरसा एजुकेशन बोर्ड के पिछले अध्यक्ष का कार्यकाल इस साल की शुरूआत में समाप्त हो गया था. मदरसा एजुकेशन बोर्ड सरकार के शिक्षा विभाग के अधीन आता है. मंत्री चंद्रशेखर ने पिछले अध्यक्ष का कार्यकाल समाप्त होने के बाद अपने पसंदीदा अधिकारी को बोर्ड के अध्यक्ष का प्रभार दे दिया. मंत्री ने बिहार शिक्षा सेवा के जूनियर अधिकारी मोहम्मद अब्दुस सलाम अंसारी को मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष  का प्रभार दे दिया है. अंसारी माध्यमिक शिक्षा के उपनिदेशक हैं.


इस खेल में सरकार के नियमों को ही ताक पर रख दिया गया. बिहार सरकार ने मदरसा बोर्ड को संचालित करने के लिए बिहार मदरसा शिक्षा बोर्ड नियमावली 2022 बना रखा है. इसमें मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष पद पर नियुक्ति के लिए स्पष्ट प्रावधान हैं. देखिये क्या है बिहार सरकार का नियम..


“मदरसा शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किये जाने हेतु कोई व्यक्ति तबतक योग्य नहीं समझा जायेगा जबतक कि वह केन्द्रीय या राज्य सरकार के अधीन पर्याप्त प्रशासनिक अनुभव न रखता हो अथवा वह स्नातकोत्तर स्तर तक शिक्षा प्रदान करने वाली शैक्षणिक संस्था में न्यूनतम दस वर्षों का शिक्षण अथवा शोध का अनुभव न रखता हो अथवा जो अरबी, फारसी, इस्लामिक अध्ययन में ख्याति प्राप्त विद्वान न हो और मदरसा शिक्षा में अभिरूचि न रखता हो.”


यानि राज्य सरकार का नियम ये है कि पर्याप्त अनुभव वाला कोई प्रशासनिक अधिकारी, यूनिवर्सिटी में 10 साल तक पढ़ाने वाला व्यक्ति या अरबी-फारसी और इस्लामिक अध्ययन में ख्याति प्राप्त विद्वान ही मदरसा बोर्ड का अध्यक्ष बन सकता है. लेकिन मंत्री चंद्रशेखर की कृपा से इनमें से कोई योग्यता नहीं रखने वाले अब्दुस सलाम अंसारी बोर्ड के अध्यक्ष बन कर बैठे.


मदरसा बोर्ड के मौजूदा अध्यक्ष अब्दुस सलाम अंसारी बिहार शिक्षा सेवा के अधिकारी हैं. सरकार की ही नियमावली में साफ है कि बिहार शिक्षा सेवा के अधिकारी को मदरसा बोर्ड का सचिव बनाया जा सकता है, जो अध्यक्ष के मातहत काम करेगा. बोर्ड के सचिव पद पर मो. सईद अंसारी तैनात हैं. मो. सईद अंसारी बिहार शिक्षा सेवा के अधिकारी हैं. दिलचस्प बात ये है कि सईद अंसारी अपने बोर्ड के अध्यक्ष अब्दुस सलाम अंसारी से सीनियर हैं. लेकिन शिक्षा मंत्री की कृपा ऐसी है कि सईद अंसारी को अपने जूनियर अधिकारी के अधीन काम करना पड़ रहा है.


संस्कृत शिक्षा बोर्ड में भी खेल

मंत्री चंद्रशेखर का ये खेल पुराना है. इससे पहले उन्होंने बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड में घोटाले, गबन जैसे दर्जनों मामलों के आरोपी अमर भूषण नाम के अधिकारी को अध्यक्ष बनाया. अमर भूषण पर कई जिलों में शिक्षा विभाग में बड़ा घोटाला करने का आरोप है. उनके खिलाफ विभाग से लेकर निगरानी में जांच चल रही है. लेकिन मंत्री ने अमर भूषण को सरकारी नियमों को ताक पर रख कर अध्यक्ष का प्रभार दे दिया.