शरद यादव के निधन पर ललन सिंह और विजेंद्र यादव ने जताया शोक, पुरानी यादों को किया साझा

शरद यादव के निधन पर ललन सिंह और विजेंद्र यादव ने जताया शोक, पुरानी यादों को किया साझा

PATNA : जनता दल यूनाइटेड के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव का गुरुवार रात गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में निधन हो गया। शरद  यादव काफी लंबे समय से गुर्दे की बीमारी से पीड़ित है इनको गुरुवार रात सांस लेने में तकलीफ होने के बाद अस्पताल में भर्ती करवाया गया था जहां इनका निधन हो गया। वहीं के निधन के बाद अब जदयू के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष और मुंगेर सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने अपनी संवेदना प्रकट की है।


जदयू के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ़ ललन सिंह ने कहा है कि, शरद जी के आकस्मिक निधन की खबर सुनकर स्तभ हूं। इनसे मेरे व्यक्तिगत और राजनीतिक रिश्ते पिछले 40 वर्षों से रहे हैं। शराब यादव जी आजीवन एक संघर्षशील नेता रहे हैं। सबसे पहली बार लोक नायक जयप्रकाश नारायण जी के नेतृत्व में चल रहे 1974 आंदोलन के दौरान भोपाल से जनता उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीतकर लोकसभा आए थे। तभी से लेकर अंतिम समय तक वह राजनीतिक मानचित्र पर हमेशा चमकते रहे। आज शरद जी हमारे बीच नहीं हैं। हमने एक संघर्षशील नेता को खो दिया है। में ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें। उनके परिवार और परिजनों को दुःख सहने की शक्ति दे।


वहीं, बिहार सरकार के मंत्री विजेंद्र यादव ने भी शरद के साथ अपने रिश्तो को याद कर कर कहा कि वह मेरे व्यक्तिगत और राजनीतिक जीवन में बेहद महत्व रखते हैं। उनसे मेरा परिवारिक नाता रहा है। वह हमेशा मुझे याद करते रहते थे। उन्होंने कहा कि जहां से वह अपना सियासत करते थे वहां से मुझे भी सहयोग मिलता था। इसके साथ ही विजेंद्र यादव ने उनके साथ अपने पुराने कई हिस्सों को साझा किया। मालूम हो कि विजेंद्र यादव शरद यादव के सबसे करीबी और सबसे पुराने नेताओं में शुमार रहे हैं। 


बताते चलें कि, शरद यादव मंडल मसीहा के रूप में फेमस रहे हैं। यह मुरहो से मंडल रथ लेकर दिल्ली रवाना हुए थे। इसके साथ ही साथ यह बिहार सहित तीन राज्यों से सांसद चुने जाने वाले पहले राजनेता थे। उन्होंने पहली बार वर्ष 1991 में मधेपुरा सीट पर हुए उपचुनाव में भाग्य आजमाया था। शरद यादव 2003 में जनता दल बनने के बाद से लंबे समय तक पार्टी के अध्यक्ष रहे। या 7 बार लोकसभा सांसद भी रहे। हालांकि पिछले कुछ वर्षों से अस्वस्थ होने के कारण सक्रिय राजनीति में नजर नहीं आ रहे थे।