PATNA : बिहार में शराबबंदी कानून है। इसके बाद भी बिहार के हर जिले में बिक रही शराब और जहरीली शराब से लगातार मौत की घटनाओं से परेशान नीतीश कुमार सरकार ने अब बड़ा निर्णय लिया है। सरकार ने तय किया है कि शराब माफियाओं की कमर तोड़ने के लिए अपराधी नियंत्रण कानून (सीसीए) का इस्तेमाल करेगी।
दरअसल सीसीए एक ऐसा कानून है जिसके तहत जिला में डीएम किसी को जिला बदर की सजा दे सकते हैं। अगर आरोपी जेल में बंद है तो उसे एक साल तक जेल में बंद रखा जा सकता है। बिहार के छपरा, गोपालगंज में हाल में जहरीली शराब पीने से 39 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। ये वो इलाके हैं जहां घटिया शराब पीने की वजह से पहले भी बड़ी संख्या में लोगों की जान गई है। लिहाजा यह निर्णय लिया गया है।
पटना के पुलिस उप-महानिरीक्षक (डीआईजी) राजीव मिश्रा ने बताया है कि शराबबंदी कानून के उल्लंघन में पहले जो लोग गिरफ्तार हुए और जमानत पर निकलने के बाद फिर से शराब के धंधे में उतर गए, उन पर सीसीए का इस्तेमाल किया जाएगा। राजीव मिश्रा के पास पटना के वरीय आरक्षी अधीक्षक (एसएसपी) का भी प्रभार है। उन्होंने अपने अधीन सभी थानों के थानेदार को शराबबंदी कानून के तहत गिरफ्तारी आरोपियों पर नजर रखने का निर्देश दिया है।
पटना पुलिस ने सभी थानों के एसएचओ को आदेश जारी किया है जिसके तहत थानेदारों को कहा गया है कि वो अपने-अपने इलाकों में शराबबंदी केस में जेल जाकर निकले लोगों की लिस्ट देखें और उन पर सीसीए या पीएमएलए का केस लगाने का प्रस्ताव दें। डीआईजी ने बताया कि बिहार सरकार ने 2024 में बिहार के शराबबंदी कानून को सीसीए के दायरे में ला दिया है। उत्पाद मंत्री रत्नेश सदा ने भी शराब माफियाओं पर सीसीए लगाने की बात कही थी।
इधर डीआईजी राजीव मिश्रा ने बताया कि जो जेल में बंद है, उस पर CCA लगाने और उसकी संबंधित न्यायालय से पुष्टि के बाद, उसे लगभग एक वर्ष तक जेल में रखा जा सकता है। इस बीच उस पर चल रहे सभी विचाराधीन कांड का ट्रायल शुरू कराने का प्रावधान है।